कभी किया था विरोध अब हाथ मिलाने को तैयार, Jio और Airtel के लिए Starlink क्यों जरूरी?

कभी किया था विरोध अब हाथ मिलाने को तैयार, Jio और Airtel के लिए Starlink क्यों जरूरी?


Airtel-Jio Starlink Deal: भारत के डिजिटल इकोसिस्टम में एक बड़ा बदलाव आने वाला है. रिलायंस की JIO Platforms ने Elon Musk की कंपनी SpaceX के साथ हाथ मिलाया है, ताकि भारत में Starlink के सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज को लॉन्च किया जा सके. इसके अलावा मंगलवार को Airtel ने भी स्टारलिंक के साथ समझौता किया. अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि जो दोनों कंपनियां कभी स्टारलिंक का भारत में विरोध कर रही थीं, वह अब इसके साथ व्यापार करने को आगे आ रही हैं. 

Starlink का हुआ था विरोध

Starlink अक्टूबर 2022 से ही भारतीय बाजार में एंट्री की कोशिश कर रहा था. लेकिन, Jio और Airtel जैसे टेलीकॉम दिग्गजों ने शुरुआत में इसका विरोध किया. दरअसल, भारत सरकार ने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विसेज के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन का फैसला किया था, जिसे लेकर Jio और Airtel की राय अलग थी. Jio ने स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए नीलामी (Auction) की वकालत की थी. सरकार ने ग्लोबल प्रैक्टिस को फॉलो करते हुए स्पेक्ट्रम को एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से आवंटित करने का फैसला किया.

जबकि 2024 में Airtel के चेयरमैन सुनील मित्तल ने कहा था कि सैटेलाइट कंपनियों को भी टेलीकॉम कंपनियों की तरह स्पेक्ट्रम खरीदना चाहिए और लाइसेंस फीस देनी चाहिए. Jio ने भी इस बात का समर्थन किया था. इस पर Elon Musk ने कहा था कि क्या भारत में ऑपरेट करने की अनुमति लेना Starlink के लिए “बहुत मुश्किल” होगा.

Jio और Airtel ने Starlink के साथ करार किया

शुरुआती विरोध के बावजूद, अब Jio और Airtel दोनों ने Starlink के साथ पार्टनरशिप कर ली है. Jio की घोषणा Airtel के बाद आई है, जिसने पहले ही SpaceX के साथ समझौता किया था. यह कदम दोनों टेलीकॉम कंपनियों के बीच सैटेलाइट इंटरनेट के क्षेत्र में भी भयंकर प्रतिस्पर्धा की ओर इशारा करता है.

दोनों कंपनियों के लिए स्टारलिंक क्यों जरूरी

Jio और Airte का SpaceX के साथ यह समझौता भारत के ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड सर्विसेज पहुंचाने में मदद करेगा. Jio, जो डेटा ट्रैफिक के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल ऑपरेटर कंपनी है और Starlink, जो लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में माहिर है, का यह साथ भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को और मजबूत करेगा.

वहीं, Airtel के मैनेजिंग डायरेक्टर गोपाल विट्ठल ने इस पार्टनरशिप को एक बड़ा मीलस्टोन बताया है. उन्होंने कहा कि यह समझौता Airtel और SpaceX को भारतीय बाजार में नई संभावनाएं तलाशने का मौका देगा. आपको बता दें, यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा और Elon Musk के साथ हुई मुलाकात के बाद आई है. इससे साफ है कि भारत सरकार भी देश में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

क्या होगा अगला कदम?

अब सबकी नजर SpaceX पर है, जिसे भारत सरकार से जरूरी मंजूरी मिलने का इंतजार है. एक बार अनुमति मिलते ही, Starlink भारत में अपनी सर्विसेज लॉन्च कर सकता है. इससे न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट की पहुंच बढ़ेगी.

सैटेलाइट इंटरनेट कैसे काम करता है?

सैटेलाइट इंटरनेट तीन चीजों पर आधारित होता है. पहला, सैटेलाइट दूसरा ग्राउंड स्टेशन और तीसरा यूजर का डिवाइस. सैटेलाइट इस इंटरनेट व्यवस्था के लिए सबसे अहम हिस्सा है. ये सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में मौजूद होते हैं और आपके डिवाइस से आने-जाने वाले डेटा को ट्रांसफर करते हैं. पुराने सिस्टम जियोस्टेशनरी ऑर्बिट (GEO) में काम करते थे, लेकिन स्टारलिंक और कुइपर जैसी नई टेक्नोलॉजी लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में काम कर रही हैं, जिससे इंटरनेट की स्पीड बढ़ती है और लेटेंसी (डिले) कम होती है.

अब आते हैं, ग्राउंड स्टेशन पर. ग्राउंड स्टेशन यानी “गेटवे” इंटरनेट डेटा को सैटेलाइट तक और वहां से वापस भेजने का काम करता है. ये सीधे इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े होते हैं और डेटा को सही जगह पहुंचाने में मदद करते हैं.

यूज़र का डिवाइस (User Equipment) इस सुविधा के लिए ये भी बहुत जरूरी है. दरअसल, इंटरनेट इस्तेमाल करने के लिए आपको एक सैटेलाइट एंटीना (डिश), ट्रांसीवर और मॉडेम की जरूरत होगी. यह सिस्टम आपके इंटरनेट डिवाइस को सैटेलाइट से जोड़ता है और आपको ऑनलाइन रखता है.

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