भारतीय मूल की इस नेता अनीता आनंद के रेस में आने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफा, जानें कौन हैं ये और भारत को कैसे मिलेगा फायदा

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जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लगभग एक दशक लंबे शासन के बाद उन्होंने सोमवार (6 जनवरी) को पद छोड़ दिया। इसकी वजह से राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है. उनके उत्तराधिकारी की चर्चा चल रही है. कनाडा के अगले प्रधानमंत्री की रेस में एंटोनियो आनंद, पियरे पोलिवेरे, क्रिस्टिया फ्रीलैंड और मार्क कार्नी जैसे प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं। इनमें से भारतीय मूल के नेता ऐंटेना आनंद अपने कुलीन शासन और सार्वजनिक सेवा के अच्छे रिकॉर्ड के कारण सबसे मजबूत समर्थकों में एक मनी जा रही हैं। अगर इटैलियन आनंद कनाडा की पेशकश है तो उम्मीद की जा सकती है कि कनाडा के सर्वश्रेष्ठ भारत के साथ फिर से अच्छे हो सकते हैं, जो ट्रूडो के वक्ता अपने सबसे क्लासिक स्तर पर होंगे।

कनाडा में भारतीय मूल के लोगों की अच्छी-खासी प्रतिष्ठा है। इस कारण से किसी भी भारतीय मूल के व्यक्ति का नाम भारत के लिए अच्छा संकेत दिया जा सकता है। इससे पहले ट्रूडो के शासनकाल में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया गया था, जिसके बाद दोनों देशों के हालात खराब हो गए। कनाडाई सरकार ने इस संबंध में कोई ठोस साक्ष्य भी पेश नहीं किया है। नतीजा ये हुआ कि पार्टी के अंदर ही ट्रूडो के दूसरे नेताओं के साथ बुरा हाल हो गया। कई लोगों ने अपनी रिहाई की मांग कर दी.

मैं किसी के पीछे से लड़ाई नहीं हट्टा- ट्रूडो
लगभग एक दशक तक कनाडा के प्रधानमंत्री बने रहने के बाद जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार (6 जनवरी) को अपने पद से हटने की घोषणा की। उन्होंने अपनी वापसी के पीछे मुख्य कारण लिबरल पार्टी के आंतरिक संघर्षों में खोना और लिबरल पार्टी का समर्थन किया। ट्रूडो ने स्पष्ट किया कि वह तब तक प्रधानमंत्री बने रहेंगे जब तक कि उनकी पार्टी का कोई नया नेता नहीं चुना जाएगा। उन्होंने कहा, “मैं किसी भी तरह से पीछे से लड़ाई नहीं हटाता, विशेष रूप से तब जब वह हमारे देश और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण हो। लेकिन कनाडा के लोगों के हित और लोकतंत्र की गारंटी मेरे लिए सर्वोपरि हैं।”

प्रधानमंत्री को लेकर नवीनतम की दौड़ तेज
लिबरल पार्टी के अंदर अगले प्रधानमंत्री को लेकर उम्मीदवारी की दौड़ तेज हो गई है। विशेष ध्यान में रखा गया संसद के सत्र को 27 जनवरी से 24 मार्च तक जारी किया गया है, ताकि लिबरल पार्टी के पास अपने नए नेता का चुनाव करने का समय मिल सके। इस दौरान ऑर्केजी आर्किटेक्ट्स ने भी लिबरल पार्टी को चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे वसंत चुनाव के बाद नए नेता चुने जाने की संभावना बन रही है। इन सबके बीच बीबीसी की तरफ से भारतीय मूल के नेता अनिल आनंद को उन 5 समूहों में शामिल किया गया है, जो जस्टिन ट्रूडो की जगह ले सकते हैं।

