बॉलीवुड एक्टर रणधीर कपूर 77 साल के हो गए हैं। 15 फरवरी, 1947 को जन्मे रणधीर कपूर ने फिल्म ‘श्री 420’ (1955) में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया। डायरेक्शन, प्रोडक्शन में भी उतरे। रणधीर कपूर की अहम फिल्मों में ‘कल आज और कल’, ‘जवानी दीवानी’, ‘रामपुर का लक्ष्मण’ और ‘चाचा भतीजा’ शामिल हैं। फिल्मों में उनका करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा।
वो अपने पिता राज कपूर, भाई ऋषि कपूर की तरह स्टारडम की ऊंचाइयां नहीं छू पाए। इनकी निजी जिंदगी भी उथल-पुथल रही। शादी के कुछ सालों बाद ही पत्नी बबीता से अलगाव हो गया और दोनों अलग हो गए हालांकि इन्होंने तलाक नहीं लिया।
फिल्मी करियर खास न चलने से इन्हें बीवी-बच्चों के खर्चे तक चलाने में दिक्कत होने लगी। बेटी करिश्मा और करीना की स्कूल फीस तक भरने में परेशानी होती थी।
जन्मदिन के मौके पर नजर डालते हैं रणधीर कपूर की लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों पर…
रणधीर के सामने रोमांटिक सीन शूट नहीं करते थे राज कपूर
रणधीर कपूर का जन्म 15 फरवरी,1947 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। वो 1920 से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय कपूर खानदान में पैदा हुए। लीजेंडरी फिल्ममेकर और एक्टर पृथ्वीराज कपूर इनके दादा और राज कपूर पिता हैं। ऋषि कपूर और राजीव कपूर इनके भाई थे। इसके अलावा इनकी दो बहनें रीमा और ऋतु हैं।
बचपन में ऋषि और रणधीर कपूर
रणधीर जब छोटे थे तो अपने पिता राज कपूर के साथ उनकी फिल्मों की शूटिंग देखने जाया करते थे। ऐसे में जब कोई रोमांटिक सीन की शूटिंग होती थी तो राज कपूर उन्हें पांच रुपए देकर कहते थे- जाओ बाहर कुछ खा लो। दरअसल, उन्हें बेटे के सामने रोमांटिक सीन शूट करने में झिझक होती थी।
पिता ने नहीं करने दिया आरके स्टूडियो में काम
ग्रेजुएशन के बाद रणधीर ने राज कपूर से कह दिया कि वो आगे पढ़ाई नहीं करना चाहते बल्कि फिल्मों में काम करना चाहते हैं। रणधीर ने सोचा था कि उन्हें अपने ही आरके स्टूडियो में काम करने का मौका मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
राज कपूर ने उन्हें साफ-साफ कह दिया कि अगर वो फिल्मों में काम करना चाहते हैं तो पहले आरके बैनर के बाहर जाकर काम करके देखें क्योंकि आरके स्टूडियो के मालिक होने के नाते वो यहां उतना सीख नहीं पाएंगे, जितना उन्हें सीखना चाहिए।
इसके बाद रणधीर ने डायरेक्टर लेख टंडन को असिस्ट कर शुरू किया और उन्होंने बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर 1968 में आई फिल्म ‘झुक गया आसमान’ में काम किया।
फिल्म ‘रामपुर का लक्ष्मण’ में रणधीर कपूर
पिता और दादा को पहली फिल्म में किया डायरेक्ट
1971 में एक्टर के तौर पर रणधीर कपूर ने फिल्म ‘कल आज और कल’ से डेब्यू किया। ये बतौर डायरेक्टर भी उनकी पहली फिल्म थी। इस फिल्म में पिता राज कपूर और दादा पृथ्वीराज कपूर ने भी काम किया।
राज कपूर पहले इस फिल्म में काम नहीं करना चाहते थे क्योंकि इससे पहले उनकी छवि रोमांटिक हीरो की थी और स्क्रीन पर पिता का रोल करने में वो कंफर्टेबल नहीं थे लेकिन रणधीर ने बतौर डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म में काम करने के लिए आखिरकार उन्हें मना ही लिया।
आरके बैनर के प्रोडक्शन में बनी इस फिल्म को एवरेज सक्सेस मिली थी। इसी फिल्म के सेट पर रणधीर और बबीता की प्रेम कहानी परवान चढ़ी थी।
