कुत्तों और बिल्लियों में मधुमेह : लाइफस्टाइल और एनीमेशन की वजह से होने वाली वर्कर्स सिर्फ इंसानों से नहीं बल्कि कुत्ते और डायनासोर से भी हो रही है। जी हाँ एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ. जिसमें बताया गया है कि क्रॉनिक डिजीज चूहों की चपेट में सिर्फ हम और आप ही नहीं बल्कि हमारे पेट (कुत्तों और बिल्लियों में मधुमेह) भी हो सकते हैं। इसकी वजह से उन्हें कई तरह के वीडियो का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं अगर कुत्ते और मधुमेह में मधुमेह हो जाए तो इसका पता कैसे लगाया जा सकता है…
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कुत्ते और बैलियों में क्यों हो रही सांप
बैपट्स के अनुसार, कैट्स एंड डॉग्स में बढ़ती वृद्धि का सबसे बड़ा कारण उनकी वेबसाइट लाइफस्टाइल में बदलाव आना है। पहले डॉग डॉग्स को दूध और रोटी या घर का बना खाना बनाने की चीजें मिलती थीं लेकिन यहां उनके पैक्ड फूड्स नीचे दिए गए हैं। जिनमें प्रिजर्वेटिव्स होते हैं। उन्हें लगातार इस तरह के खाद्य पदार्थों की डिलीवरी से घाटा होता है और व्यापारियों का खतरा हो सकता है।
कई लोग जॉग्स को पिज्जा, बिस्किट भी खाते हैं, जो अपनी सेहत के लिए ठीक नहीं हैं। इसके अलावा इंसानों की तरह डॉग-बिल्लियों की भी सक्रियता कम हुई है। उन्हें कुछ समय के लिए बाहर कुग्ने के बाद अंदर कैद कर दिया गया, जिसकी वजह से कई सारे साडी समुदाय के लोग सामने आए।
कुत्ते-बिल्लियों में कुत्तों को कैसे पहचानें
मधुमेह से पीड़ित को डायबिटिक कैटारेक्ट यानी मोतियाबिंद, संक्रमण, बाल झड़ना, वजन में कमी, अधिक पेशाब आना, कम पेशाब, पेशाब में जलन, अधिक प्यास जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा गर्मी की चपेट में आने वाले कुछ डॉग्स और 50% कैट्स में भूख कम हो जाती है। डिस्कॉम का पॉश्चर तक बदल जाता है, उनका जंपना बंद हो जाता है। इन दस्तावेज़ों से आप पहचान सकते हैं, कि कहीं आपका पेट डायबिटिक तो नहीं।
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पेट्स को व्यवसाय पर क्या करना है
1. उनकी सही निगरानी और बेहतर इलाज करवायें।
2. जोड़ों में मिलावट होने पर समय पर इलाज शुरू करने से वे जल्दी सही हो जाते हैं।
3. डॉग-बिल्लियों में कुत्तों के अस्तित्व में बदलाव होते रहते हैं।
4. मधुमेह से पीड़ित लोगों को पेट में कार्बोहाइड्रेट सामग्री ही मिलती है।
5. किसी बीमारी का पता लगाने के लिए तुरंत बाद ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने की कोशिश करें।
अस्वीकरण: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया पर आधारित है। आप भी अमल में आने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
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