Korba Secl information: विजय वेस्ट भूमिगत खदान के ऊपरी हिस्से की जमीन में पड़ी दरार

Korba Secl information: विजय वेस्ट भूमिगत खदान के ऊपरी हिस्से की जमीन में पड़ी दरार

एसईसीएल प्रबंधन का मानना है कि दरार पुरानी है और भूमिगत कोयला खदानों के ऊपर के हिस्से में होने वाली सामान्य घटना है।

By Pradeep Barmaiya

Publish Date: Thu, 08 Feb 2024 12:37 AM (IST)

Up to date Date: Thu, 08 Feb 2024 12:37 AM (IST)

HighLights

  1. ग्रामीणों ने वन विभाग व एसईसीएल प्रबंधन से कराया अवगत
  2. ग्रामीणों का कहना है कि खदान क्षेत्र में यह कोई पहली बार दरार नहीं पड़ी है।
  3. दरार पड़ने व गड्ढा होने से जानमाल का खतरा बना रहता है।

कोरबा (नईदुनिया प्रतिनिधि)। साऊथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) की विजय वेस्ट भूमिगत खदान के ऊपरी हिस्से में गहरी दरार हो गई। स्थानीय ग्रामीणों ने जलके- तनेरा वन परिक्षेत्र के अधिकारियों को दी। साथ ही एसईसीएल प्रंबधन को भी इस घटना से अवगत कराया गया है।

जिले के अंतिम छोर में एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र अंतर्गत विजय वेस्ट खदान संचालित है। इस खदान का मुहाना कोरबा जिला में है, जबकि पूरा क्षेत्र चिरमिरी क्षेत्र अंतर्गत है। बताया जा रहा है कि आसपास के ग्रामीण मवेशी चराने के लिए जंगल की ओर गए थे, तभी उन्हें जमीन में दरार पड़ी हुई दिखाई दी। काफी लंबे चौड़े क्षेत्र में दरार दिखने से ग्रामीणों में भय व्याप्त हो गया। उन्होंने तत्काल इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को प्रदान की। इसके साथ ही विजय वेस्ट खदान प्रबंधन को सूचना दी गई। वन विभाग ने ग्रामीणों से प्रभावित क्षेत्र में नहीं जाने की सलाह दी है।

ग्रामीणों का कहना है कि खदान क्षेत्र में यह कोई पहली बार दरार नहीं पड़ी है। इसके पहले भी दरार पड़ चुकी है। साथ ही कई स्थान पर मिट्टी भी धसक चुकी है। इससे कुआं जैसे गड्ढा हो गया। दरार पड़ने व गड्ढा होने से जानमाल का खतरा बना रहता है। मवेशी भी घूमते रहते हैं और उनके गिरने का भी खतरा रहता है। इसलिए समय- समय पर एसईसीएल प्रबंधन को अवगत कराया जाता है, पर प्रबंधन द्वारा केवल टालमटोल की नीति अख्तियार कर अपने कर्तव्य को इतिश्री कर लिया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि कोयला उत्पादन के लिए किए जाने वाले ब्लास्टिंग की वजह से जमीन के ऊपरी सतह पर असर पडता है और दरार पड़ती है। इसके पहले चोटिया क्षेत्र में दरार पड़ चुके हैं। उधर एसईसीएल प्रबंधन का मानना है कि दरार पुरानी है और भूमिगत कोयला खदानों के ऊपर के हिस्से में होने वाली सामान्य घटना है।