परिवहन आनंद परिवहन और आंतरिक मंत्री
भारतीय मूल की एंटोनियो आनंद को बीबीसी द्वारा शीर्ष पांच समूहों में शामिल किया गया है, जो जस्टिन ट्रूडो की जगह ले सकते हैं। 57 सालार अनिल आनंद स्थिर वक्ता में देश के परिवहन और आंतरिक मंत्री के रूप में पर्यटक हैं। अपने अनुयायी और राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण वह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक हस्ती के रूप में उभरे हैं। आनंद ने क्वीन्स विश्वविद्यालय से राजनीतिक अध्ययन में स्नातक, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से न्यायशास्त्र में स्नातक, डलहौजी विश्वविद्यालय से विधि स्नातक, और टोरंटो विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की पढ़ाई की है। इसके अलावा, वे येल, क्वीन्स यूनिवर्सिटी, और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित आबादकार में पढ़ते हैं। राजनीति में प्रवेश करने से पहले, वह टोरंटो विश्वविद्यालय में विधि की प्रोफेसर रहीं।

आनंद का परिवार
एकता आनंद का जन्म नोवा स्कोटिया केंटविले में हुआ था। उनके माता-पिता, सरोजोहा डी. राम और एस.वी. (एंडी) आनंद, दोनों भारतीय चिकित्सक थे। उनकी दोनों बहनें गीता और सोनिया आनंद भी अपने-अपने क्षेत्र में सफल हैं। एकता आनंद ने 2019 में राजनीति में प्रवेश किया और तब से लिबरल पार्टी की सबसे महत्वाकांक्षी पार्टी में से एक बन गईं।

उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान सार्वजनिक सेवा और खरीद मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां उन्हें वैक्सीन की आपूर्ति के लिए स्थान दिया गया। 2021 में उन्हें कनाडा का रक्षा मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जापान की सहायता करने में अहम भूमिका निभाई.

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कितना घातक है एचएमपीवी वायरस चाइना सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन बताता है मृत्यु दर पर

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एचएमपीवी वायरस: चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) वायरस बहुत तेजी से फैल रहा है। ये वायरस अब धीरे-धीरे भारत में भी पैर पसारने लगा है. भारत में अब तक इस वायरस के पांच मामले सामने आ चुके हैं. इन सबके बीच चीन के रोग एवं नियंत्रण रोकथाम केंद्र ने वायरस के कारण वाली मृत्यु दर के बारे में बताया है।

चीन के सीडीसी ने कहा, “बच्चे, उपकरण क्षमता कम वाली आबादी और बुजुर्ग मछुआरे होते हैं और उनके अन्य सांस संबंधी वायरस से दौरे पड़ने की संभावना अधिक होती है। एमपीवी में अक्सर सामान्य रक्तचाप के लक्षण पैदा होते हैं जिनमें खांसी, बुखार, नाक बंद होना शामिल है।” होना और घरघराहट होना शामिल है, लेकिन कभी-कभी गंभीर मामलों में ये ब्रोंकाइटिस और निमोनिया का कारण बन सकता है।”

इस वायरस से लोगों की हो सकती है मौत?

सीडीसी ने आगे कहा, “अगर कोई भी मेडिकल मेडिकल कंडीशन में है तो एचएमपीवी के संक्रमण से मृत्यु हो सकती है। 2021 में लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक लेख के आंकड़ों के आधार पर अगर पांच साल से कम उम्र के बच्चों में श्वसन संक्रमण होता है तो एक प्रतिशत संभावना है कि एचएमपीवी के कारण मृत्यु हो सकती है। वर्तमान समय में एचएमपीवी के खिलाफ कोई टीका या प्रभावी दवा नहीं है और ज्यादातर दवाओं को कम करने के लिए उपचार होता है।

इस वायरस का भारत पर कितना असर होगा?

चीन में एचएमपीवी का प्रकोप रिया के बीच, स्वास्थ्य सेवा अस्पताल डॉ. अतुल गोयल ने देश की जनता का आकलन करते हुए कहा कि वर्तमान स्थिति को लेकर चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने लोगों से सामान्य सावधानी बरतने का आग्रह किया। मीडिया से बात करते हुए बोले डॉ. गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि अस्पताल सांस संबंधी संक्रमण के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं।

उन्होंने कहा, ”एचएमपीवी किसी भी और संबंधित सांस संबंधी वायरस की तरह है जो सामान्य बुखार का कारण बनता है। ये बहुत से नवजात शिशुओं और बहुत छोटे बच्चों में फ्लू के लक्षण पैदा हो सकते हैं। का विश्लेषण किया गया है। 2024 के आंकड़ों में किसी भी मामले में श्वसन संक्रमण का प्रकोप होता है और हमारे अस्पताल इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