‘कल आज और कल’ से डेब्यू के बाद रणधीर कपूर की 1972 में बैक टू बैक तीन फिल्में रिलीज हुईं। इनमें से एक फिल्म ‘जीत’ थी जो कि MGR और जयललिता की तमिल फिल्म ‘एन अन्नन’ की हिंदी रीमेक थी।
दूसरी फिल्म ‘जवानी दीवानी’ थी जो कि 1972 की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी। वहीं, तीसरी फिल्म ‘रामपुर का लक्ष्मण’ थी जिसमें रणधीर कपूर के अलावा शत्रुघ्न सिन्हा, रेखा भी मुख्य भूमिका में थे। फिल्म के डायरेक्टर मनमोहन देसाई थे और इसके म्यूजिक डायरेक्टर आरडी बर्मन थे।
जीत की सक्सेस के बाद रणधीर कपूर ने MGR की एक और हिट फिल्म के हिंदी रीमेक में काम किया जिसका नाम ‘रिक्शावाला’ था। ये 1973 में रिलीज हुई थी जिसमें उनके अपोजिट नीतू सिंह थीं। फिल्म के डायरेक्टर के. शंकर थे।
फिल्म फ्लॉप रही थी लेकिन इसके गाने पॉपुलर हुए। इसके एक साल बाद 1974 में रणधीर ने फिल्म ‘हमराही’ और ‘हाथ की सफाई’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया।
सपोर्टिंग रोल मिलने लगे तो 10 साल नहीं की एक्टिंग
1975 में रणधीर कपूर ने फिल्म ‘धरम करम’ बनाई जिसमें उन्होंने पिता राजकपूर के साथ एक बार फिर काम किया। इसी साल उनकी फिल्म ‘लफंगे’ और ‘पोंगा पंडित’ हिट रही थीं। 1976 से 1981 तक रणधीर कई मल्टीस्टारर फिल्मों में दिखे जिनमें ‘चाचा भतीजा’, ‘कसमें वादे’, ‘मामा भांजा’, ‘हीरा लाल पन्ना लाल’, ‘बीवी ओ बीवी’ जैसी फिल्मों में दिखे।
1981 में फिल्म ‘हरजाई’ पिटने के बाद रणधीर कपूर को बतौर हीरो फिल्में मिलना बंद हो गईं और उन्हें साइड रोल ऑफर होने लगे जिससे दुखी होकर उन्होंने एक्टिंग से दूरी बना ली। बतौर लीड एक्टर उनकी आखिरी फिल्म खजाना थी जो कि 1987 में रिलीज हुई थी।
1991 से रणधीर कपूर ने बतौर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर अपने करियर पर फोकस किया और हिना, आ अब लौट चलें, प्रेम ग्रंथ जैसी फिल्में बनाईं। 10 साल के गैप के बाद उन्होंने फिल्म ‘लेडीज ओनली’ से एक्टिंग में फिर वापसी की लेकिन ये फिल्म रिलीज नहीं हो पाई। इसके बाद उन्होंने कुछ फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए। अपने 43 साल लंबे करियर में रणधीर कपूर को कोई अवॉर्ड नहीं मिला। उन्हें एकमात्र नॉमिनेशन उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में फिल्म ‘कसमें वादे’ के लिए मिला था जो कि बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए था।
सेट पर बबीता से बढ़ी नजदीकियां, कर ली शादी
रणधीर कपूर ने 6 नवंबर 1971 को एक्ट्रेस बबीता से शादी की थी। इनकी पहली मुलाकात 1969 में हुई थी। दरअसल, 1969 में रिलीज हुई फिल्म ‘संगम’ में बबीता के पिताजी हरी शिवदासानी सपोर्टिंग एक्टर थे, जिसके डायरेक्टर राज कपूर थे।
बबीता-रणधीर कपूर की शादी में राज कपूर (बाएं), मंसूर अली खान पटौदी और शर्मिला टैगोर
सेट पर पिता राज कपूर के साथ रणधीर भी जाते थे और बबीता भी वहां पिता हरी के साथ पहुंचा करती थीं। यहीं रणधीर और बबीता की जान पहचान हो गई। दोनों एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने लगे। इसके बाद रणधीर ने 1971 में जब अपनी डेब्यू फिल्म में ‘कल आज और कल’ में काम किया तो उन्होंने इसमें बबीता को भी कास्ट कर लिया। दोनों फिल्म शूटिंग के दौरान और करीब आ गए।
राज कपूर ने कहा था, बबीता बुड्ढी हो जाएगी तब शादी करेगा क्या?
