मणिपुर सरकार ने मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा की विभाजनकारी राजनीति कुकी चिन एजेंडा की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी

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मिजोरम के मुख्यमंत्री: डेमोक्रेटिक सरकार ने शुक्रवार (29 नवंबर) की रात को मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहावमा पर कड़ा हमला करते हुए कहा कि उन्हें एक अच्छे पड़ोसी और बेहतर राजनेता बनने की कोशिश करनी चाहिए। डेमोक्रेटिक सरकार ने आरोप लगाया कि लालदुहामा के माध्यम से दलित समाज में अलगाव और विभाजन की आग भड़क रही है, जो राज्य के सामाजिक और राजनीतिक अशांति की ओर ले जा रहे हैं।

मिजोरम के मुख्यमंत्री के बयान पर चिंता व्यक्त की। सरकार ने कहा कि भारत को म्यांमार, भारत और बांग्लादेश के जिलों में ‘कुकी-चिन ईसाई राष्ट्र’ बनाने के बड़े पैमाने पर सावधानी बरतनी चाहिए। नेताओं के लिए यह बयान गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि इस क्षेत्रीय मसौदे को बढ़ावा दिया जा सकता है और राष्ट्रीय एकता को चुनौती दी जा सकती है।

लालदुहोमा का सिद्धांत

डेमोक्रेट सरकार का यह बयान मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहावमा की ओर से हाल ही में दिया गया एक विवरण पर आधारित है। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए गए इस साक्षात्कार में वे स्कूल के प्रमुख एन. बीरेन सिंह ने तीखा आक्रमण पर लालदुहामा ने कहा था कि एन. बीरेन सिंह राज्य में उनकी जनता और भाजपा के लिए बोझ बन गए और प्रशासन उनकी तुलना में राष्ट्रपति शासन भी बेहतर रहेगा। इस टिप्पणी में जापानी सरकार को तगड़ा झटका दिया गया और विवाद को बढ़ाया गया।

कॉर्पोरेट सरकार की प्रतिक्रिया

इकोनोमिक सरकार ने एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री लालदुहामा को राजनीति में सुधार लाने के बजाय अपमान वाली समानता से बचना चाहिए। राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि किसी भी राजनीतिक नेता के लिए ऐसी साजिश नहीं है और इससे केवल समाज में तनाव बढ़ता है। ऐसे में नेताओं और मिजोरम के बीच बढ़ती राजनीतिक साख को देखते हुए दोनों राज्यों के बीच समझदारी और सद्भावना की जरूरत महसूस की जा रही है।

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