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कनाडा जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा, डोनाल्ड ट्रंप ने विपक्षी नेता पियरे पोइलिव्रे को प्रधानमंत्री बनाने की कामना की, एलन मस्क ने किया ट्वीट

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कनाडा जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा: कनाडा के जस्टिन डेमोक्रेट ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पद और लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि वह अगले प्रधानमंत्री के चुनाव तक पद पर बने रहेंगे। जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की घोषणा के बाद अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड डोनाल्ड की प्रतिक्रिया सामने आई है। हालाँकि असलहा ने ये बैकअप प्रतिबंध पहले ही दे दिया था जब प्लैटफॉर्म जा रहे थे कि ट्रूडो पद छोड़ देंगे।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि अगर प्लास्टिक के नेता पियरे पोइलिवरे कनाडा के प्रधानमंत्री होंगे तो यह ‘बहुत अच्छा’ है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने डोनाल्ड व्हेल के एक रेडियो इंटरव्यू ह्यूग हेविट शो के साओमती से बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति, कनाडा के संगठन और कंजर्वेटिव नेता के साथ काम करना चाहते हैं। यथार्थ ने साक्षात्कार में कहा, “पॉलीवेरे कनाडा के नेता (पीएम) प्रमुख हैं तो मैं उनके साथ काम करने को लेकर उत्सुक हूं।” यह बहुत अच्छा होगा. हमारे विचार सबसे ज्यादा मेल खाएंगे.

एलन मस्क ने भी ले लीपेस्ट

जस्टिन ट्रूडो के बंद होने के बाद स्पेस एक्स और लॉबी के सीईओ एलन मस्क ने कहा कि 2025 में गुडिया डेमी आ रही है। असल में एक यात्री ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा था, ट्रम्प जीत गए। ट्रूडो ने छुट्टी दे दी. कीर स्टार (ब्रिटेन के थिएटर) बेनकाब हो गए। प्राइमरी बुकेले ने अल सल्वाडोर में अपराध में 95% की कटौती की। जेवियर मिले ने 2008 के बाद अर्जेंटीना में पहला अभिषेक बनाया। (दुनिया में) मर्दानगी वापस आ गई है। महान लोग प्रभुत्वशाली होते हैं और समय के साथ हमारी ज़रूरत होती है।”

आख़िर को ट्रूडो क्यों पसंद नहीं है?

अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव की जीत से पहले डोनाल्ड हिटलर ने कहा था कि अगर अमेरिका और कनाडा के बीच साझी सीमा को लेकर कोई प्रगति नहीं हुई तो वो दो पड़ोसी देशों कनाडा और मैक्सिको के सभी देशों पर 25 प्रतिशत टैरिफ (आयत शुल्क) लगाएंगे। )बढ़ेगा। इसके बाद घरेलू स्तर पर जस्टिन ट्रूडो को स्टांप का झटका लगा था।

कनाडा अमेरिका में 75 प्रतिशत सहयोगी हैं और कैनेडियन अर्थवस्था की कमर तोड़ने के प्रस्ताव पर जा रहे थे। वास्तविक के चुनाव के बाद ट्रूडो ने उन्हें बधाई भी दी लेकिन इसके बाद भी डोनाल्ड के प्रतियोगिता में कोई बदलाव नहीं आया।

बाकी मानते हैं कि जस्टिन ट्रूडो की वजह से अमेरिकी सरहद कनाडाई अप्रवासियों की वजह से खतरे में है और अमेरिका कनाडा के लिए फि जूलखर्ची कर रहा है। पिछले महीने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ ने एक पोस्ट क्यों की थी, जिसमें डोनाल्ड ने लिखा था, ”किसी के पास जवाब नहीं है कि हम कनाडा को हर साल 10 करोड़ डॉलर की छूट देते हैं। ज्यादातर कनाडाई 51वां प्रांत (अमेरिका का) चाहते हैं। इससे वे कर और सैन्य सुरक्षा पर होने वाले खर्च में बहुत बड़ी बचत करेंगे। मुझे लगता है कि यह 51वाँ राज्य है!!”

