Pakistan Embarrassed In US: ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेशों में भेजा था. इसकी नकल करते हुए पाकिस्तान ने भी बिलावल भुट्टो के नेतृत्व में एक डेलिगेशन अमेरिका भेजा, जहां उसकी जमकर बेइज्जती हुई. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को बढ़ावा देते हुए, सीनियर अमेरिकी कांग्रेसी ब्रैड शेरमैन ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से आतंकवादी ग्रुप जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने और पाकिस्तान के अंदर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा.
गुरुवार (05 जून, 2025) को वाशिंगटन डीसी में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करते हुए शेरमैन ने डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई करने के लिए कहा. डॉ. अफरीदी एक पाकिस्तानी डॉक्टर हैं, जिन्हें ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में सीआईए की मदद करने के लिए जेल में डाला गया था. अफरीदी ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बिन लादेन के परिवार से डीएनए सैंपल इकट्ठे करने के लिए एक कॉवर्ट पोलियो वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाने में मदद की थी. मई 2011 में एबटाबाद में बिन लादेन के परिसर पर अमेरिकी रेड के तुरंत बाद गिरफ्तार किए गए अफरीदी को 2012 में 33 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. शेरमैन ने अफरीदी की रिहाई को 9/11 के पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया.
क्या कहा शेरमैन ने?
शेरमैन ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान को जैश जैसे घृणित समूह को खत्म करने और क्षेत्र में आतंकवाद से लड़ने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए. उन्होंने खासतौर से 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या में जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका पर जोर दिया. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी उमर सईद शेख को पर्ल के अपहरण और हत्या की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया था.
शेरमैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “मैंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को आतंकवाद और विशेष रूप से जैश-ए-मोहम्मद समूह से लड़ने के महत्व पर जोर दिया, जिसने 2002 में मेरे निर्वाचन क्षेत्र के निवासी डेनियल पर्ल की हत्या कर दी थी. पर्ल का परिवार अभी भी मेरे जिले में रहता है और पाकिस्तान को इस घृणित समूह को खत्म करने और क्षेत्र में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए.”
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार को लेकर भी जताई चिंता
आतंकवाद के अलावा शेरमैन ने पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ किए जा रहे व्यवहार के बारे में भी चिंता जताई. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान में ईसाइयों, हिंदुओं और अहमदिया मुसलमानों को हिंसा, उत्पीड़न, भेदभाव या असमान न्याय के डर के बिना अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने और लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत उन्हें रहने दिया जाना चाहिए.
शेरमैन ने प्रतिनिधिमंडल से कहा, “पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है.” उन्होंने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में चल रही अंतर्राष्ट्रीय चिंताओं पर भी जोर दिया.
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