चाबहार बंदरगाह पर भारतीय तालिबान की बैठक, शी जिनपिंग, शहबाज शरीफ तनाव में, पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान से कैसे प्रभावित, भारत उच्च स्तरीय बैठक


पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और भारत ने कई ऐसे अहम् सिद्धांतों के बारे में बात की है, जहां पर शी जिनपिंग और शहाबाज सरफराज के सिद्धांतों के बारे में जाना जाता है। रविवार (8 जनवरी, 2025) को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्ताकी ने दुबई में हाई लीडर्स की पकड़ बनाई है। इस नमूने में चाबहार बंदरगाह के माध्यम से व्यापार वृद्धि को लेकर भी चर्चा हुई। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान के बीच क्रय-विक्रय को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिससे चीन और पाकिस्तान के बीच साझेदारी तय हो सकती है।

यह उच्च शीर्षक सूची ऐसे वक्त में हुई है जब पाकिस्तान और तालिबान के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। साल 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता में आस्था के बाद तालिबान की भारत के साथ यह पहली उच्च संवैधानिक बैठक है। बाद में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘सितारे ने अफगानिस्तान को दी जा रही मानवीय सहायता, गिरोह के सदस्यों और सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को मानव संसाधन और विकास सहायता प्रदान करने के लिए जारी रखने की अपनी विस्तृत जानकारी प्रदान की। चाबहार बंदरगाह सहित व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए सहमति व्यक्त की गई। भारत देश में स्वास्थ्य क्षेत्र और आदिवासियों के कट्टरपंथियों में भी अपना समर्थन बढ़ाया जाएगा।’ चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भारत अफगानिस्तान को अब तक 25 लाख टन टन और 2 हजार टन टन का भुगतान चुकाना पड़ा है।

दोनों सितारों के बीच हुई बैठक में चाबहार बंदरगाह का बलिदान सबसे अहम माना जा रहा है क्योंकि इस पर पूरी दुनिया की नजर है। पिछले साल की शुरुआत में भारत ने ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के विकास और संचलन के लिए 10 साल का एक समझौता किया था। चाबहार पोर्ट बनाने में भारत ने भी सहायता दी थी। यह समझौता इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और पोर्ट्स एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन ऑफ ईरान के बीच हुआ था। इसके तहत भारत चाबहार स्थित बे शाहिदेस्टी पोर्ट का संचालन करेगा। चाबहार बंदरगाह के दो बंदरगाह हैं- शाहिद बेहस्ती और शाहिद कलंतरी।

इस आशय का उद्देश्य भूमि से लेकर अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के लिए वैकल्पिक रास्ता तैयार करना है। यह बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-ब्लूचिस्तान प्रांत में है। यह गुजरात के स्कैंडला पोर्ट से एक हजार और मुंबई से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। जहाँ चाबहार बंदरगाह स्थित है वहाँ पाकिस्तान की सीमा भी दिखाई देती है। भारत, ईरान और अफगानिस्तान को जोड़ने वाले चाबहार बंदरगाह को गुआदर बंदरगाह के लिए चुनौती के रूप में देखा जाता है, जिसे चीन और पाकिस्तान मिलकर विकसित कर रहे हैं। चाइना ग्वादर पोर्ट के में भारी भरकम इनवेस्टमेंट किया जा रहा है। साथ ही चीन के अरब सागर में समर्थकों को चुनौती देने के लिए चाबहार पोर्ट से भी भारत के समर्थन की अपील की जा सकती है।

चाबहार पोर्ट को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ एडवेंचर गैलरी (INSTC) से भी जोड़ा जाएगा। इस सिद्धांत के तहत भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मीनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच मालगाड़ियों के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7,200 किलोमीटर क्षमता का नेटवर्क तैयार किया गया है। चाबहार पोर्ट और आई.एस.सी.सी. से भारत को बड़ा फायदा होगा। इस तरह पाकिस्तान सीधे ईरान और अफगानिस्तान पहुंच कर पार कर जाएगा। साथ ही मध्य पूर्व और यूरोप के साथ व्यापार के लिए निवेश बढ़ेगा। इसके अलावा अरब सागर में चीनी नागरिकों की निगरानी और यात्राअंदाजी का विरोध करने में भी मदद मिलेगी।

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