
महाकुंभ में पहुंचे नागा साधु का बहुत महत्व होता है. नागा साधुओं को तपस्वी योद्धा माना जाता है. महाकुंभ में होने वाले शाही स्नान की शुरूआत नागा साधु ही करते हैं. नागा साधु महाकुंभ में शाही स्नान के लिए आते हैं.

धर्म के रक्षक नागा साधु महाकुंभ के प्रमुख आकर्षण होते हैं.आध्यात्मिक महत्व रखने वाले यह साधु आखिर महाकुंभ के बाद कहा गए.

महाकुंभ में संगम नहाने आए नागा साधु अब वाराणसी में हैं. भोलेनाथ की नगरी वाराणसी में नागा साधुओं ने धुनी जलाई हैं जहां पर वह जप-तप करते हैं.

नागा साधु वाराणसी में होली तक रहेंगे. नागा साधु इसके बाद मसाने की होली खेलेंगे और काशी में गंगा के बाद लौट जाएंगे.

नागा साधु इसके बाद वाराणसी से अपने अखाड़ों की ओर लौट जाएंगे. वहीं कुछ साधु तपस्या के लिए भी जा सकते हैं.

26 फरवरी को महाकुंभ का समापन हो गया है. इसके साथ ही नागा साधु भी जो देश के अलग-अलग कोनों से आएं थे वह भी वाराणसी में होली के बाद अपने-अपने अखाड़ों को लौट जाएंगे.
Published at : 28 Feb 2025 10:10 AM (IST)