कई बार कर्मचारियों से क्षमता से अधिक काम लिया जाता है। जिसके कारण वह सुधार करने से कतराते हैं। स्टाफ की इसी कमी की समस्या दूर करने के लिए फ्यूज सुधारने का कार्य ठेके पर दिया गया है। लेकिन, नेहरू नगर मंडल की हालत यह है कि यहां ठेकेदार पूरे कर्मचारी कभी नहीं देता। अधिकारी तक उससे त्रस्त है।
By Shiv Soni
Publish Date: Thu, 27 Jun 2024 07:37:00 AM (IST)
Up to date Date: Thu, 27 Jun 2024 07:37:00 AM (IST)
HighLights
- ठेकेदार नहीं देता कर्मचारी।
- इसलिए फ्यूज भी समय पर नहीं सुधरता।
- हर जोन में आठ से 10 कर्मचारियों की कमी
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। शहर में बिजली की बदत्तर हालत के लिए कंपनी खुद जिम्मेदार है। कंपनी सुधार दल को उपकरण तक नहीं देती। आलम यह है कि फ्यूज तार सुधारने के लिए हल्के तारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। नियमानुसार कापर का तार लगाना है, जो दल के पास कभी भी उपलब्ध नहीं होता। शहर के किसी भी ट्रांसफार्मर के कट आउट बाक्स में चले जाइए , कही भी कापर तार नजर नहीं आएंगे। इसके चलते सुधार के कुछ देर बार दोबारा फ्यूज उड़ जाता है। कर्मचारी सीढ़ी, टेस्टर, पेचिंग व दस्ताने तक जरुरी सामानों के लिए तरस रही है।
बिजली कंपनी की इसी कार्यशैली को लेकर उपभोक्ताओं में भारी आक्रोश है। विडंबना की बात यह है कि व्यवस्था सुधारने के लिए जिला प्रशासन व विधायक तक फटकार लगा चुके हैं। इसके बाद भी उन पर असर नहीं पड़। व्यवस्था पहले से ज्यादा बदत्तर हो गई है। मैदानी अमला जब सुधार करने के लिए पहुंचता है तो उनके पास बड़े उपकरण तो दूर ढंग का फ्यूज तार तक नहीं रहता।
यह समस्या अभी हो रही है, ऐसा भी नहीं है। कई महीनों से कर्मचारी उपकरण के अभाव में सुधार कार्य को अंजाम दे रहा है। उपकरण के साथ- साथ स्टाफ की इतनी भारी कमी है कि सूचना के बाद भी अमला समय पर नहीं पहुंच पाता। अधिकारी भी इस कमी को स्वीकार करते हैं। रात में केवल एक या दो गाड़ी स्टाफ को लेकर जहां खराबी आई है, वहां पहुंचती है।
बताया जा रहा है कि ठेकेदार को एक शिफ्ट में चालक के साथ तीन कर्मचारी देना है। स्थिति यह रहती है कि कई बार तो एक शिफ्ट में एक ड्राइवर और एक स्टाफ नजर आते हैं। सबसे विडंबना की बात है कि अधिकारी ठेकेदार पर दबाव नहीं बना पाते। स्टाफ के साथ- साथ वाहन व्यवस्था का भी यही हाल है। नेहरू नगर मंडल में तो फ्यूज सुधारने के लिए कर्मचारी अपने निजी वाहन बाइक से पहुंचते देखे गए हैं।
हर जोन में आठ से 10 कर्मचारियों की कमी
नेहरू नगर की बात करें तो तीन जोन सरकंडा, गोल बाजार व नेहरू नगर है। इन तीनों जगहों में आठ से 10 कर्मचारियों की कमी है। यह कमी पिछले कई सालों से बरकरार है। इसी तरह तोरवा डिवीजन अंतर्गत बसंत बिहार को नया जोन बनाया गया है। यहां 17 का सेटअप है। लेकिन, नौ महीने गुजरने को हैं यहां एक भी स्टाफ नियुक्त नहीं हुए हैं। अभी भी तोरवा के कर्मचारी इस जोन की कमान संभाल रहे हैं।
बिजली बंद, रतजगा, पहले दिन स्कूल जाने से वंचित हुए छात्र
मंगला अलखधाम नगर में मंगलवार की रात डेढ़ बजे बिजली सप्लाई ठप हो गई। सूचना दी गई तब अमला पहुंचा और बिना सुधार के ट्रांसफार्मर खराब होने की बात कहकर लौट गए। बिजली बंद होते ही लोगों की नींद खुल गई। इसके बाद पूरी रात जागकर कर गुजारनी पड़ी। सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों को हुई।
रातजगा के कारण सुबह वह स्कूल जाने से भी वंचित हो गए। इधर लोगों की नाराजगी बढ़ने लगी और अधिकारियों को फोन घनघनाने लगाकार आक्रोश जताया। इसी विरोध का नतीजा है कि शाम चार बजे अमला नया ट्रांसफार्मर लेकर पहुंचा। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद ट्रांसफार्मर लगा, तब जाकर बिजली सप्लाई सुचारू हुई।