अमेरिका की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (CIA) के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाकू ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने दावा किया कि परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की चाभी अमरिका के हाथों सौंप दी थी. उन्होंने कहा कि उस समय यूएस ने पाकिस्तान को लाखों डॉलर दिया था.
‘अमेरिका के नियंत्रण में थे PAK के न्यूक्लियर हथियार’
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में पूर्व CIA अधिकारी ने बताया, “साल जब मैं 2002 में पाकिस्तान में तैनात था तो मुझे अनौपचारिक रूप से बताया गया था कि पेंटागन पाकिस्तानी परमाणु हथियारों को नियंत्रित करता है. परवेज मुशर्रफ ने इसका नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया क्योंकि उन्हें भी डर था कि कहीं परमाणु हथियार आतंकवादियों के हाथों में न पड़ जाए.”
26/11 हमले को लेकर पूर्व CIA अधिकारी का खुलासा
पूर्व CIA अधिकारी जॉन किरियाकू ने खुलासा किया कि अमेरिका को उम्मीद थी कि 2001 के संसद हमले और 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के बाद भारत जवाबी कार्रवाई करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा, “सीआईए में हमने भारत की इस नीति को रणनीतिक धैर्य कहा था. भारत सरकार को पाकिस्तान पर हमला करके जवाब देने का पूरा अधिकार था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया था. व्हाइट हाउस में लोग कह रहे थे कि भारत वाकई एक बहुत ही परिपक्व विदेश नीति का प्रदर्शन कर रहा है.”
उन्होंने दावा किया, “हमें उम्मीद थी कि भारत जवाबी हमला करेगा, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और इसी वजह से दुनिया परमाणु हमले से बच गई. भारत अब उस मुकाम पर पहुंच गया है जहां वह रणनीतिक धैर्य को कमजोरी समझे जाने का जोखिम नहीं उठा सकता इसलिए उसे जवाब देना ही पड़ा.”
‘तानाशाहों के साथ काम करना पसंद करता है यूएस’
उन्होंने कहा, “मुशर्रफ ने अमेरिका को आजादी से काम करने की इजाजत दी. पाकिस्तानी सरकार के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे थे. उस समय जनरल परवेज मुशर्रफ थे ओर सच कहूं तो अमेरिका तानाशाहों के साथ काम करना पसंद करता है क्योंकि तब आपको जनता की राय और मीडिया की चिंता नहीं करनी पड़ती ओर इसलिए हमने मुशर्रफ को खरीद लिया.”
जॉन किरियाकू ने कहा, “हमने पाकिस्तान को लाखों-करोड़ों डॉलर की मदद दी. हम हफ्ते में कई बार मुशर्रफ से मिलते थे. मुशर्रफ के अपने भी लोग थे, जिनसे उन्हें निपटना पड़ता था. मुशर्रफ ने काउंटर टेररिज्म पर अमेरिका के साथ सहयोग का दिखावा करते हुए सेना का समर्थन तो बनाए रखा, लेकिन भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियां जारी रखी.”
PAK सेना को नहीं थी अल-कायदा की परवाह
उन्होंने कहा, “परवेज मुशर्रफ को सेना को खुश रखना था और सेना को अल-कायदा की परवाह नहीं थी. उन्हें भारत की परवाह थी इसलिए सेना और कुछ चरमपंथियों को खुश रखने के लिए उन्हें काउंटर टेररिज्म पर अमेरिका के साथ सहयोग का दिखावा करते हुए भारत के खिलाफ आतंक फैलाने की दोहरी नीति जारी रखने की इजाजत देनी पड़ी.”
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