शेख हसीना के तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अस्थायी सरकार का गठन भी हुआ। मोहम्मद यूनुस ने हिंदुत्व पर हमलों की निंदा भी की. उन्हें सुरक्षा का भरोसा भी दिया गया था, लेकिन अब यही मोहम्मद यूनुस और उनकी पूरी सरकार बांग्लादेश में इस्कॉन के पीछे पड़ गई है और उस पर प्रतिबंध लगाने के लिए अदालत तक पहुंच गई है। हालाँकि, कोर्ट ने बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन बांग्लादेश में इस्कॉन के सबसे बड़े चेहरे चिन्मय प्रभु अब भी जेल में हैं और अपनी रिहाई के लिए बांग्लादेश के हिंदू आंदोलनरत हैं।
सवाल है कि मोहम्मद यूनुस ने ऐसा क्यों किया। वो तो प्रधानमंत्री बनने के बाद अगस्त महीने में ही बांग्लादेश के सबसे प्रतिष्ठित मंदिर ढाककेश्वरी मंदिर में व्यापारी शामिल हो गए थे, फिर ये नौबत क्यों आई? क्या मोहम्मद यूनुस महासभा के खिलाफ हैं, लेकिन इस्कॉन के हैं। अज़ान ज़रा भी इशारा करने की कोशिश कर रहे हैं। बांग्लादेश में जो हिंदू हैं, वो बंगाली हिंदू हैं और बंगाल में या तो देवी दुर्गा की पूजा होती है या फिर मां काली की और भगवान शिव की। अविभाजित बंगाल में तो भागवत के यही सबसे बड़े देवता थे। तो बंगाल के विभाजन के बाद भी जो हिंदू पहले पूर्वी पाकिस्तान में थे और फिर 1971 में बांग्लादेश में बने थे, उनके भी आराध्या यही देवी-देवता थे, लेकिन फिर बांग्लादेश में इस्कॉन आ गए।
इस्कॉन का पूरा नाम इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस। अन्य हिंदी में कहते हैं अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ। 11 जुलाई 1966 को स्वामी श्रीलप्रभुपाद ने इस्कॉन की स्थापना की थी। करीब 58 साल में इस्कॉन ने पूरी दुनिया में 100 से ज्यादा मंदिर बनवाए हैं, जहां 10 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। भारत के अलावा अमेरिका, रूस और ब्रिटेन में भी इस्कॉन के मंदिर हैं, इस्लामिक देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी इस्कॉन के मंदिर हैं। अगर सिर्फ बांग्लादेश की बात करें तो वहां कुल चित्रों की संख्या 40 हजार से भी ज्यादा है, जिनमें से कम से कम 10 मंदिर इस्कॉन के हैं। सरकार को भी अन्य मूर्तियाँ और उनके प्रमुखों से नहीं लगता, बल्कि इस्कॉन से लगता है। इसका कारण यह है कि इस्कॉन एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जिसके लिए आपके समर्थन और अन्य हिंदू चित्रकला की तुलना करना आसान है। इसके अलावा अभी इस्कॉन के ही बड़े संत चिन्मय प्रभु के अवगाहन में बांग्लादेश में एक नई संस्था बनी है, जिसका नाम है आतंकवादी सनातन महासभा जोत। यह ग्रुप बांग्लादेश में हिंदुओं की बेहतर सुरक्षा की मांग कर रहा है और कह रहा है कि शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में हिंदू हताश हो गए हैं और नए अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस भी हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर काम नहीं कर रहे हैं।< br />
ऐसे में बांग्लादेश की सरकार ने हिंदुओं की आवाज को फिर से संगठित करने के लिए चिन्मय प्रभु पर दबाव बनाया और जब नहीं माने तो उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इसका इकलौता मकसद सिर्फ यही है कि चिन्मय प्रभु के अपराधियों से बांग्लादेश के हिंदू अपनी आवाज न उठाएं, लेकिन मोहम्मद यूनुस की सरकार ने जिसे आवाज दी, उसे हासिल करने की कोशिश की, वो आवाज अब भारत ने ही ली है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीने इस मुद्दे को पास किया है और कहा है कि बांग्लादेश गलत हो रहा है। वहीं, बांग्लादेश में भी मोहम्मद यूनुस गिरफ़्तार हो गए हैं, क्योंकि ढेका कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि वो इस्कॉन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है। तो अब तय मोहम्मद यूनुस और उनकी सरकार ऐसा करना चाहती है कि वो अपने देश में फिर से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करके भारत के साथ संबंध बेहतर बनाए रखना चाहते हैं या फिर वो भी चीन के दबाव में भारत से संबंध खराब करना चाहते हैं। अगर संबंध ख़राब होते हैं, तो बांग्लादेश को नुकसान होगा, शायद मोहम्मद यूनुस को इस बात का इल्म भी नहीं होगा।