सावन में रोज चढ़ाएं बेलपत्र, लेकिन इन दिनों में भूलकर भी न तोड़ें

सावन में रोज चढ़ाएं बेलपत्र, लेकिन इन दिनों में भूलकर भी न तोड़ें


सावन महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. सावन की शुरुआत होते ही भक्त शिवलिंग की पूजा करते हैं और प्रिय चीजें अर्पित करते हैं. भगवान शिव के प्रिय चीजों में बेलपत्र भी एक है. बेलपत्र चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं.

सावन महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. सावन की शुरुआत होते ही भक्त शिवलिंग की पूजा करते हैं और प्रिय चीजें अर्पित करते हैं. भगवान शिव के प्रिय चीजों में बेलपत्र भी एक है. बेलपत्र चढ़ाने से भगवान प्रसन्न होते हैं.

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि, समद्र मंथन से निकले हलाहल विष को जब शिव ने पी लिया था तब उनके शरीर का ताप बहुत बढ़ गया था, जिसे शांत करने से देवताओं ने उन्हें जल और बेलपत्र अर्पित किया था. तबसे बेलपत्र शिव पूजन का अभिन्न अंग बन गया.

भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के पीछे ऐसी मान्यता है कि, समद्र मंथन से निकले हलाहल विष को जब शिव ने पी लिया था तब उनके शरीर का ताप बहुत बढ़ गया था, जिसे शांत करने से देवताओं ने उन्हें जल और बेलपत्र अर्पित किया था. तबसे बेलपत्र शिव पूजन का अभिन्न अंग बन गया.

बेलपत्र की तीन पत्तियों को ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक माना जाता है. शिवजी से जुड़ी सभी पूजा में बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए. वहीं सावन महीने में तो हर दिन भगवान शिव को आप बेलपत्र चढ़ा सकते हैं.

बेलपत्र की तीन पत्तियों को ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतीक माना जाता है. शिवजी से जुड़ी सभी पूजा में बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए. वहीं सावन महीने में तो हर दिन भगवान शिव को आप बेलपत्र चढ़ा सकते हैं.

लेकिन शिव पुराण में में कुछ ऐसे दिनों के बारे में बताया गया है, जिसमें बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है. इसलिए आप सावन में भले ही रोज बेलपत्र चढ़ाएं, लेकिन वर्जित दिनों में बेलपत्र भूलकर भी न तोड़ें. आप इससे एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़कर रख सकते हैं.

लेकिन शिव पुराण में में कुछ ऐसे दिनों के बारे में बताया गया है, जिसमें बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है. इसलिए आप सावन में भले ही रोज बेलपत्र चढ़ाएं, लेकिन वर्जित दिनों में बेलपत्र भूलकर भी न तोड़ें. आप इससे एक दिन पहले ही बेलपत्र तोड़कर रख सकते हैं.

मान्यता है कि बेलपत्र छह माह तक भी बासी नहीं होते हैं. इसलिए आप कभी भी इसे तोड़कर रख सकते हैं. इतना ही नहीं अगर आपके आसपास बेलपत्र न हो या बेलपत्र उपलब्ध न हो पाए तो आप मंदिर में पहले से चढ़े हुए बेलपत्र को धोकर भी फिर से चढ़ा सकते हैं.

मान्यता है कि बेलपत्र छह माह तक भी बासी नहीं होते हैं. इसलिए आप कभी भी इसे तोड़कर रख सकते हैं. इतना ही नहीं अगर आपके आसपास बेलपत्र न हो या बेलपत्र उपलब्ध न हो पाए तो आप मंदिर में पहले से चढ़े हुए बेलपत्र को धोकर भी फिर से चढ़ा सकते हैं.

पुराणों के अनुसार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, सोमवार के दिन और दोपहर के समय कभी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इन तिथियों में बेलपत्र तोड़ने से शिवजी नाराज होते हैं.

पुराणों के अनुसार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, सोमवार के दिन और दोपहर के समय कभी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इन तिथियों में बेलपत्र तोड़ने से शिवजी नाराज होते हैं.

Published at : 10 Jul 2025 10:00 AM (IST)

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