शहर में शौचालयों के अंदरूनी फीचर्स की कमी है। 17 सार्वजनिक शौचालय हैं, लेकिन इनके नाम पर हाथ धोने के साबुन के अलावा कुछ नहीं है। चार साल पहले कुछ शौचालयों में हस्तनिर्मित प्लास्टिक मशीन, फिमेड मशीन, पैड वेंडिंग मशीनें चली गईं, जो अब बंद हो चुकी हैं।
द्वारा आशीष यादव
प्रकाशित तिथि: मंगल, 19 नवंबर 2024 11:01:20 पूर्वाह्न (IST)
अद्यतन दिनांक: मंगल, 19 नवंबर 2024 11:01:20 पूर्वाह्न (IST)
पर प्रकाश डाला गया
- विदिशा में सिर्फ एक आदर्श सार्वजनिक शौचालय।
- स्वच्छता के मानक पर खरे नहीं सार्वजनी शौचालय।
- घरेलू का रेशम, जल्द ही शुरू होगा नया शौचालय।
आशीष यादव, विदिशा। लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए सुविधा घर में बंद कर दिए गए हैं। नगर पालिका ने शहरी क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। शहर में 17 सार्वजनिक शौचालय ही हैं, लेकिन इनके नाम पर हाथ धोने के साबुन के अलावा कुछ भी नहीं है। चार साल पहले कुछ शौचालयों में हस्तनिर्मित प्लास्टिक मशीन, फिमेड मशीन, पैड वेंडिंग मशीनें चली गईं, जो अब बंद हो चुकी हैं।
आज शौचालय दिवस है, लेकिन इस शौचालय पर विदिशा नगर पालिका में किसी भी आयोजन की तैयारी नहीं की जा सकी। स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए नपा के साथ काम कर रही संस्था सिद्धि विनायक वेस्ट बिल्डर्स की टीम के सदस्य एलेन्ट पांचनाल ने कहा कि टॉयलेट डे को लेकर पहले से कोई आयोजन करने की तैयारी नहीं थी, लेकिन आज कुछ भी नहीं, कुछ नया नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि शहर में शौचालयों के आंतरिक ढांचे की कमी है। पुराने शौचालय हैं जो वर्तमान में स्वच्छ सर्वेक्षण के आधार पर नहीं हैं। इसलिए इन शौचालयों में आदर्श शौचालय नहीं बनाए जा रहे हैं। वर्तमान में एक ही आदर्श शौचालय है जो पुराने तहसील कार्यालय के पास है। आदर्श शौचालयों में अनैतिकों के लिए भी सुविधा है जबकि अन्य पुराने शौचालयों में ऐसी कई कमियाँ हैं।
लाखों की लागत से बनाया गया टॉयलेट बंद
जिला अस्पताल परिसर, यूएसएचएल जैसे सार्वजनिक स्थान पर नगर पालिका ने सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया है। एक शौचालय की निर्माण लागत करीब दस लाख रुपये है, विक्रय भवनकर नगर की दुकान ही भूल गयी। शौचालयों का संचालन किसी भी संस्था को वर्जित नहीं है। इस वजह से करीब छह महीने से ज्यादा का समय हो गया, ये दावे ही लगे हुए हैं।
इसके अलावा हरिपुरा, शेरपुरा फिश मार्केट के पास, बेतवा नदी के पास, जतरापुरा, नदीपुरा बक्सरिया रोड, टॉयलेट बंद पड़े हैं। इनसे कुछ तो कारखाने हो चुके हैं। लेडी बीडी कतरोलिया का कहना है कि शहर में नए सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं, जिनमें जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। अलग-अलग उद्देश्यों से कुछ संचालित नहीं हो रहे हैं। ये कमियाँ दूर जायेंगे।
क्षेत्र के स्वतंत्रता केंद्रों के ही अवशेष हाल
गांव-गांव में सार्वजिनक शौचालयों का निर्माण हो रहा है, जिसमें स्वतंत्रता समुदाय का नाम दिया गया है। लेकिन निर्माण के बाद से ही ये सुविधा खराब हो जाती है। जिले में अलग-अलग परियोजनाओं में निर्मित इन शौचालयों के नवीनीकरण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आनंदपुर में पिछले दस वर्षों से शौचालय बंद है तो वहीं ग्यारसपुर के मृगन्नाथ धाम के पास स्वच्छता समिति भी स्थित है। दीपना एसोसिएट बस स्टैंड का शौचालय में पानी की कमी, सफाई न होने के कारण बंद है। अधिकतर शौचालयों में सफाई व्यवस्था नहीं होने से नुकसान हो गया है।
घर-घर शौचालय, मिली टॉयलेट से मुक्ति
स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत के बाद कश्मीर में बदलाव देखने को मिले हैं। घर घर शौचालय निर्माण से जमीन नहीं हो रही है। लोगों को शांति से मुक्ति मिली है। हैजा, डायरिया जैसी गंभीर बीमारी इसी गंदगी के कारण फैलती है। लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी टंकी से मुक्ति की दिशा में बढ़ोतरी हुई है। घर में बने शौचालय से महिलाओं को मिलने की सुविधा हो गई है अब उन्हें खुले में नहीं देखा जाएगा। 2019 से शुरू हुए इस अभियान के बाद आज पूरे जिले में 1521 में कश्मीर को खुले में शौच से मुक्त किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों के भूखंड लाख घरों में शौचालय का निर्माण किया गया है।