एनएसए अजीत डोभाल का चीन दौरा: भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद जारी है। इस तरह से पूरी तरह से खत्म करने के लिए दोनों देशों ने पहल की है, जिसके तहत बीजिंग में एक अहम बैठक आयोजित की जा रही है। ये समूह काफी मायनों में खास है, क्योंकि समुद्र में पहली बार पड़ोसी देश के समूह अपने विशेष प्रतिनिधि के साथ बैठक में भाग लेने वाले हैं। भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (चीनी) अजीत डोभालहोगे, जो अपनी टीम के साथ बीजिंग रीच पर पहुंचे हैं।
बैठक का मुख्य रूप से सीमा विवाद ही होगा। इस पर डेमचोक और देपसांग क्षेत्र में सेना के पीछे उद्योगों और पेट्रोलिंग से जुड़े लोगों की समीक्षा की जाएगी। इसके अलावा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उल्लंघन और सीमा पर कोऑर्डिनेटर पेट्रोलिंग पर चर्चा की जाएगी। भारत का जोर अप्रैल 2020 के स्टेटस को बहाल करना होगा।
अजीत डोभाल के दौरे पर चीन का रुख
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के चीन दौरे के बीच पड़ोसी मुज़फ़्फ़र ने भी प्रतिक्रिया दी है। इस पर चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान आया है. उन्होंने कहा कि जल्द-से-जल्द गैबल्स की दिशा में मिलकर सामान बनाना है। चीन ने एक दूसरे के हितों का सम्मान जोर से दिया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि हम भारत के साथ मिलकर काम करने की तैयारी कर रहे हैं।
सीमा विवाद में भारत का सख्त रुख
पिछले चार वर्षों के दौरान भारत और चीन के बीच सेना कमांडरों की 21 दौर की बैठकों के अलावा कई चर्चाएँ हुई हैं। भारत ने हर स्तर पर अपनी स्थिति को स्पष्ट और मजबूत बनाये रखा है। इस दौरान भारत ने चीन के किसी भी दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया और अपने सैन्य संस्थान और थोक व्यापारी का निर्माण किया। इसके अलावा जी20, ब्रिक्स, एससीओ और ऑटोमोबाइल जैसे प्लेटफॉर्मों ने भारत की सबसे बड़ी भूमिका में चीन पर दबाव बढ़ाने का काम किया।
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