Iran Israel War: एक ओर मिसाइलें थम गईं, दूसरी ओर चंद्रमा मुस्करा रहा था. ईरान और इजराइल, दो ऐसे देश जिनके बीच जंग की आंधी तेज हो चुकी थी… लेकिन ये अचानक शांत कैसे हो गए?
ना कोई शांति समझौता, ना कोई आधिकारिक बातचीत…फिर ऐसा क्या हुआ कि सुबह 9:30 बजे ईरान रुका और ठीक 12 घंटे बाद रात 9:30 बजे इजराइल भी थम गया?
क्या यह सिर्फ राजनीति थी या आकाश में ग्रहों ने कोई लीला रची थी और इशारा कर रहे थे और कह रहे थे बहुत हुआ अब थम जाओ! ज्योतिष अनुसार जब चंद्रमा रोहिणी में होता है, युद्ध की ज्वाला खुद ठंडी पड़ जाती है.
इस दिन ग्रहों ने कुछ ऐसा रचा जिसे दुनिया ‘सीजफायर’ (Iran Israel Ceasefire) कह रही है, पर ब्रह्मांड इसे ‘संकेत’ कहता है. कैसे? जानते हैं-
क्या यह सिर्फ संयोग था या ग्रहों का कोई खेल
24 जून 2025 का दिन, जब दुनिया ने राहत की सांस ली. सुबह 9:30 पर ईरान ने और रात 9:30 पर इजराइल ने आक्रमण रोकने की घोषणा की. लेकिन यह शांति अचानक क्यों आई? क्या इसका जवाब आकाश में था?
ग्रह गोचर- 24 जून 2025 को ग्रहों की स्थिति
ग्रह | स्थिति | संकेत |
सूर्य | मिथुन (अर्द्रा) | संवाद, बदलती विचारधाराएं |
चंद्र | वृष रोहिणी (पूरे दिन) | स्थिरता, कोमलता, शांत मन |
बुध | कर्क (पुनर्वसु) | भावना से भरा संवाद |
शुक्र | मेष (भरणी) | इच्छाओं में तीव्रता |
मंगल | सिंह (मघा) | आक्रामकता, गरिमा, सैन्य दृष्टि |
गुरु | मिथुन अर्द्रा (अस्त) | विवेक में कमी, भ्रम की प्रवृत्ति |
शनि | मीन (उत्तरभाद्रपद) | करुणा, नियंत्रण, संधि के संकेत |
राहु | कुंभ (शतभिषा नक्षत्र) | वायु तत्व, क्रांति, विद्रोह का संकेत, रहस्य, टेक्नोलॉजी, छिपे एजेंडा |
केतु | सिंह (मघा नक्षत्र) | पुराने राजनीतिक एजेंडा को तोड़ने की प्रवृत्ति |
चंद्रमा का प्रभाव और युद्ध विराम का संकेत?
09:30 IST (ईरान का सीजफायर)
- चंद्रमा वृष राशि में, रोहिणी नक्षत्र में था, यह नक्षत्र शांति, संतुलन और मातृत्व भाव का प्रतीक है.
- रोहिणी चंद्रमा का प्रिय नक्षत्र है, जिससे भावनात्मक स्थिरता आती है.
21:30 IST (इजराइल का सीजफायर)
- ब भी चंद्रमा रोहिणी में ही था. दिन भर यही नक्षत्र बना रहा.
- यानी सुबह और रात दोनों युद्धविराम शांति, संवाद और स्थिरता के काल में हुए.
शास्त्रों की दृष्टि से, ग्रहों ने कैसे मार्ग प्रशस्त किया?
बृहज्जातक (वराहमिहिर) के अनुसार
‘यदा चंद्रः रोहिण्यां स्थितः, गुरु अस्तः, शनि करुणामय राशि गतो, तदा युद्धे स्थगनं, संधि च सम्भवतीति.’
भावर्थ:
- चंद्र रोहिणी में-संवाद और कोमलता
- गुरु अस्त- विवेक क्षीण, अहं कमजोर
- शनि मीन- करुणा, शांति की मांग
मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार
‘रोहिणी नक्षत्रे स्थिते चंद्रे शत्रुता नश्यति, संवादः जायते.’ यानि जब चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में स्थित होता है, तब शत्रुता समाप्त हो जाती है और संवाद उत्पन्न होता है.
क्या यह स्थायी शांति है या विश्राम मात्र?
आज की स्थिति से अब कायस लगाया जा रहा है कि ये युद्ध विराम लंबे समय तक कायम रहेगा, लेकिन ग्रहों की स्थिति चौंकाने वाले संकेत दे रही है, ये संकेत क्या हैं ग्रह की भूमिका से जानते हैं-
- 13 जुलाई 2025: शनि वक्री होगा, पुराने घाव और रणनीतियां फिर से उभर सकती हैं. शनि वक्री के प्रभाव से वार्ता धीमी हो सकती है.
- 7 जुलाई 2025: गुरु उदय, यह स्थायी शांति की ओर बढ़ने का पहला सकारात्मक योग होगा.
- 19 अगस्त 2025: मंगल कन्या में, साइबर युद्ध तकनीकी हमले की संभावना.
- 7-8 सितंबर 2025: चंद्रग्रहण, एक और भूचाल, संभवत राजनीतिक हो सकता है.
ईरान और इजराइल के इस युद्धविराम को संयोग कहना शायद आधा सत्य होगा. लेकिन ज्योतिष से ये स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि जब चंद्रमा रोहिणी में होता है, गुरु मौन होता है और शनि मीन राशि में करुणा जगाता है, तो युद्ध विराम की स्थिति बनती है.
FAQs
Q1. क्या यह शांति स्थायी रहेगी?
संभावना कम है. जुलाई में शनि वक्री होने से फिर तनाव लौट सकता है.
Q2. चंद्रमा रोहिणी में होने से क्या प्रभाव पड़ता है?
यह नक्षत्र संवाद, प्रेम और स्थिरता को बढ़ावा देता है.
Q3. कब तक शांति रह सकती है?
यदि 7-15 जुलाई के बीच वार्ता होती है, तो यह स्थायी दिशा में पहला कदम हो सकता है.
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