Jabalpur Information: इंजन की ऊष्मा से बनाया हाइड्रोजन, डीजल के साथ इनटेक कर बढ़ाया माइलेज

विज्ञानियों ने इंजन की ऊष्मा से ही हाइड्रोजन बनाकर डीजल के साथ इनटेक कर माइलेज बढ़ाने का सफल प्रयोग कर लिया है। अब आगे इंजन की डिजाइन बदलने की योजना है। लक्ष्य एक लीटर हाइड्रोजन से कम से कम 100 किलोमीटर का माइलेज निकालना है।

By Pankaj Tiwari

Publish Date: Tue, 18 Jun 2024 03:27:21 AM (IST)

Up to date Date: Tue, 18 Jun 2024 03:52:44 AM (IST)

Hydrogen produced from engine warmth, consumption with diesel elevated mileage

HighLights

  1. स्वदेशी हाइड्रोजन हायब्रिड इंजन बनाने में जुटे ट्रिपल आइटीडीएम के विज्ञानी
  2. 10 प्रतिशत हाइडोजन मिलाने पर माइलेज 20 किलोमीटर प्रति लीटर से बढ़कर 35 किलोमीटर मिला
  3. डीजल के साथ इनटेक कर बढ़ाया माइलेज

पंकज तिवारी, नईदुनिया जबलपुर : ग्रीन और क्लीन एनर्जी की दिशा में पारंपरिक ईंधन के विकल्प तैयार करने दुनिया जुटी है। भारत में स्वदेशी हाइड्रोजन हायब्रिड इंजन बनाने की दिशा में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी, डिजाइन और विनिर्माण संस्थान (ट्रिपलआइटी डीएम) जबलपुर के मैकेनिकल विभाग के विज्ञानी जुटे हैं। विज्ञानियों को इसमें उल्लेखनीय सफलता मिली है।

विज्ञानियों ने इंजन की ऊष्मा से ही हाइड्रोजन बनाकर डीजल के साथ इनटेक कर माइलेज बढ़ाने का सफल प्रयोग कर लिया है। अभी हुए शोध में डीजल के साथ 10 प्रतिशत हाइड्रोजन मिलाया गया, जिसके बाद माइलेज 20 किलोमीटर प्रतिलीटर से बढ़कर 35 किलोमीटर हो गया। इस परियोजना को केंद्र सरकार की तरफ से 48 लाख रुपये मिले हैं।

अब आगे इंजन की डिजाइन बदलने की योजना है। लक्ष्य एक लीटर हाइड्रोजन से कम से कम 100 किलोमीटर का माइलेज निकालना है। इसके लिए एगजेस्टिंग इंजन को माडिफाई किया जा रहा है। यह शोध कार्य इंटरनेशन जनरल आफ हाइड्रोजन एनर्जी (एल्जेबियर-पब्लिकेशन हाउस) और फ्यूल जैसे छह जनरल में प्रकाशित हो चुका है।

मैकेनिकल विभाग के विज्ञानी तुषार चौधरी ने बताया कि हाइब्रिड इंजन विकसित करने के लिए हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए डीजल इंजन से अपशिष्ट ताप के उपयोग की दिशा में अनुसंधान कार्य चल रहा है। यह शोध कार्य एसइआरबी (अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन) द्वारा प्रायोजित है। इंजन पर हाइड्रोजन की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाकर नतीजे जांचे जा रहे हैं।

उनके अनुसार तीन साल के भीतर उन्हें ऐसा इंजन तैयार करना है जो गाड़ी के विभिन्न उपकरणों से निकलने वाली ऊष्मा (हीट) को हाइड्रोजन में बदल सके। इसके लिए सिर्फ वाहन में कुछ पानी की जरूरत होगी। जिससे आक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग कर गाड़ी के ईंधन में बदला जाएगा। विज्ञानी तुषार चौधरी के अनुसार देश में हाइड्रोजन इंजन को लेकर कई जगह कार्य हो रहा है लेकिन ट्रिपलआइटी डीएम में गाड़ी के अंदर की हीट को ही ईंधन में उपयोग करने वाले हाइब्रिड इंजन में पहला काम किया जा रहा है।

प्रदूषण मुक्त रहेगा हाइब्रिड इंजन

पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होगा। इसमें कार्बन रहेगा ही नहीं इसलिए प्रदूषण नहीं होगा। आने वाले समय में पर्यावरण के लिहाज से ऐसे वाहनों की मांग अधिक होगी। इस नवोन्मेषी परियोजना का लक्ष्य इंजनों से निकलने वाली अपशिष्ट ऊष्मा का उपयोग करके हाइड्रोजन उत्पादन में क्रांति लाना है। तुषार चौधरी ने कहा, “हम यह अनुदान पाकर रोमांचित हैं, जो हमें हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी और इंजन दक्षता की सीमाओं को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाएगा।” “हमारा लक्ष्य एक टिकाऊ, उच्च दक्षता प्रणाली विकसित करना है जो आंतरिक दहन इंजन के पर्यावरणीय प्रभाव को काफी कम कर सकता है।”

ऐसे कार्य करेगी प्रणाली अनुसंधान एक पीईएम (प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन) इलेक्ट्रोलाइज़र के साथ एकीकृत एक कॉम्पैक्ट थर्मो-इलेक्ट्रिक जनरेटर विकसित करने पर केंद्रित है। यह प्रणाली इंजनों से निकलने वाली अपशिष्ट ऊष्मा को बिजली में परिवर्तित करेगी, जिसका उपयोग हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए किया जाएगा। यह अभिनव दृष्टिकोण न केवल इंजन की समग्र दक्षता में सुधार करता है बल्कि उत्सर्जन को भी कम करता है, जिससे यह स्वच्छ और अधिक टिकाऊ परिवहन के लिए एक व्यवहार्य समाधान बन जाता है।