हैलोवीन की ही तरह 7 ऐसे भारतीय त्योहार जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं! देखें तस्वीरें
[ad_1]

दुनियाभर में अक्टूबर का महीना कई मायनों में खास रहता है. लोग उत्साह के साथ हैलोवीन का इतंजार करते हैं. हर साल दुनियाभर में 31 अक्टूबर 2025 को हैलोवीन मनाया जाता है. इस दिन लोग तरह-तरह की डरावनी पौशाकें पहनते हैं. बच्चे घूम-घूमकर ट्रिक और ट्रिट करते हैं.

जिस तरह अमेरिका समेत दुनियाभर के अन्य देशों में हैलोवीन मनाया जाता है, ठीक उसी तरह भारत के अंदर भी अलग-अलग समूहों के लोग भी आत्माओं को शांति देने, मृतकों के सम्मान और जीवन और मौत के बीच अजीब-अजीब तरह के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं.

पश्चिम बंगाल में काली पूजा से एक दिन पहले भूत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे भूत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व बंगाल के हैलोवीन की तरह ही है. इस दिन लोग अपनी पूर्वजों की आत्माओं को भटकने से रोकने के लिए 14 मिट्टी के दीये जलाकर घर के अलग अलग अंधेरे कोनों में रख देते हैं.

नेपाल, भारत के सिक्किम और दार्जिलिंग जैसे राज्यों में अगस्त से सितंबर के बीच गाय जात्रा जिसे गाय उत्सव भी कहा जाता है, इस दिन लोग अपनी प्रियजनों की याद में गाय या साधु का वेश धारण करते हैं और मृतकों की याद में गांव भर में जुलूस निकालते हैं.

भारत देश में सितंबर माह में 16 दिनों तक पितृ पक्ष का त्योहार मनाते हैं. इस दौरान हिंदू लोग अपने पूर्वजों की याद में उनका तर्पण और पिंडदान करते हैं. पितृ पक्ष का हैलोवीन से जुड़ाव मृतकों की आत्मा को सम्मान देना है. भारत के वाराणसी और गया बिहार में मुख्य रूप से पितृ पक्ष के दौरान भीड़ देखने को मिलती है.

भारतवर्ष में इस्लामी कैलेंडर के आठवें महीने में शब-ए-बारात को मनाया जाता है. मुसलमानों के लिए ये रात बेहद खास होती है. इस्लामी मान्यताओं के मुताबिक अल्लाह इस रात आने वाले साल में क्या होगा, इसका निर्णय करते हैं. यह रात प्रार्थना की रात होती है. शब-ए-बारात का हैलोवीन से जुड़ाव इस कदर है कि, लोग अपने दिवंगत प्रियजनों की कब्र पर जाकर आत्माओं के लिए अल्लाह से प्रार्थना करते हैं.

भारत के ओडिशा राज्य में दिवाली के दिन लोग बड़ा बदुआ डाका नामक विशेष अनुष्ठान करते हैं. इस दिन परिवार के लोग घर के सामने इक्ट्ठा होकर जूट की लकड़ियों को जलाते हैं. जलती हुई जूट की लकड़ियों को हाथ में पकड़कर उड़िया भाषा में विशेष तरह के मंत्रों का उच्चार करते हैं. इस अनुष्ठान को करने का उद्देश्य पूर्वजों की आत्माओं को शांति प्रदान करने के साथ वापस अपनी दुनिया में जाने के लिए प्रेरित करते हैं.

पितृपक्ष के अंतिम दिन पश्चिम बंगाल समेत पूर्वी राज्यों में महालया अमावस्या मनाया जाता है. दरअसल पितृपक्ष के बाद देशभर में दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जाता है. महालया के दिन लोग अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं, और नदी के किनारे अपने पूर्वजों की आत्मा को जल अर्पित करते हैं.

उत्तरी केरल के कासरगोड और कन्नूर जिले में दिसंबर से अप्रैल तक थेय्यम का उत्सव मनाया जाता है. थेय्यम मात्र एक त्योहार ही नहीं बल्कि जीता जागता और गहन नृत्य शैली है, जो 800 सालों से भी चला आ रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार थेय्यम नृत्य के दौरान कलाकार विशेष तरह का वेशभूषा को पहनकर किसी देवता या पूर्वज की आत्मा का माध्यम बन जाता है.
Published at : 31 Oct 2025 09:00 AM (IST)
[ad_2]

