इराक गर्ल्स विवाह कानून: इराक की संसद ने मंगलवार (21 जनवरी) को तीन आपत्तिजनक कानूनों को मंजूरी दे दी, जिसमें एक ऐसा कानून है जो मौलवियों को लड़कियों की शादी की उम्र तय करने का अधिकार देता है। इस कदम से महिला अधिकार और धार्मिक स्थलों के बीच गहरी चिंता का जन्म हुआ है। आइये, इन संस्थानों के प्रभाव और उनके पीछे के तर्कों का विस्तार से अर्थ निकाला गया है।
1959 के इराकी कानून के अनुसार, लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष थी। लेकिन नए कानून के तहत मौलवियों को इस्लामिक कानून की व्याख्या करने का अधिकार दिया गया है, जिससे 9 साल की लड़कियों की शादी की संभावना बन सकती है। यह परिवर्तन जाफ़री इस्लामिक अलगाववादी का पालन करता है, जिसे इराक के कई एशियाई धार्मिक नेता मानते हैं।
शिया नेताओं का पक्ष
शिया समर्थकों के नेताओं का कहना है कि ये इस्लामिक संस्थाएं बनी हैं. उनका तर्क है कि यह कानून पश्चिमी संस्कृति के सांस्कृतिक प्रभावों को रोकना और इस्लामी लोकतंत्र की रक्षा करना है।
महिला अधिकार संकट
इस कानून की कड़ी आलोचना की जाती है। उनका कहना है कि इस कानून से महिलाओं की आजादी और सुरक्षा को खतरा हो सकता है। विद्वानों को डर है कि महिलाओं को घर में रखा जा सकता है और उनके अधिकारों का हनन किया जा सकता है।
अन्य विवादास्पद कानून: गरीबों की रिहाई और भूमि विवाद
इराक की संसद ने एक सामान्य माफ़ी कानून भी पारित कर दिया है, जो सज़ा और गबन के कारण जेल में बंद सुन्नी बंदियों की रिहाई को साफ़ करता है। इसके अलावा, लैंड लॉ को भी पारित किया गया है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र पर दावा करना है।
कानून पास करने की प्रक्रिया पर विवाद
इन मॉडलों को पास करने की प्रक्रिया भी विवादास्पद रही। अविश्वासी नूर नफी अली ने कहा कि ये कानून बिना सही तरीकों से वोट के जारी किए गए हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र का मजाक बताया।
इराक में सामाजिक और राजनीतिक भविष्य
इन अराजक क़ानूनों ने इराक़ में सामाजिक और राजनीतिक बहस को तेज़ कर दिया है। जहां कुछ लोग इसे इस्लामिक इक्विटी की पुनर्स्थापना के रूप में देख रहे हैं, वहीं कई अन्य इसे महिला अधिकार और स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरे के रूप में मान रहे हैं। आने वाले समय में इन संस्थानों का प्रभाव इराक के सामाजिक ढांचे पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
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