बांग्लादेश म्यांमार सीमा तनाव: बांग्लादेश की नई सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। पिछले हमले से म्यांमार की बांग्लादेश सीमा सुरक्षा व्यवस्था में नाटकीय बदलाव आया है, क्योंकि जुंटा ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण खो दिया है, जिसका असर भारत पर भी हो सकता है। म्यांमार के सभी विद्रोही विचारधारा में सबसे बड़ी अराकान सेना अब प्रांत (बांग्लादेश की सीमा से सटा) के बड़े हिस्से पर नियंत्रण कर रही है, जो भारत के लिए प्रतिष्ठित रूप से अहम है।
म्यांमार और बांग्लादेश को विभाजित करने वाली 270 किमी लंबी सीमा पर जुंटा (म्यांमार की सेना) का नियंत्रण समाप्त हो गया है। ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि अराकान सेना अब म्यांमार-बांग्लादेश सीमा के साथ बांग्लादेश के आंतरिक क्षेत्रों को नियंत्रित करती है और इससे बांग्लादेश सेना और अराकान सेना के बीच दोस्ती हो सकती है और इस क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति और जटिल हो सकती है।
‘बांग्लादेश की ओर भाग रहे मुसलमान’
इसके अलावा अराकान सेना ने एनएफ नदी के पार वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अराकान सेना ने दावा किया है कि पुलिस और म्यांमार सेना से जुड़े स्थानीय मुस्लिम बांग्लादेश पर हमला करने की कोशिश कर रहे हैं।
अराकान आर्मी क्या है?
साल 2021 में म्यांमार की सत्ता पर सेना ने कब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद सेना के देश भर में कई गुट एक ताकतें उभर कर सामने आ रही हैं. अछूते देशों के हालात गृहयुद्ध की तरह हैं। म्यांमार के गृहयुद्ध में सैन्य प्रशासन के तीन विरोधी गुटों का एक गठबंधन है। इस गठबंधन ने अलग-अलग देशों पर अलग-अलग कब्ज़ा कर लिया है। इस गठबंधन में म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी (एमएमडीएए), तांग नेशनल लिबरेशन आर्मी (पूर्वी म्यांमार) और अराकान आर्मी (पश्चिमी म्यांमार) शामिल हैं।
2009 में म्यांमार में अराकान आर्मी का गठन किया गया था, जिसका नेतृत्व पूर्व छात्र कार्यकर्ता त्वान मराट नाइंग ने किया था। वह उत्तरी म्यांमार में कचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) के साथ शरण चाहते थे। शुरुआत में इस ग्रुप का मकसद एक स्वामिन सरकार की थी, जो केंद्र की सरकार से कुछ अधिकार की मांग के लिए हथियार उठाया गया था। लेकिन जब म्यांमार की सेना जुंटा ने सरकार का तख्तापलट कर दिया तब अराकान सेना ने उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
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