अहमदाबाद में 12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के क्रैश के बाद से विमान यात्रा की सुरक्षा को लेकर दुनियाभर में चिंता बढ़ गई है. इसी बीच AirlineRatings.com ने 2025 की दुनिया की सबसे सुरक्षित एयरलाइंस की लिस्ट जारी की है, जिसमें फुल-सर्विस और लो-कॉस्ट दोनों कैटेगरी की टॉप कंपनियों को जगह दी गई है.
किन बातों पर आधारित है यह रैंकिंग?
इस लिस्ट में 385 एयरलाइंस को शामिल कर कई पहलुओं पर जांच की गई, जैसे, पिछले दो सालों में क्रैश या गंभीर हादसों का रिकॉर्ड, पायलट ट्रेनिंग, बेड़े (फ्लीट) की उम्र और आकार, मुनाफा और इंटरनेशनल सेफ्टी सर्टिफिकेशन (जैसे IOSA और ICAO).
टॉप 10 सबसे सुरक्षित फुल-सर्विस एयरलाइंस (2025)
Air New Zealand
Qantas
Cathay Pacific
Qatar Airways
Emirates
Virgin Australia
Etihad Airways
ANA (All Nippon Airways)
EVA Air
Korean Air
ब्रिटिश एयरवेज, लुफ्थांसा, जापान एयरलाइंस (JAL) और एयर कनाडा जैसी बड़ी कंपनियां भी टॉप 25 में शामिल हैं.
सबसे सुरक्षित लो-कॉस्ट एयरलाइंस में भारत की झलक
कम-खर्च वाले यानी Low-Cost Airlines की टॉप लिस्ट में भारत की IndiGo और AirAsia India को शामिल किया गया है. इनके साथ Ryanair, easyJet, JetBlue, Southwest जैसी कंपनियां भी इस लिस्ट में टॉप पर हैं.
भारत में सबसे सेफ एयरलाइंस कौन सी है?
भारत की एयरलाइंस की सुरक्षा रैंकिंग इस साल काफी चर्चा में रही है. AirlineRatings.com द्वारा जारी 2025 की सेफ्टी रेटिंग के अनुसार, SpiceJet को भारत की सबसे सुरक्षित एयरलाइन घोषित किया गया है, जिसे 7 में से पूरे 7 स्टार मिले हैं. इसके बाद IndiGo और Akasa Air को 6 में से 7 स्टार दिए गए हैं, जो एक मजबूत प्रदर्शन को दिखाता है.
वहीं, Air India को केवल 4 स्टार और उसकी सहायक कंपनी Air India Express को महज 2 स्टार की रेटिंग मिली है. एयर इंडिया की यह गिरती हुई रैंकिंग हाल ही में हुए AI171 विमान हादसे के बाद सामने आई है, जिसके चलते उसे ग्लोबल सेफ्टी लिस्ट में भी जगह नहीं मिल पाई है.
यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि देश की कुछ एयरलाइंस ने सुरक्षा के मामले में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, लेकिन एयर इंडिया जैसी दिग्गज कंपनी को अभी लंबा सुधार करना बाकी है.
चिंता की बात क्यों है?
जहां एक ओर भारत की कुछ लो-कॉस्ट एयरलाइंस इंटरनेशनल लेवल पर अपनी जगह बना रही हैं, वहीं देश की सबसे पुरानी और बड़ी एयरलाइन एयर इंडिया को सेफ्टी रेटिंग में पीछे होना दिखाता है कि सुधार की सख्त जरूरत है.
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