6,00,000 छात्रों को अमेरिका में पढ़ने की अनुमति… भारत के किस पड़ोसी पर मेहरबान हुए ट्रंप?


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने छह लाख चीनी छात्रों को अमेरिका आने की अनुमति दी है. उनका कहना है कि अमेरिका के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि चीनी छात्र यहां आए. ट्रंप ने चीन के साथ अमेरिका के रिश्तों पर भी जोर दिया और कहा कि वह इसे लेकर काफी सकारात्मक हैं. ट्रंप का यह भी कहना है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें बीजिंग बुलाने की इच्छा जाहिर की है.

चीन की तरफ डोनाल्ड ट्रंप के तेवर में काफी नरमी आई है वरना साल की शुरुआत में उन्होंने जिस तरह चीन के खिलाफ टैरिफ वॉर शुरू की और जो रुख अपनाया उससे बिल्कुल नहीं लग रहा था कि वह ऐसे फैसले लेंगे. वर्तमान में अमेरिका में 2,70,000 चीनी छात्र अमेरिकी यूनिवर्सिटी और कॉलेज में पढ़ाई करते हैं.

मई महीने में अमेरिका ने चीनी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए थे, मुख्यरूप से उनके जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हैं या रिसर्च फील्ड में हैं. हालांकि, जून में ट्रंप ने नरम तेवर अपनाते हुए कहा था कि वह चाहते हैं कि चीनी छात्र अमेरिका आएं.

डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार (26 अगस्त, 2025) को चीनी छात्रों के लिए यह ऐलान करते हुए कहा, मैंने कई कहानियां सुनी हैं कि हम चीनी छात्रों का आने नहीं दे रहे हैं. हम उन्हें यहां आने के अनुमति दे रहे हैं. ये बहुत जरूरी है कि छह लाख छात्रों को यहां आने की अनुमति दी जाए.चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों को लेकर ट्रंप ने कहा कि इसे लेकर काफी सकारात्मक हैं.

ट्रंप ने कहा, ‘चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चाहते हैं कि मैं चीन जाऊं. हमारे रिश्ते बेहद महत्वपूर्ण हैं. जैसा कि आप जानते हैं, टैरिफ और अन्य चीजों के जरिए काफी सारा पैसा चीन से अमेरिका आता है और हमारा रिश्ता बहुत खास है. हम चीन के साथ रिश्ते अच्छे रखेंगे. आर्थिक रूप से जितने अच्छे रिश्ते हमारे चीन के साथ हैं, उतने अच्छे जो बाइडेन के शासन में नहीं थे.

साल की शुरुआत में ट्रंप ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर भारी टैरिफ लगाया था और यह आंकड़ा बढ़ते-बढ़ते 145 परसेंट टैरिफ पर पहुंच गया, जिसके जवाब में चीन ने भी 125 परसेंट टैरिफ की घोषणा कर दी. हालांकि, मई में दोनों तरफ से अतिरिक्त टैरिफ पर रोक लगा दी गई, लेकिन ट्रंप उसके बाद भी कई बार अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दे चुके हैं. ट्रंप ने चीनी मैगनेट पर भी 200 प्रतिशत टैरिफ का प्रस्ताव दिया था. उन्होंने कहा था कि मैगनेट की मार्केट में वैश्विक स्तर पर चीन की मोनोपोली है.