Jashpur Information:फूड ग्रेड महुआ एकत्र करने की तकनीक सीखने महाराष्ट्र से पहुंचा किसानों का दल

Jashpur Information:फूड ग्रेड महुआ एकत्र करने की तकनीक सीखने महाराष्ट्र से पहुंचा किसानों का दल

शराब के लिए बदनाम महुआ से सैनिटाइजर और पोषक तत्वों से भरपूर लड्डू जैसे उत्पाद तैयार कर जशपुर ने इस वन उत्पाद को एक नई पहचान दिलाई है। हम इस तकनीक को सीखने के लिए जशपुर आएं हैं। उक्त बातें महाराष्ट के पालघर जिले के ग्राम जवाहर से आए किसान भरत तुकाराम खिरारी ने कही।

By Yogeshwar Sharma

Publish Date: Tue, 02 Apr 2024 08:21 PM (IST)

Up to date Date: Tue, 02 Apr 2024 08:21 PM (IST)

जशपुरनगर । शराब के लिए बदनाम महुआ से सैनिटाइजर और पोषक तत्वों से भरपूर लड्डू जैसे उत्पाद तैयार कर जशपुर ने इस वन उत्पाद को एक नई पहचान दिलाई है। हम इस तकनीक को सीखने के लिए जशपुर आएं हैं। उक्त बातें महाराष्ट के पालघर जिले के ग्राम जवाहर से आए किसान भरत तुकाराम खिरारी ने कही।

महाराष्ट्र के किसान भरत तुकाराम अपने सात साथियों के साथ इन दिनों जशपुर आए हुए हैं। यहां वे फूड ग्रेड महुआ एकत्र करने और एकत्रित महुआ से विभिन्न प्रकार खाद्य उत्पाद करने की तकनीक सीखने के लिए पहुंचे हैं। कृषि वैज्ञानिक समर्थ जैन इन किसानों को महुआ के साथ जशपुर में तैयार हो रहे चाय के 16 प्रकार सहित विभिन्न हर्बल उत्पाद की जानकारी उपलब्ध करा रहें हैं।

भ्रमण के पहले दिन किसानों ने बालाछापर में स्थित रीपा और गम्हरिया में संचालित अपने कार्यशाला का निरीक्षण किया। जशपुर में महुआ के हो रहे सदुपयोग से प्रभावित किसानों ने कहा कि जशपुर ने महुआ को नई पहचान दी है। राजेश कमलाकर, राजेश यशवंत कमाड़ी ने कहा कि अब तक महुआ का नाम सुनने से इससे तैयार होने वाली शराब की तस्वीर मन में उभरती थी। लेकिन जशपुर में तैयार महुआ लड्डू और सैनिटाइजर जैसे उत्पादों ने महुआ की छवि बदल कर रख दी है।

इस तरह महाराष्ट्र पहुंचा जशपुर का उत्पाद

किसान रमेश यशवंत कामड़ी,राजेश कमलाकर ने बताया कि वे सभी शाप फार एक्सचेंज नामक एक संगठन से जुड़े हुए हैं। इस संगठन के माध्यम से जशपुर के उत्पाद को महाराष्ट्र के मुंबई,कल्याण,थाणे सहित कई शहरों में स्टाल लगा कर बेचते हैं। किसानों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की तरह महाराष्ट्र में भी बृहद पैमान में जंगल से महुआ का संग्रहण ग्रामीण करते हैं। लेकिन इसका सबसे अधिक प्रयोग सिर्फ शराब बनाने में किया जाता है। पहले महाराष्ट्र के ग्रामीण अंचल में महुआ से रोटी बनाकर खाने की प्रथा थी। लेकिन अब नई पीढ़ी इससे भी दूर होती जा रही है। किसानों ने आशा जताई कि जशपुर के प्रयास को महाराष्ट्र में भी सफलता जरूर मिलेगी।

सीखेगें नेट से महुआ एकत्र करना

महराष्ट्र के पालघर जिले से आए किसान अगले कुछ दिनों में जिले के दुलदुला ब्लाक के ग्राम केंदपानी में किए जा रहे ग्रीन नेट से महुआ एकत्र करने की प्रक्रिया का अवलोकन करेगें। कृषि वैज्ञानिक समर्थ जैन ने बताया कि इस दौरान इन किसानों को महुआ पेड़ के चारों ओर नेट को स्टीक के सहारे लगाने और नेट में एकत्रित महुआ को सुरक्षित तरीके से रखने की तकनीकी की बारिकियों की जानकारी दी जाएगी। समर्थ जैन ने बताया कि फूड ग्रेड महुआ का भारत और विदेशों में अच्छा बाजार उपलब्ध है। किसानों को इससे अच्छा आय प्राप्त हो सकता है।

0-0