बड़े रिफंड पर आयकर विभाग की नजर! फर्जी बिल दिखाना पड़ेगा भारी, अटक सकता है आपका रिफंड

आयकर विभाग ने बड़े रिफंड के मामलों में सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। अब गलत रिफंड की वसूली पिछले वर्षों से भी की जा सकती है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से संदिग्ध रिटर्न की जांच हो रही है, जबकि गैर पेशेवरों के माध्यम से रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं को सावधान रहने की आवश्यकता है।

By Anurag Mishra

Publish Date: Sat, 02 Nov 2024 06:23:43 PM (IST)

Up to date Date: Sat, 02 Nov 2024 06:23:43 PM (IST)

इनकम टैक्स रिफंड।

HighLights

  1. आयकर विभाग ने शुरू की सूक्ष्म जांच और निगरानी।
  2. गलत रिफंड की वसूली पिछले वर्षों से की जा सकती है।
  3. गैर पेशेवरों से रिटर्न भरवाना करदाताओं के लिए जोखिम है।

बिजनेस डेस्क, इंदौर। आयकर विभाग ने बड़े रिफंड के मामलों में सख्त जांच का फैसला किया है। इस वर्ष रिफंड अटकने के आसार हैं, साथ ही बीते वर्षों में गलत तरीके से प्राप्त रिफंड की वसूली भी हो सकती है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस संबंध में नए निर्देश जारी किए हैं।

सूक्ष्म जांच की शुरुआत

आयकर विभाग ने उन करदाताओं की सूक्ष्म जांच शुरू कर दी है जिनके रिटर्न पिछले आठ वर्षों में स्क्रूटनी के दायरे में आए थे। इसमें ऐसे नौकरीपेशा लोग भी शामिल हैं जिन्होंने सामूहिक रूप से रिटर्न दाखिल किया है।

गलत रिफंड की बढ़ती शिकायतें

जम्मू-कश्मीर और आंध्र प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों द्वारा फर्जी दान रसीदों और खर्चों के मामलों के सामने आने के बाद, आयकर विभाग ने रिफंड के मामलों में सख्ती बरतने का निर्णय लिया। उज्जैन में भी ऐसे गलत रिफंड के मामलों का पता चला था।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग

सीबीडीटी ने निर्देश दिए हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग करके संदिग्ध रिटर्न और रिफंड को चिन्हित किया जाएगा। रिटर्न दाखिल करने के बाद कई करदाताओं का रिफंड महीनों से अटका हुआ है, जिसका मुख्य कारण जांच के निर्देश हैं।

रिफंड वसूली की संभावनाएं

सीए स्वप्निल जैन के अनुसार आयकर विभाग के पास अधिकार है कि यदि किसी करदाता द्वारा गलत क्लेम पकड़ा जाता है, तो वह पिछले चार वर्षों के रिफंड की वसूली कर सकता है।

गैर पेशेवरों से सावधानी

अधिकतर करदाता गैर पेशेवरों से रिटर्न दाखिल करवा रहे हैं, जो बिना किसी आधिकारिक योग्यता के काम कर रहे हैं। ये लोग अधिक रिफंड दिलाने का लालच देकर करदाताओं को फंसा रहे हैं। ऐसे मामलों में सावधानी बरतने की आवश्यकता है, क्योंकि इसमें छूटें क्लेम करने की संभावना होती है, जिसके लिए वे पात्र नहीं होते।