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जस्टिन ट्रूडो ने छोड़ी छुट्टी! पुनर्स्थापित पार्टी के नेता का पद, अगले प्रधानमंत्री चुने जाने तक कुर्सी पर बने रहेंगे

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जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफा: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार (6 जनवरी 2025) को कॉमेट और लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया है। कैनेडियन जर्नल ग्लोब एंड मेल के अनुसार, कैनेडियन ने कहा है कि वह नए प्रधानमंत्री बनने तक पद पर बने रहेंगे। देश में किसानों के बढ़ते विरोध के कारण ट्रूडो को पद छोड़ना पड़ा।

उन्होंने कहा, ”मुख्य पार्टी नेता के रूप में, प्रधानमंत्री के रूप में इस्तीफा देता हूं, जब तक पार्टी अपने अगले नेता को नहीं चुनेगी तब तक मैं पद पर आऊंगा। कल रात मैंने लिबरल पार्टी के अध्यक्ष से उस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कहा।” है।”

‘पछतावे’ को लेकर क्या बोले ट्रूडो?

ख़त्म होने के बाद मीडिया ने ट्रूडो से पूछा कि क्या उन्हें कोई पछतावा है? इसपर कनाडाई राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे एक पछतावा है कि मैं चाहता हूं कि हम इस देश में अपने को वोट देने के तरीकों को छोड़कर सक्षम हों” वर्तमान प्रधान मंत्री का सुझाव है कि वह चाहते हैं कि वोटर्स मतपत्र अपने दूसरे या तीसरे स्थान पर रहें वोटो के वोट चुने हुए। ट्रूडो ने कहा कि मेरे अकेले सिस्टम को बदला नहीं जा सकता, इसके लिए मुझे सभी सॉफ्टवेयर का साथ देना चाहिए।

आख़िर क्यों आई नौबत?

जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी काफी समय से आलोचनाओं के घेरे में है। सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह किसानों और उद्यमियों का खर्च कम करने में नाकाम रही है। इस बीच अमेरिकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड खैल ने घोषणा की कि वह कनाडा में 25 प्रतिशत का टैरिफ लाएंगे। इस मुद्दे पर भी ट्रूडो की खूब फजीहत हुई और अपनी ही पार्टी के नेताओं की आलोचना की गई. हालात तब और बुरे हो गए जब उनकी सरकार की उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने अपने पद से बहाली की घोषणा कर दी।

क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने अपने भाषण में कहा था कि अगर अमेरिका कनाडा में 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाएगा तो इस देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी। जस्टिन ट्रूडो को लेकर क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने कहा था कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो देश के राजकोषीय प्रदर्शन के बजाय ऐसी “महंगी लोकप्रियता वाली राजनीति करने” कर रहे हैं, जिसे देश झेल नहीं सकता। इसके बाद उनकी अल्पमत सरकार के समर्थन वाली पार्टी एनडीपी ने भी जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की धमकी दी थी।

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जस्टिन ट्रूडो ने दिया इस्तीफा तो डोलने लगेगी कनाडा की नैय्या! जानें कौन बनेगा खेवनहार

