अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स को एक ‘छोटा समूह’ बताते हुए दावा किया कि यह ‘डॉलर के प्रभुत्व’ को तोड़ना चाहता है. उन्होंने साथ ही चेतावनी दी कि यदि ब्रिक्स के सदस्य राष्ट्र ऐसा करते हैं तो वे उन पर 10 प्रतिशत शुल्क लगा देंगे. ट्रंप ने दस दिनों में दूसरी बार ब्रिक्स के सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को 10 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी दी है.
ट्रंप ने शुक्रवार (18 जुलाई, 2025) को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘आपके पास ब्रिक्स नाम का एक छोटा सा समूह है. इसकी चमक तेजी से फीकी होती जा रही है, लेकिन ब्रिक्स डॉलर का प्रभुत्व, मानक मुद्रा का दर्जा तोड़ने की कोशिश कर रहा है.’
ब्रिक्स समूह के देशों ने अमेरिका पर किया पलटवार
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ‘जीनियस एक्ट’ पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘मैंने कहा कि ब्रिक्स देशों के समूह में शामिल किसी भी देश पर हम 10 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे.’ ‘जीनियस एक्ट’ पहला क्रिप्टोकरेंसी विधेयक है, जिसे अमेरिकी विधायिका ने मंजूरी दी है. यह स्थिर क्रिप्टोकरेंसी के लिए नियामक ढांचा स्थापित करता है.
ट्रंप की ओर से विश्वभर के देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की प्रारंभिक घोषणा के कुछ सप्ताह बाद इस महीने की शुरुआत में रियो डी जेनेरियो में दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स समूह के देशों ने अमेरिका पर अप्रत्यक्ष रूप से प्रहार किया और एकतरफा तरीके से आयात शुल्क में वृद्धि को लेकर गंभीर चिंता जताई थी.
वैश्विक व्यापार को बड़ा खतरा
6 जुलाई को जारी ब्रिक्स के घोषणापत्र में कहा गया कि शुल्क वृद्धि विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप नहीं है और इससे वैश्विक व्यापार को खतरा होगा. ट्रंप ने 8 जुलाई को दावा किया था कि ब्रिक्स की स्थापना अमेरिका को नुकसान पहुंचाने और डॉलर को कमजोर करने के लिए की गई है. उन्होंने चेतावनी दी कि इस समूह के सदस्य देशों को 10 प्रतिशत शुल्क का सामना करना पड़ेगा.
ट्रंप ने शुक्रवार को डॉलर को लेकर अपनी चिंता दोहराते हुए दावा किया, ‘अगले दिन ब्रिक्स देशों की बैठक हुई और लगभग कोई भी नहीं आया. वे शुल्क नहीं चाहते थे, यह आश्चर्यजनक है. नहीं, हम डॉलर को कमजोर नहीं होने देंगे. अगर हमारे पास एक बुद्धिमान राष्ट्रपति है तो आप डॉलर को कभी कमजोर नहीं होने देंगे.’
विश्व युद्ध हारने जैसा कमजोर
ट्रंप ने आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया की आरक्षित मुद्रा के रूप में डॉलर की स्थिति पर जोर देते हुए कहा कि आरक्षित मुद्रा बहुत महत्वपूर्ण है. अगर हम इसे खो देते हैं तो यह विश्व युद्ध हारने जैसा होगा. हम किसी को भी हमारे साथ खेलने की इजाजत नहीं दे सकते, इसीलिए जब मैंने ब्रिक्स के छह देशों के इस समूह के बारे में सुना तो मैंने उन पर बहुत जोरदार प्रहार किया.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘अगर वे कभी बने भी, अगर वे कभी वाकई सार्थक तरीके से बने भी तो यह बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा. मुझे नहीं लगता कि वे ऐसा करेंगे भी, वे एक तरह से मुझसे डरे हुए हैं.’
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