बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कहा कि शेख हसीना के भारतीय वीजा विस्तार का ढाका से कोई लेना-देना नहीं है


बांग्लादेश शेख हसीना: बांग्लादेश के मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने हाल ही में प्रधानमंत्री पद से हटाए गए शेख हसीना के भारतीय सरदार के मुद्दे पर सफाई दी है। सरकार ने साफ कर दिया कि वजीर की अवधि में उनके प्रत्यर्पण के लिए दिए गए ऑफर से कोई लेना-देना नहीं है। इस बयान से भारत में रह रही हसीना की स्थिति पर विवाद पैदा हो गया है।

शेख हसीना पिछले साल अगस्त में भारत में थीं, जहां वे बांग्लादेश में छात्रों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। बांग्लादेश सरकार ने भारत से वापसी के लिए अपनी वापसी कर ली है, लेकिन उनके स्वामी की अवधि में लूट के मुद्दे ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। बांग्लादेश ने अपना पासपोर्ट रद्द कर दिया है और इसकी वापसी प्रक्रिया का हिस्सा बताया है।

बांग्लादेश की प्रतिक्रिया
बांग्लादेश के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता रफ़ीकुल आलम ने कहा कि बंधक ने कहा कि जापान में उनके प्रत्यय द्रोण के लिए कोई संबंध नहीं है। आलम ने कहा कि जब किसी बांग्लादेशी नागरिक का पासपोर्ट रद्द किया जाता है, तो संबंधित देशों को बांग्लादेशी मिशन के माध्यम से सूचित किया जाता है और ऐसे मामलों में स्वामी की आवश्यकता नहीं होती है।

शेख़ हसीना का प्रत्यर्पण
बांग्लादेश सरकार ने निर्देश दिया है कि उनके पास खूबसूरता के प्रत्यर्पण के संबंध में अधिक जानकारी नहीं है और वे इस पर स्मारक नहीं लगाएंगे। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि हसीना और अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, जिनमें आरोपियों को गायब करना और हत्याएं शामिल हैं। बता दें कि शेख़ ख़ुशना की भारतीय वीर स्थिति और बांग्लादेश सरकार के प्रत्यावर्ती ड्राफ़्ट ने क्षेत्रीय राजनीति में नए सवाल उठाए हैं। यह मामला दोनों देशों के बीच की चर्चाओं को प्रभावित कर सकता है, और इसके नतीजे आने वाले समय में स्पष्ट होंगे।

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