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<p>कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो एक बार फिर संकट से घिर गए हैं. विदेशों मोर्चों पर लगातार एक के बाद एक आफत से जूझने के बाद कनाडा की आंतरिक राजनीति ही ट्रूडो के गले की फांस बन गई है. इस बीच कनाडाई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया है कि कनाडा के पीएम सोमवार (6 जनवरी 2025) को इस्तीफा का ऐलान कर सकते हैं.</p>
<p>समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने द ग्लोब एंड मेल के हवाले से बताया कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सोमवार को लिबरल पार्टी के नेता के रूप में अपने इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं. तीन अज्ञात सोर्स से मिली जानकारी के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रूडो बुधवार (8 जनवरी 2025) को होने वाली एक अहम नेशनल कॉकस मीटिंग से पहले पद छोड़ने की अपनी योजना का खुलासा कर सकते हैं. हालांकि, घोषणा के सही वक्त को लेकर अभी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. इसके साथ ही यह भी स्पष्ट नहीं है कि ट्रूडो तत्काल इस्तीफा देंगे या नया नेता चुने जाने तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहेंगे. लेकिन इस खबर के साथ कुछ सवाल भी हैं कि आखिर ट्रूडो नहीं तो कौन?</p>
<p><strong>कौन ले सकता है जस्टिन ट्रूडो की जगह?</strong></p>
<p>द ग्लोब में पहले की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएम के सलाहकार इस बात पर सोच-विचार कर रहे हैं कि लिबरल पार्टी ट्रूडो के बाद कनाडा का प्रधानमंत्री किसे बनाया जाए और क्या प्रक्रिया अपनाई जाए. एक बार जब ट्रूडो अपने इस्तीफे का ऐलान कर देते हैं तो लिबरल पार्टी के पास दो विकल्प होंगे. अव्वल तो वह आम सहमति से एक अंतरिम नेता को चुन लें जो देश की कमान संभाल ले. दूसरा विकल्प होगा कि देश के नेतृत्व के लिए पार्टी के भीतर चुनाव कराए जाएं.</p>
<p>द ग्लोब की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रूडो ने कथित तौर पर वित्त मंत्री डोमिनिक लेब्लांक के साथ चर्चा की है कि क्या वह अंतरिम नेता और प्रधानमंत्री की भूमिका निभाने के इच्छुक हैं. हालांकि, अगर लेब्लांक चुनाव में उतरते हैं तो यह मुमकिन नहीं हो सकता कि वह अंतरिम प्रधानमंत्री भी बने रहें.&nbsp;</p>
<p>कनाडाई मीडिया कुछ और नामों के लेकर दावा कर रही है कि अगर ट्रूडो इस्तीफा देते हैं तो ये चेहरे प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदार हो सकते हैं. इसमें सबसे पहला नाम मार्क कार्नी का है. वह बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड के पूर्व गवर्नर हैं. कनाडाई मीडिया की खबरों के अनुसार वह लिबरल पार्टी के नेता पद के लिए चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं. इसके अलावा एक और नाम है कि जिसकी खूब चर्चा है, वह हैं क्रिस्टिया फ्रीलैंड.&nbsp;</p>
<p>क्रिस्टिया तब दुनिया भर की नजर में आई थी जब 16 दिसंबर 2024 को वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इस इस्तीफे के बाद से जस्टिन ट्रूडो पर आफत की बाढ़ सी आ गई. क्रिस्टिया को भी प्रधानमंत्री पद के लिए एक संभावित दावेदार माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि वह कुछ वक्त से सांसदों को अपने पक्ष में लाने की कवायद में जुटीं हैं. इसके अलावा मेलानी जोली भी प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. वह साल 2021 से कनाडा की शीर्ष राजनयिक हैं.</p>
<p><strong>जस्टिन ट्रूडो के लिए कहां से बिगड़ गए हालात?</strong></p>
<p>जस्टिन ट्रूडो साल 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री के पद पर बने हुए हैं. साल 2023 में कनाडा ने भारत के खिलाफ विदेशी मोर्चे पर कूटनीतिक जंग छेड़ दी. इस दौरान कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है. इसके बाद भारत के साथ कनाडा के रिश्ते ठंडे बस्ते में चले गए.&nbsp;</p>
<p>भारत से कूटनीतिक लड़ाई जरिए जस्टिन ट्रूडो घरेलू मोर्चे की चुनौतियों को छिपाना चाह रहे थे लेकिन उनकी पोल विपक्ष के नेताओं ने खोल दी. विपक्षी नेता ने ट्रूडो से कहा था कि अगर भारत के खिलाफ कोई आरोप हैं तो वह सीधे तौर पर सबूत पेश करें, वरना घरेलू नाकामियों को छिपाने के लिए ऐसा ‘ढोंग’ न रचें. इसके बाद जस्टिस ट्रूडो की मुश्किलें तब बढ़ गई जब अमेरिकी चुनाव जीतने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर दोनों देशों के बीच साझे बॉर्डर को सुरक्षित करने को लेकर कोई प्रगति नहीं हुई तो वो दो पड़ोसी देशों कनाडा और मेक्सिको के सभी उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ा देंगे.</p>
<p>ट्रंप के इस ऐलान के बाद जस्टिन ट्रूडो सरकार की तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी थी और कहा था कि अमेरिका और कनाडा के बीच व्यापार बड़े पैमाने पर होता है और अगर अमेरिका कनाडा पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा देगा तो इससे देश की अर्थव्यवस्था की कमर टूट जाएगी. जस्टिन ट्रूडो को लेकर क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने कहा था कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो देश की राजकोषीय हालत सुधारने की बजाय ऐसी "महंगी पड़ने वाली राजनीति करने" कर रहे हैं, जिसे देश झेल नहीं सकता.</p>
<p><strong>जगमीत सिंह ने अधर में छोड़ा ट्रूडो का साथ</strong></p>
<p>जस्टिन ट्रूडो की सरकार अल्पमत में है, उनकी सरकार को न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) का समर्थन मिला हुआ है. पिछले साल सितंबर और दिसंबर में एनडीपी के नेता जगमीत सिंह ने कहा था कि वह कनाडाई पीएम को लेकर अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे. जगमीत सिंह की पार्टी साझे राजनीतिक एजेंडे के बदले ट्रूडो की अल्पमत सरकार को समर्थन देती आई है. लेकिन पिछले साल ट्रूडो और एनडीपी के बीच की राजनीतिक रिश्तों की खाई तब और गहरी हो गई जब कनाडा सरकार ने देश के दो बड़े रेलवे के काम बंद करने पर कैबिनेट ने सख्ती बरती थी. इस फैसले के साथ ही एनडीपी नाराज हो गई और ट्रूडो के लिए हालात खराब होते चले गए.</p>
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america 63 million people affected by massive cold and winter storm in us emergency in two states of us

