Sawan 2025: 11 जुलाई से शुक्रवार को शुरू हो रहा है श्रावण मास, जानें व्रत, पूजा विधि

Sawan 2025: 11 जुलाई से शुक्रवार को शुरू हो रहा है श्रावण मास, जानें व्रत, पूजा विधि


Sawan 2025: सावन 2025 की शुरुआत 11 जुलाई, शुक्रवार से हो रही है. यह माह भगवान शिव की भक्ति और तपस्या का पर्व माना जाता है. इस बार सावन पूरे 30 दिन चलेगा और चार सोमवार पड़ेंगे.

शिव भक्तों के लिए यह समय व्रत, रुद्राभिषेक और विशेष पूजन का है. जानिए कब हैं सावन सोमवार, कैसे करें शिव पूजा, और क्यों ये महीना आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष होता है.

सावन 2025 की शुरुआत कब से हो रही है?

  • आरंभ तिथि: 11 जुलाई 2025, शुक्रवार (आषाढ़ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से)
  • अंतिम तिथि: 9 अगस्त 2025
  • अवधि: पूरे 30 दिन का यह मास शिवभक्ति, व्रत और जलाभिषेक के लिए श्रेष्ठ माना गया है.

राज्यवार सावन आरंभ की तिथियां







क्षेत्र तिथि आधार
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य भारत 11 जुलाई  पारंपरिक पंचांग
उत्तराखंड, हिमाचल (स्थानीय मान्यता) 16 जुलाई स्थान विशेष पर गणना
महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र, तमिलनाडु आदि 25 जुलाई अमांत पंचांग पर आधारित

सावन सोमवार व्रत की प्रमुख तिथियां








सोमवार तिथि विशेषता
पहला 14 जुलाई 2025 आरंभिक ऊर्जा का दिन
दूसरा 21 जुलाई 2025 सिद्धि और मनोकामना पूर्ति
तीसरा 28 जुलाई 2025 विशेष अभिषेक का योग
चौथा 4 अगस्त 2025 पूर्णता और वरदान प्राप्ति का दिन

सोलह सोमवार व्रत भी सावन से ही शुरू कर कई महिलाएं मनोकामना पूर्ति हेतु करती हैं.

सावन में शिव पूजा कैसे करें? (व्रत व पूजन विधि)

प्रातः कालीन पूजन विधि

  • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर, मंदिर की सफाई करें.
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर गंगाजल) से शिवलिंग पर अभिषेक करें.
  • बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, अक्षत, आक और इत्र अर्पित करें.
  • शुभ जलाभिषेक का समय: प्रातः 5:33 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
  • जप मंत्र: ॐ नमः शिवाय” का निरंतर जप करें.

अन्य विशेष कार्य

  • दिनभर व्रत रखें (निर्जल या फलाहार).
  • शिव चालीसा, रुद्राष्टक या रुद्राभिषेक का पाठ करें.
  • शाम को दीप जलाकर शिव आरती करें.

क्यों माना जाता है सावन को शिवभक्ति का सबसे श्रेष्ठ मास?

पौराणिक कारण
जब समुद्र मंथन हुआ था, तब निकले विष (हलाहल) को भगवान शिव ने ग्रहण कर अपने कंठ में समाहित किया. इस कारण वे “नीलकंठ” कहलाए. यह घटना सावन में मानी जाती है, इसलिए शिव को इस महीने ठंडक प्रदान करने हेतु जल, बेलपत्र, भांग आदि चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.

आध्यात्मिक दृष्टि से
यह माह ध्यान, भक्ति, आत्मचिंतन और व्रत के माध्यम से कर्म शुद्धि और मोक्ष मार्ग का द्वार खोलता है.

विशेषज्ञ मत ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा जो ज्योतिष, वास्तु और रत्न विशेषज्ञ हैं इनका मानना है कि सावन का प्रत्येक सोमवार व्रत करने से व्यक्ति को भाग्य, स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन में अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं. शिवभक्ति और संयम इस मास की आत्मा हैं.

FAQs
Q. सावन में क्या खाना वर्जित होता है?
इस महीने प्याज, लहसुन, मांसाहार और तामसिक भोजन से बचना चाहिए.

Q. सावन में शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
तुलसी, केतकी फूल और नारियल का जल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए.

Q. क्या स्त्रियां शिवलिंग को स्पर्श कर सकती हैं?
व्रत में जल अर्पण कर सकती हैं, लेकिन पारंपरिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग को स्पर्श न करें.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

admin

admin

अपनी टिप्पणी दे

हमारे न्यूज़लेटर के लिए साइन