
बहुत ही पवित्र स्थान माना गया है. असमंजस में तीन नदियों का पवित्र संगम होता है। कुंभ में आयोजित कुंभ में यह एक पवित्र स्थल है।

तीर्थराज को तीर्थराज भी कहा जाता है। तीर्थराज का अर्थ तीर्थों का राजा है। सभी तीर्थों में श्रेष्ठ तीर्थों के बारे में बताया गया है। ब्रह्म पुराण में इसका वर्णन भी किया गया है।

सभी तीर्थों की श्रेष्ठता की तुलना में एक पलड़े पर साज-सजावट रखी गई और दूसरे सभी तीर्थ स्थलों को रखा गया। इसी प्रकार, असमतल का पलड़ा भारी रहा।

दुखी को सप्तपुरियों का पति कहा जाता है। वहीं प्रयाग तीर्थों के नायक और उनकी रानी काशी हैं। सृष्टि की रचना के लिए यहां ब्रह्मा जी ने दशाश्वमेध यज्ञ किया था। असम्बद्ध की श्रेष्ठता का प्रतीक अनेक पुराणों और ग्रंथों में है।

महाकुंभ के दौरान लोग संगम स्थल पर आते हैं और स्नान करते हैं। संगम स्थल पर पवित्र पवित्र नदियों का संगम होता है। इस स्थान को गंगा, यमुना, सरस्वती आदि स्थानों से त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है।

असंगत में भगवान विष्णु माधव रूप में वास्तुशिल्प हैं। महाकुंभ स्नान से होता है जन्मों के पापों का नाश.
पर प्रकाशित: 23 जनवरी 2025 06:15 पूर्वाह्न (IST)