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Heavy Snowfall in US: संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ हिस्सों में रविवार (05 जनवरी, 2025) को मौसम ने करवट बदली है. भारी बर्फबारी, तेज हवाएं और गिरते तापमान ने अमेरिका के कई हिस्सों में खतरनाक स्थिति पैदा कर दी है. वहीं, कुछ हिस्सों में दशक की सबसे भारी बर्फबारी होने की संभावना है.

सड़कों पर जम गई बर्फीले पानी की परत

अमेरिका के कैंसस, पश्चिमी नेब्रास्का और इंडियाना के कुछ हिस्सों में प्रमुख सड़कों पर बर्फ की परत जम गई है. वहीं, राज्य के राष्ट्रीय गार्ड को फंसे लोगों की मदद के लिए सक्रिय किया गया है. अमेरिका के राष्ट्रीय मौसम सेवा ने कैंसस और मिसौरी में सर्दियों के तूफान की चेतावनी जारी की है, जहां तूफान की स्थिति में 45 मील प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं. वहीं, कम-से-कम 8 इंच की बर्फबारी की उम्मीद जताई गई थी. इसके अलावा न्यू जर्सी के लिए सोमवार (06 जनवरी) से मंगलवार (07 जनवरी) की सुबह तक के लिए चेतावनी दी गई है.

मौसम सेवा ने दिया बयान

मौसम सेवा ने रविवार (05 जनवरी) की सुबह में कहा, “इस इलाके में जिन जगहों पर सबसे ज्यादा बर्फ गिरने की संभावना है, वहां यह पिछले 10 सालों की सबसे भारी बर्फबारी हो सकती है.” राष्ट्रीय मौसम सेवा के बॉब ओरैवेक के मुताबिक, अमेरिका में रविवार (05 जनवरी) को लगभग 63 मिलियन लोगों को शीतकालीन चेतावनी दी गई थी.

किस कारण से अमेरिका में पड़ती है इतनी ठंड

दरअसल, नॉर्थ पोल के चारों ओर घुमने वाला पोलर वॉटेक्ट सबसे ज्यादा ठंडी हवाओं का एक घेरा होता है और जब यह वॉटेक्स उत्तर से निकलकर दक्षिण की ओर जाने लगता है तो अमेरिका, यूरोप और एशिया के लोगों को इतनी ज्यादा ठंड महसूस होती है. वहीं, रिसर्च से पता चला है कि तेजी से गर्म हो रहा आर्कटिक क्षेत्र पोलर वॉर्टेक्स के बर्फीले प्रभाव के बढ़ने के लिए जिम्मेदार है.

