अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग को निशाना बनाया गया, विदेश मंत्रालय ने घटना को बेहद अफसोसजनक बताया
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विदेश मंत्रालय ने सोमवार (2 दिसंबर 2024) को कहा कि अगर ताला स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग के परिसरों में घुसपैठ “बेहद अफ़सोस” है। यह घटना उस समय हुई जब त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में हजारों लोग एक विशाल रैली में शामिल हुए।
रैली का मकसद इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की रैली का विरोध करना था। इसके साथ ही बांग्लादेश में बौद्ध पर हो रहे मराठा को बंद करने की मांग की गई।
विदेश मंत्रालय का बयान
विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर बयान जारी करते हुए कहा, “किसी भी परिस्थिति में मार्केटक और कांसुलर ऑब्जेक्ट को लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए।” मंत्रालय ने आगे कहा कि सरकार बांग्लादेश उच्चायोग और उसके उप/सहायक उच्चायोगों की सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है।
बांग्लादेश सहायक उच्चायोग, अगरतला ⬇️ में परिसर के उल्लंघन पर हमारा बयानhttps://t.co/hVVB0SITQn pic.twitter.com/li8TtmwfS8
– रणधीर जयसवाल (@MEAIndia) 2 दिसंबर 2024
मान्यता है कि यह रैली हिंदू संघर्ष समिति के बैनर तले आयोजित की गई थी, जो विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) का एक अंग है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, त्रिपुरा के विहिप सचिव शंकर रॉय ने कहा, “शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में हिंदू मूर्तियों और हिंदू घरों पर हमले हो रहे हैं और हिंदू आश्रमों को लूटा जा रहा है।”
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ़्तारी पर विरोध
शंकर राय ने कहा कि हाल ही में इस्कॉन के चिन्मय प्रभु ने बांग्लादेश में हो रहे विद्रोहियों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और उन्हें बंधक बनाकर जेल भेज दिया था। उन्होंने मांग की कि बांग्लादेश सरकार से चिन्मय दास की बेगुनाही और बुद्ध पर हो रहे हमले के खिलाफ मजबूत कदम उठाने की अपील की जानी चाहिए।
बांग्लादेश में भारी हिंसा
इस बीच, बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे कथित बयानों के कारण तनाव बढ़ गया है। ढाका में हिंदू पुजारियों की ओर से भी अपराधियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इन घटनाओं में ऐतिहासिक बांग्लादेश और भारत दोनों देशों के प्रदर्शन शामिल हैं, जिनमें पूर्व इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग की जा रही है।
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