कुछ साल पहले ‘द कपिल शर्मा शो’ में पहुंचे रणधीर कपूर ने बबीता के साथ अपनी लव स्टोरी का जिक्र करते हुए कहा था, ‘मैं केवल उनके साथ टाइमपास कर रहा था। फिर पापा (राज कपूर) ने मुझसे पूछा, शादी करने का इरादा है या नहीं? मैंने जवाब दिया कि अभी तो ऐसी प्लानिंग नहीं तो पापा ने मुझसे गुस्से में कहा, जब वो बुड्ढी हो जाएगी तो क्या तब उससे शादी करेगा? सच बताऊं तो मैंने बबीता को शादी के लिए प्रपोज नहीं किया था बल्कि मेरे पेरेंट्स ने मेरी तरफ से रिश्ता भेजा था।’
करिश्मा-करीना के साथ बबीता-रणधीर कपूर
17 साल बाद रणधीर से अलग हो गईं बबीता
शादी के वक्त रणधीर 24 साल के थे। वहीं, बबीता के सामने राज कपूर ने ये शर्त रख दी कि रणधीर से शादी के बाद वो फिल्मों में काम नहीं कर सकती हैं क्योंकि कपूर खानदान की बहुएं शादी के बाद फिल्मों में काम नहीं करती हैं। बबीता ने ये बात मानी और अपना फिल्मी करियर दांव पर लगा दिया।
शादी के तीन साल बाद रणधीर-बबीता एक बेटी के पिता बने जिसका नाम करिश्मा रखा। इसके बाद 1980 में इनके घर एक और बेटी पैदा हुई जिसका नाम करीना है।
बबीता के साथ रणधीर की शादी उतार-चढ़ाव भरी रही। दोनों 1988 में अलग हो गए। बबीता ने दोनों बेटियों के साथ रणधीर का घर छोड़ दिया। उन्होंने दोनों बेटियों की परवरिश अकेले की।
असफलता के कारण शराबी बन गए रणधीर
एक इंटरव्यू में रणधीर ने बबीता से अनबन के बारे में बात करते हुए कहा था, ‘बबीता को मेरा घर देर से आना और खूब शराब पीना बिल्कुल पसंद नहीं था। उन्हें लगता था कि मैं एक बुरा आदमी हूं। भले ही हमने लव मैरिज की थी लेकिन मैं वैसे नहीं रहना चाहता था जैसे कि वो चाहती थीं और वो मुझे वैसे एक्सेप्ट नहीं करना चाहती थीं, जैसा मैं था। हमारे दो प्यारे बच्चे हैं। बबीता ने दोनों को बेहतरीन परवरिश दी और बड़े होकर इन्होंने हमारा न सिर्फ नाम रोशन किया बल्कि खुद को भी अपने करियर में बखूबी स्थापित किया। एक पिता के तौर पर मुझे और क्या चाहिए?’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘रणधीर और बबीता के रिश्ते में दरार आने की एक वजह ये भी थी कि अस्सी के दशक में रणधीर कपूर का फिल्मी करियर डाउनफॉल पर चला गया था। उनकी फिल्में पिटने लगी थीं और उन्हें काम मिलना कम हो गया। इस डिप्रेशन में वो खूब शराब पीने लगे थे।’
एक इंटरव्यू में रणधीर ने कहा था, ‘आज किसी भी एक्टर के लिए पैसा कमाना बहुत ही आसान हो गया है। हमारे जमाने में ऐसा बिल्कुल नहीं था। मेरे पास अपनी बेटियों की ट्यूशन फीस देने तक के पैसे नहीं थे। हम पैसा कमाने के लिए बहुत मेहनत करते थे, मेरे लिए वो दौर इतना मुश्किल था कि अपनी कमाई से मैं पत्नी बबीता के खर्चे भी नहीं उठा पाता था’।