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africa sahara world largest and hottest desert snowfall happens in the sahara desert

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Sahara Desert in Africa : दुनियाभर में कई ऐसे स्थान जहां लोगों को घुमना बेहद पसंद है. कुछ के आकार, कुछ की सुंदरता और कुछ स्थानों की विशिष्टता उन्हें विशेष बनाती हैं, जहां लोग घूमना पसंद करते हैं. इनमें सोने की तरह चमकते रेत की टीले भी शामिल हैं, जो अपनी चमक से लोगों को अपनी ओर खींचते हैं. अफ्रीका में स्थित सहारा रेगिस्तान भी किसी अजूबे से कम नहीं है. सहारा दुनिया का सबसे बड़ा और पृथ्वी पर सबसे गर्म रेगिस्तान है, जो 9,200,000 वर्ग किलोमीटर में फैला है.

सहारा रेगिस्तान में कितने देश समाए हैं

सहारा रेगिस्तान अफ्रीका में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है, जो अफ्रीका के 11 देशों में फैला हुआ है. इनमें मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र, पश्चिमी सहारा, मॉरिटानिया, माली, नाइजर, चाड और सूडान शामिल है. सहारा रेगिस्तान मुख्य रूप से अपने रेत के टीलों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसमें चट्टानी पठार, नमक के मैदान, और पहाड़ भी हैं. वहीं, इसकी सबसे ऊंची चोटी एमी कौसी है, जो चाड के तिबेस्टी पर्वत में 3,415 मीटर ऊंचा ज्वालामुखी है.

सहारा रेगिस्तान में होती है बर्फबारी

उल्लेखनीय है कि सहारा की जलवायु बेहद ही कठोर है. दिन के समय यहां का तापमान 58 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. वहीं, रात के वक्त यही तापमान -6 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. ऐसे में दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे गर्म रेगिस्तान में बर्फबारी होने लगती है. साल 2018 में अल्जीरिया में 15 इंच तक बर्फ गिरी, जो रेगिस्तान में एक बेहद ही दुर्लभ नजारा है.

600 फीट ऊंचे बर्फ के टीले बनते हैं सहारा रेगिस्तान में

सहारा रेगिस्तान में रेत के टीले के अलावा बर्फ के टीले भी बनते हैं. जिनकी ऊंचाई 600 फीट तक भी होती है. जो कि न्यूयॉर्क के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई से लगभग दोगुनी है. इसके अलावा इसमें 20 से ज्यादा झीलें भी है, जिनमें अधिकतर खारे पानी की है. वहीं, सहारा का चाड झील, जो स्थानीय लोगों के भरण-पोषण करने वाली एक मीठे पानी की झील है.

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बांग्लादेश के न्यायाधीशों का भारत में प्रशिक्षण भोपाल अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने रद्द कर दिया

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बांग्लादेश न्यायाधीश: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने रविवार (5 जनवरी) को भारत में नामांकित प्रशिक्षण कार्यक्रम को रद्द करने की घोषणा की है। इस कार्यक्रम के तहत अगले महीने 10 फरवरी को 50 बांग्लादेशी जजों और धार्मिक अधिकारियों को मध्य प्रदेश में स्थित भारत की राष्ट्रीय राजधानी अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त करना था। बांग्लादेश के कानून मंत्रालय द्वारा इस फैसले की पुष्टि की गई, हालांकि रद्दीकरण के निष्कर्षों के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, यह निर्णय बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत लिया गया है।

कार्यक्रम के तहत बांग्लादेश के 50 जज भारत के एक दिव्य प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले थे। इन प्रशिक्षण में जिला और सत्र न्यायाधीश, अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, संयुक्त जिला न्यायाधीश, वरिष्ठ सहायक न्यायाधीश और सहायक न्यायाधीश शामिल थे। इस कार्यक्रम का पूरा खर्च भारतीय सरकार को देना था।

कार्यक्रम को रद्द करने की वजह
हालाँकि कार्यक्रम से जुड़ी अधिसूचना में कोई विशेष कारण नहीं दिया गया है, रिपोर्ट के अनुसार यह बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत किया गया है। इस फैसले के पीछे भारत और बांग्लादेश के बीच हाल के महीनों में बढ़ता तनाव भी एक कारण के रूप में देखा जा रहा है।

