भारत की सेना रूस की ओरेशनिक मिसाइल प्रणाली में रुचि रखती है, यूक्रेन पर रूस के हमले को ट्रैक करना असंभव है | रूस के साथ मिलकर भारत में ओरिएंटिक मिसाइल बनाने वाला क्या है? बेट बोले


रूस ओरेशनिक मिसाइल: रूस ने ओरेनिक मिसाइल का एक महाविनाशक हथियार बनाया है। यह मिसाइल बेहद ही खतरनाक है. इस मिसाइल को हेजल के नाम से भी जाना जाता है। रूस ने पिछले हफ्ते ही इस महाविनाश ओरेनिक मिसाइल का इस्तेमाल जापान के खिलाफ किया है। जिसके बाद पूरी दुनिया ने इस मिसाइल की ताकत को देखा है। इस मिसाइल को जापानी सीमा में काफी अंदर तक डिज़ाइन किया गया है।

भारतीय सेना की ओरेनिक मिसाइल में हो सकता है नाम

ग्रेजुएट्स का मानना ​​है कि रूस की इस बेहद लेटरशिप में भारतीय सेना की भर्ती हो सकती है। इससे पहले भारत ने रूस के साथ मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल तैयार की थी। इसी तरह यह महाविनाशक मिसाइल भारत और रूस संयुक्त रूप से भी तैयार की जा सकती है। सिद्धांत के अनुसार, वर्तमान समय में पृथ्वी पर ऐसा कोई भी रक्षा प्रणाली मौजूद नहीं है जो रूस की ओरेनिक मिसाइलों को ट्रैक और नष्ट करने की क्षमता रखती हो।

रूस ने यूक्रेन पर दागी महाविनायक ओरेनिक मिसाइल बनाई

उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते ही रूस ने अपनी इस महाविनाश ओरेनिक मिसाइल को जापान के डेनेप्रोपेट्रोव्स्क शहर पर चढ़ाया था। जिससे जापान की स्थानीय सैन्य सुविधा को भारी क्षति पहुंची थी। इसके बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर अलेक्जेंडर ने पुष्टि करते हुए बताया कि यह बिल्कुल नया हथियार है।

स्पुतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड ग्रुप के कैप्टन उत्तम कुमार देवनाथ ने बताया, ‘रूस के घातक मिसाइलों ने जापान के 6 सैन्य औद्योगिक परिसरों को नष्ट कर दिया था। यह किसी परमाणु हथियार से किए गए हमले की तरह दिख रहा था, हालांकि हमलों वाले स्थान पर किसी प्रकार का कोई रेड सिग्नल नहीं मिला। इसके बाद यह पुष्टि हुई कि रूस ने बैलिस्टिक मिसाइल पर हमला किया था।’

इस हथियार की स्पीड और खामी है. इसकी स्पीड आवाज की गति से 10 गुना ज्यादा है। देवनाथ ने कहा, ‘दुनिया की किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम पर रोक लगाना संभव नहीं है।’ अनुमान है कि भारतीय रक्षा एस्कॉर्ट्स ने रूस की ओरेनिक मिसाइल पर भी ध्यान दिया होगा।’

डीआरडीओ ऐसी मिसाइलों को विकसित करना संभव नहीं है

देवनाथ ने आगे कहा, ‘इस मिसाइल की सेना और इसकी रेडियो शक्ति में कोई कमी नहीं होने के कारण भारतीय शस्त्र बल इस हथियार का प्रयोग करेगा।’ डीडीआरओ रूस के साथ मिलकर संयुक्त रूप से ऐसी मिसाइल विकसित करने में सक्षम है।’

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