Mahindra & Mahindra: देश की जानी-मानी ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) और ऑटो कॉम्पोनेंट्स बनाने वाली कंपनी ऊनो मिंड (Uno Minda) भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट्स बनाने के अपने प्लान पर विचार कर रही है. सरकारी सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यह कदम भारत सरकार द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट्स के लिए चीन पर निर्भरता कम करने के लिए प्रोत्साहन देने के बाद उठाया गया है.
2500 करोड़ की प्रोत्साहन योजना की तैयारी
बता दें कि सरकार ने देश में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2500 करोड़ रुपये तक की प्रोत्साहन योजना शुरू करने की तैयारी में है. भारत इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है ताकि चीन पर अधिक निर्भर न पड़े, जो दुनिया में 90 परसेंट से अधिक रेयर अर्थ मैग्नेट्स की प्रोसेसिंग के लगभग 90 परसेंट हिस्से पर अपना कंट्रोल रखता है.
अमेरिका से ट्रेड वॉर के बीच चीन ने इन मैग्नेट्स के निर्यात पर रोक लगा दी, जिससे ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित हुई और इसका असर तमाम ऑटोमोबाइल कंपनियों पर पड़ा है. हालांकि, हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत के बाद अमेरिका और यूरोप में इसकी शिपिंग फिर से शुरू हो गई है, जबकि भारत को अभी भी मंजूरी मिलने का इंतजार है.
REEs के प्रोडक्शन के लिए साथ आए दोनों
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, महिंद्रा जैसी कुछ और कंपनियों ने भी रेयर अर्थ मैग्नेट्स के प्रोडक्शन में निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई है. हालांकि, उत्पादन शुरू होने में एक या दो साल लगेंगे. भारी उद्योग मंत्रालय के साथ हाल ही में हुई एक बैठक में महिंद्रा ने कथित तौर पर कहा कि वह इस काम के लिए पार्टनरशिप करने और लोकल मैन्युफैक्चररर्स के लिए लॉन्ग टर्म सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट्स पर साइन करने के लिए तैयार है. ऊनो मिंडा ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाई है, जो मारुति सुजुकी जैसी कई और ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए कलपुर्जों की सप्लाई करती है.
भारत में नहीं REEs की कमी
आपको बता दें कि भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट्स की कोई कमी नहीं है. भारत के पास रेयर अर्थ मैग्नेट्स का दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा रिजर्व है, लेकिन इसकी प्रोसेसिंग और रिफाइनिंग के लिए अभी भी चीन पर निर्भर है. देश में इसकी माइनिंग की जिम्मेदारी फिलहाल सरकारी कंपनी IREL पर है. 2024 में IREL ने लगभग 2,900 टन रेयर अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन किया, जिसका अधिकतर हिस्सा भाग देश के न्यूक्लियर और डिफेंस सेक्टर में इस्तेमाल किया जाता है और जापान को भी एक्सपोर्ट किया जाता है.
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