रूस के कामचटका क्षेत्र के पूर्वी तट के पास शनिवार (13 सितंबर) को 7.4 तीव्रता का जोरदार भूकंप आया. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वे (USGS) के अनुसार, भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर (6.2 मील) थी.
GFZ की रिपोर्ट के मुताबिक, भूकंप का केंद्र कामचटका के पूर्वी तट के नजदीक था. पैसिफिक त्सूनामी वॉर्निंग सेंटर ने चेतावनी दी है कि भूकंप के केंद्र से 300 किलोमीटर (186 मील) की दूरी तक तटवर्ती क्षेत्रों में खतरनाक लहरें उठ सकती हैं. भूकंप के तुरंत बाद अमेरिकी सुनामी वॉर्निंग सिस्टम ने सुनामी का खतरा जारी कर दिया. स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें सतर्क हो गई हैं और तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है.
3 अगस्त को फटा था ज्वालामुखी
The Washington Post की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 3 अगस्त 2025 को क्राशेनीनिकोव ज्वालामुखी ने लगभग 600 वर्षों बाद विस्फोट किया. यह विस्फोट 30 जुलाई को 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद हुआ, जिसे वैज्ञानिकों ने संभावित रूप से ज्वालामुखी गतिविधि के लिए प्रेरक माना है. विस्फोट के बाद, राख के बादल लगभग 6 किलोमीटर ऊंचाई तक उठे, लेकिन यह विस्फोट जनसंख्या-घनत्व वाले क्षेत्रों से दूर स्थित क्रोनोट्स्की नेचर रिजर्व में हुआ, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई.
इससे पहले 30 जुलाई को 8.8 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया था, जिसे वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखी फटने का कारण माना. विशेषज्ञों के अनुसार, भूकंप ने मैग्मा के प्रवाह और दबाव को प्रभावित किया, जिससे ज्वालामुखी सक्रिय हुआ. यह ज्वालामुखी करीब 1550 के बाद पहली बार फटा.
क्यों आता है भूकंप?
भूकंप मुख्यतः पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण आते हैं। पृथ्वी की बाहरी परत कई बड़ी प्लेटों में बंटी होती है, जो लगातार आपस में टकराती, खिसकती या अटकती हैं। जब ये प्लेटें अचानक मुक्त होती हैं या आपस में टकराती हैं, तो बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जो भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) के रूप में फैलती है और हमें धरती हिलती हुई महसूस होती है। इसके अलावा ज्वालामुखी विस्फोट, भूमिगत खदानों में धमाके या जमीन के अंदर दरारें भी भूकंप का कारण बन सकती हैं.
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