अलग हुए लेकिन नहीं लिया तलाक
रणधीर और बबीता भले ही 35 सालों तक अलग रहे हैं लेकिन इन्होंने तलाक नहीं लिया। इसकी वजह भी रणधीर कपूर ने एक इंटरव्यू में बताई थी। उन्होंने कहा था, ‘तलाक किसलिए? न मुझे दूसरी शादी करनी थी न बबीता को, इसलिए तलाक का सवाल ही नहीं उठता।’
आज भी बबीता और रणधीर कपूर किसी भी फैमिली फंक्शन में साथ नजर आते है और मुसीबत में एक-दूसरे को हमेशा सपोर्ट करते हैं। पिछले साल से रणधीर और बबीता एक बार फिर साथ रहने लगे हैं।
करीना ने कहा था-अलग रहने में कोई हर्ज नहीं
करीना ने अपने पेरेंट्स के अलग होने पर रिएक्शन दिया था। उन्होंने कहा था, ‘मैं और करिश्मा बहुत छोटी सी उम्र में ही ये समझ चुके थे कि बिन साथ रहे भी रिश्ते अच्छे तरीके से निभाए जा सकते हैं। हमारे पेरेंट्स भले ही साथ ना रहें लेकिन जब भी उन्हें कहीं साथ मौजूद होना होता है तो वो पहुंच जाते हैं। मेरे पेरेंट्स अच्छा रिलेशनशिप शेयर करते हैं, लेकिन दो लोग जब ये समझ जाते हैं कि कई बार जिंदगी जैसी प्लान करो वैसी नहीं चलती तो अलग रहने में कोई हर्ज नहीं है।’
करीना ने एक इंटरव्यू में ये भी बताया था कि सिंगल पेरेंट के तौर पर उनकी मां बबीता को काफी स्ट्रगल करना पड़ा था। करीना ने कहा था, ‘लोगों को लगता था कि हम कपूर खानदान से हैं तो हमारे पास सबकुछ था लेकिन ऐसा नहीं है। हमारे लिए सबकुछ बहुत लिमिटेड था। करिश्मा लोकल ट्रेन से कॉलेज जाया करती थीं। हमारा बचपन भी बेहद नॉर्मल बीता लेकिन, इन बुरे दिनों से जूझते हुए मां ने हमेशा सीख दी कि हर चीज की कद्र करो।’
डिमेंशिया होने की आई थीं खबरें
77 साल के हो चुके रणधीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं। वो ठीक से चल नहीं पाते और कई बार उन्हें व्हीलचेयर पर देखा जाता है। दो साल पहले रणबीर कपूर ने खुलासा किया था कि रणधीर डिमेंशिया से जूझ रहे हैं।
इस बीमारी में याददाश्त, सोचने की क्षमता पर गहर असर पड़ता है। चीजें याद नहीं रहती। मेमोरी लॉस भी होता है हालांकि रणधीर कपूर ने रणबीर की इन बातों का खंडन कर दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें डिमेंशिया नहीं है।
415 करोड़ के मालिक हैं रणधीर
रणधीर कपूर की नेटवर्थ 415 करोड़ रु. है। उन्होंने अपने करियर में एक्टिंग, डायरेक्शन, फिल्म प्रोडक्शन से कमाई की है। इसके अलावा उन्होंने रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट से भी करोड़ो रुपए कमाए हैं। मुंबई में उनकी कई पॉश जगहों पर प्रॉपर्टी है। उन्होंने कई कमर्शियल स्पेस भी रेंट पर दे रखे हैं।