मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता को लेकर हुए फर्जीवाड़े में नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के लिए अलग-अलग स्तरों पर लापरवाही बरती गई। इनमें ऐसे कॉलेज भी शामिल हैं, जो छोटे-छोटे कमरों में संचालित हो रहे थे। किसी ने भी इन्हें दी जा रही मान्यता पर सतर्कता से जांच नहीं की।
By Prashant Pandey
Publish Date: Wed, 26 Jun 2024 02:32:50 PM (IST)
Up to date Date: Wed, 26 Jun 2024 02:42:20 PM (IST)
MP Nursing School Rip-off: राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने में गड़बड़ी सिर्फ एक जगह से नहीं हुई है। मेडिकल यूनिवर्सिटी से लेकर संबंधित जिलों के सीएमएचओ तक ने भी नियमों की अनदेखी कर धड़ल्ले से मान्यता की सिफारिश की थी।
यही वजह है कि कुछ नर्सिंग कॉलेज छोटे-छोटे फ्लैट तो कुछ कागजों में संचालित होते रहे। मेडिकल यूनिवर्सिटी के अधिकारी गंभीर रहते तो फर्जीवाड़ा संभव नहीं था। नर्सिंग काउंसिल द्वारा गठित जांच दलों के अतिरिक्त यूनिवर्सिटी की टीम भी जांच करती थी, लेकिन उन्होंने न तो यह देखा कि संस्था का भवन है या नहीं।
न ही फैकल्टी और अन्य मापदंडों की जांच की। विद्यार्थियों का विश्वविद्यालय में नामांकन मेडिकल यूनिवर्सिटी कर रही थी। नर्सिंग काउंसिल की तरह ही सभी कालेजों की जांच की जिम्मेदारी यूनिवर्सिंटी की थी, लेकिन यहां की टीम ने सिर्फ खानापूर्ति की।
टीम ने कॉलेज का भवन, विद्यार्थियों की उपस्थिति, फैकल्टी की संख्या, पंजीयन आदि मापदंडों की गहराई से छानबीन की होती तो इतना बड़ा फर्जीवाड़ा नहीं होता। इस मामले अब सीबीआई ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के जांच दलों को नोटिस देकर भी जवाब मांगा है, पर शासन की ओर से यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के विरुद्ध अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
इसी तरह से संबंधित जिलों के सीएमएचओ ने नर्सिंग कॉलेजों को क्लीनिकल परीक्षण के लिए अस्पतालों से संबद्धता देने में भी मापदंडों की अनदेखी की। नर्सिंग कॉलेज संचालकों ने हर जगह राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव देकर अपनी मर्जी से रिपोर्ट तैयार कराई, पर किसी बड़े अधिकारी पर आंच नहीं आई है।