भारत और बांग्लादेश के रिश्ते में तनाव का कारण
2024 में बांग्लादेश में छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की 16 साल की सरकार गिर गई, जिसके बाद हसीना ने भारत में शरण ली। यह राजनीतिक गठबंधन भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव का कारण बना, क्योंकि भारत ख़ुशियाँ सरकार का प्रमुख सहयोगी था। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच समझौते में और भी तनाव बढ़ गया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ता तनाव
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद से भारत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर उठे मसूद को लेकर अपनी चिंता जताई है। कई हिंदू पूजा स्थलों और समुदायों पर हमले हुए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच की ताकत और समृद्धि है। भारत ने हाल ही में एक हिंदू भिक्षु की भिक्षुणी और जमानतदार को नीचे दिए गए विवरण को लेकर भी अपनी डॉयलॉग बातचीत की थी। बांग्लादेश में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और हिंदू समुदाय पर हो रहे मसूद को लेकर भारत लगातार ढाका के साथ अपने कारोबार को साझा कर रहा है। इन घटनाओं के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तनाव और बढ़ गया है।

आदर्श प्रशिक्षण कार्यक्रम के रद्द होने का क्या अर्थ है?
भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव का संकेत देता है पौराणिक प्रशिक्षण कार्यक्रम रद्द। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रूप से जटिल संबंध चल रहे हैं, और इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि बांग्लादेश की अस्थायी सरकार अपनी राजनीतिक दिशा में बदलाव ला रही है, खासकर भारत से दूरी टूट गई है।

नर्सरी और सहायक पर असरदार
ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम दोनों देशों के बीच कानूनी विशेष साझा करने और श्रमिक सहयोग को मजबूत करने के साधन के रूप में देखे जाते हैं। बांग्लादेश द्वारा इस कार्यक्रम को रद्द करने से बांग्लादेश-आस्था-तख्ता और देशों के बीच अन्य सहायक सामग्रियां प्रभावित हो सकती हैं।

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बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस का कहना है कि सेना के जवानों को देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए नई साजिश रच रहा बांग्लादेश! सेना से बोले मोहम्मद यूनुस

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मुहम्मद यूनुस की सेना को सलाह: बांग्लादेश और भारत के बीच संबंध पिछले साल अगस्त से टूटे हुए हैं। बांग्लादेशी कम्युनिस्ट भारत को मित्रता करने वाला बयान देता है। इस बीच देश के मुख्य सलाहकार तीन बौखला गए हैं कि अपनी सेना को जंग के लिए तैयार करने के लिए कह रहे हैं।

मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सेना को हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। बांग्लादेश के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशन डायरेक्टरेट (एमएसपीआर) ने एक प्रेस मॉनिटर में कहा कि वह आज राजबाड़ी सैन्य प्रशिक्षण क्षेत्र में सेना के 55 इन्फैंट्री डिवीजन की ओर से आयोजित सेना अभ्यास 2024-25 को देखने के बाद बोल रहे थे।

‘हमेशा अपडेट रहे सेना के जवान’

यूनुस ने कहा, “बांग्लादेश की सेना के राष्ट्र के लिए गौरव और विश्वास का स्थान है। अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए, सेना के सदस्यों को देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहना होगा।” उन्होंने बांग्लादेशी सेना के हथियारों को नई तकनीक और प्रशिक्षण में कुशल बनाने की सलाह दी। मुख्य सलाहकार ने यह भी कहा, “सैन्य मॉली का प्रशिक्षण कौशल, बहादुरी और व्यावसायिकता हासिल करने के लिए यथार्थवादी होना चाहिए।”

भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव की लपटें

अगस्त 2024 में शेख़ ख़ुशना के प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच का माहौल धीरे-धीरे ख़त्म हो गया। बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार ने भारत के खिलाफ कई ऐसे कदम उठाए, जिन्होंने भारत को नुकसान पहुंचाया। हालाँकि इसके बावजूद भारत ने बांग्लादेश की मदद की। मोहम्मद यूनुस की सरकार ने इस दौरान देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर शैलेश भी सादा ली। इसके बाद भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर खराब होने लगा।

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