रिजेक्शन झेलने के बाद इस एक्ट्रेस को आने लगे थे सुसाइड के ख्याल, आज भी अच्छे रोल की तलाश

रिजेक्शन झेलने के बाद इस एक्ट्रेस को आने लगे थे सुसाइड के ख्याल, आज भी अच्छे रोल की तलाश



बॉलीवुड से लेकर टीवी के तमाम स्टार्स ने रिजेक्शन झेले हैं. जहां कुछ रिजेक्शन का सामना करने के बावजूद अपने लक्ष्य को पाने के लिए डटे रहते हैं तो कुछ तनावग्रस्त हो जाते हैं तो कुछ को सुसाइड करने के ख्याल आने लगते हैं. बॉलीवुड की एक एक्ट्रेस को भी लगातार रिजेक्शन सें तंग आकर सुसाइड के ख्याल आने लगे थे हालांकि उन्होंने इस पर काबू भी पाया. जानते हैं ये कौन हैं.

हम जिस एक्ट्रेस की बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं अहाना कुमार हैं. 2018 में, आहना एस कुमरा ने बताया था कि कैसे बॉलीवुड से उनका ‘मोहभंग’ हो गया था और उन्हें इससे बाहर निकालने वाला कोई नहीं था, जिसकी वजह से उनके मन में आत्महत्या के विचार आने लगे थे. उन्होंने खुद से सवाल करने और यह महसूस करने के बारे में बताया कि वह वह नहीं बन पाईं जो उनके माता-पिता उनसे चाहते थे. ज़्यादा कुछ बताए बिना, उन्होंने कहा कि वह अपने जीवन के उस दौर के लिए बुरी संगति और उन कामों को ज़िम्मेदार मानती हैं जिन्हें करने के लिए वह तैयार नहीं थीं।

वहीं अब न्यूज़18 शोशा से बात करते हुए, आहना ने कहा, “इसमें थोड़ा समय लगा. ऐसा नहीं है कि ये चीजें तुरंत हो जाती हैं. मैंने उस समय बाहरी दुनिया के बारे में अपने नज़रिए को बंद कर दिया था. मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं, अपना सिर नीचे और ठुड्डी ऊपर रखी, और खुद से कहा कि काम करते रहो. मुझे लगता है कि मेरे काम ने ही मुझे आगे बढ़ाया है.”

रिजेक्शन से निपटना
इस बारे में और डिटेल से बताते हुए, उन्होंने कहा, “ऐसे कई रिजेक्शन हुए हैं जहां लोगों ने पलटकर ‘नहीं’ कह दिया. ‘फिट नहीं’ वाला मुहावरा अक्सर सामने आता था. आज, मैं कह सकती हूं कि यह ठीक है और मुझे पता है कि आगे और भी रिजेक्शन होंगे.”उन्होंने आगे कहा,”मुझे एक प्लान बी बनाने से मदद मिली. मैंने खुद से पूछा कि अगर कुछ काम नहीं कर रही है, तो मेरा अगला प्लान क्या है? तो, मेरे पास एक प्लान बी, एक प्लान सी, एक प्लान डी और फिर एक प्लान ज़ेड था. अब मुझे लगता है कि मेरे अंदर कहीं न कहीं, हमेशा यह विचार रहता था कि अगर एक चीज़ काम नहीं करती, तो कोई और चीज़ काम करेगी. मैं हर चीज़ में खराब नहीं हो सकती.

 


आज भी नहीं मिल रहे अच्छे रोल
फिल्म इंडस्ट्री में उनका सफ़र आज भी आसान नहीं है. लेकिन इसे जारी रखने से उन्हें अपनी क्षमताओं को समझने में मदद मिली है, जिससे उन्हें यह भी एहसास हुआ है कि हर चीज़ हमेशा उनके हिसाब से नहीं होती. आहना कहती हैं, “आज, मैं कह सकती हूं कि मुझे हमेशा से पता था कि मैं एक अच्छी अदाकारा हूं. आज भी, अवसरों की कमी है. मुझे जो भूमिकाएं मिल रही हैं, वे पर्याप्त अच्छी नहीं हैं और जिन फिल्म निर्माताओं के साथ मैं काम करना चाहती हूं, वे मेरे साथ काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन मुझे पता है कि कुछ और ज़रूर मेरे लिए कारगर होगा.”

और इसी सोच ने उन्हें निडर भी बनाया है.आहना कहती हैं, “मेरा मकसद हार न मानना ​​है – चाहे वह खुद पर हो, अपने काम पर हो या अपनी ज़िंदगी पर. मैंने जो भी कुछ सहा है, उसके बाद मेरा मंत्र है कभी हार न मानना. मुझे इसे समझने और इससे निपटने में काफ़ी समय लगा.और इसीलिए मैं नई चीज़ें आज़माने से नहीं कतराती. इसीलिए मैं नए लोगों से मिलने, अपने दायरे से बाहर आने और यह समझने से नहीं कतराती कि मेरी ज़िंदगी के बाहर भी एक दुनिया है.”