काम की खबर: घरेलू कनेक्शन का अगर अन्य उपयोग कर रहे हैं तो यह विद्युत चोरी है
Electrical energy Connection Guidelines: कई बार देखने में आता है कि लोग विद्युत लाइन से सीधे तार जोड़कर विद्युत इस्तेमाल करने लग जाते हैं।
By Sameer Deshpande
Publish Date: Thu, 22 Feb 2024 11:11 AM (IST)
Up to date Date: Thu, 22 Feb 2024 12:24 PM (IST)

नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर Electrical energy Connection Guidelines। विद्युत अधिनियम के प्रविधानों के अनुसार अगर आपने घरेलू बिजली कनेक्शन ले रखा है तो आप इसका घरेलू इस्तेमाल के अलावा अन्य कोई इस्तेमाल नहीं कर सकते। अगर आप ऐसा करते हैं तो यह विद्युत चोरी की श्रेणी में आता है। इस अधिनियम के तहत अगर कोई व्यक्ति विद्युत की चोरी करता है, मीटर के साथ छेड़छाड़ करता है या विद्युत विभाग से चोरी हुए माल को खरीदता है तो उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज होता है।
विद्युत अधिनियम प्रभावशील होने के बाद अब मप्र विद्युत वितरण कंपनी को चोरी के प्रकरणों में सीधे एफआइआर दर्ज कराने का अधिकार नहीं होता है। अब कंपनी को विशेष न्यायालय में इस संबंध में परिवाद प्रस्तुत करना होता है।
एडवोकेट प्रियेश भावसार ने बताया कि कई बार देखने में आता है कि लोग विद्युत लाइन से सीधे तार जोड़कर विद्युत इस्तेमाल करने लग जाते हैं। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत विद्युत लाइन से सीधे तार या केबल जोड़कर विद्युत का उपयोग करना, मीटर में छेड़छाड़ कर विद्युत का इस्तेमाल करना या जिस उपयोग के लिए कनेक्शन लिया गया है उस उपयोग के अलावा विद्युत का अन्य उपयोग करना विद्युत चोरी की परिभाषा में आता है। इस तरह के मामले में आरोप सिद्ध होने पर तीन वर्ष तक का कारावास और जुर्माना अधिरोपित किया जा सकता है।
नुकसान पहुंचाने पर जुर्माने का प्रविधान
विद्युत अधिनियम की धारा 139 के तहत अगर कोई व्यक्ति विद्युत सामग्री को उपेक्षापूर्ण कृत्य से नुकसान पहुंचाता है या उसे तोड़ता, नष्ट करता है तो उस पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसी तरह अगर कोई व्यक्ति विद्युत वितरण लाइन को काटता है या उसे नुकसान पहुंचाता है तो भी उस पर दस हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडित करने का प्रविधान है। सार्वजनिक लैंप को नुकसान पहुंचाने वाले को दो हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है।
विशेष बात यह है कि विद्युत अधिनियम के तहत दर्ज होने वाले प्रकरणों में समंस जारी नहीं होता है। सीधे वारंट जारी होते हैं। अगर न्यायालय ने किसी व्यक्ति को इस अधिनियम के वारंट जारी किया है तो उस व्यक्ति के लिए न्यायालय से जमानत करवाना अनिवार्य होता है। अगर किसी व्यक्ति ने इस अधिनियम के तहत पहली बार अपराध किया है तो प्रकरण में समझौता हो सकता है लेकिन वही अपराध दोबारा करने पर समझौता नहीं किया जा सकता।


