ससुर को खुश करने के लिए कितनी नौकरियां बदलोगे? ऋषि सुनक बदली जॉब तो यूजर्स ने यूं किया रिएक्ट

ससुर को खुश करने के लिए कितनी नौकरियां बदलोगे? ऋषि सुनक बदली जॉब तो यूजर्स ने यूं किया रिएक्ट



ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इन दिनों इंटरनेट पर एक बार फिर चर्चा का विषय बन गए हैं. प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद से वे सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी एक्टिव हो गए हैं. इस साल की शुरुआत में उन्होंने दुनिया की बड़ी वित्तीय कंपनी गोल्डमैन सैक्स में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में काम करना शुरू किया. अब उन्होंने पत्रकारिता में भी कदम रखा है और द संडे टाइम्स के लिए एक साप्ताहिक बिजनेस कॉलम लिखने लगे हैं.

बार-बार नौकरी बदल रहे ऋषि सुनक सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए हैं. यूजर्स ऋषि सुनक के ससुर और इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति का नाम लेकर उनके मजे ले रहे हैं. यूजर्स तो यहां तक कह रहे हैं कि ऋषि सुनक अपने ससुर को खुश करने के लिए ये सब कर रहे हैं.  

नारायण मूर्ति और 70 घंटे काम करने की सलाह

दरअसल, नारायण मूर्ति ने पहले एक चर्चा में कहा था कि भारत को जापान और चीन जैसे देशों से मुकाबला करने के लिए अपनी वर्क प्रोडक्टिविटी बढ़ानी होगी. उन्होंने सुझाव दिया कि युवा भारत के विकास में योगदान देने के लिए सप्ताह में 70 घंटे तक काम करने के लिए तैयार रहें. इस बात को लेकर काफी आलोचना हुई थी और इसके बाद नारायण मूर्ति यूजर्स के निशाने पर आ गए थे. 

यूजर्स यूं कर रहे रिएक्ट 

सोशल मीडिया यूजर्स ने ऋषि सुनक के कई काम एक साथ करने पर मजाक उड़ाया है. कुछ लोगों ने लिखा है कि प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद सुनक कई जॉब्स करके अपने ससुर नारायण मूर्ति को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं. एक पोस्ट में लिखा गया, एनआरएन के दामाद होना आसान नहीं है, सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद, वह कई नौकरियां कर रहे हैं सिर्फ अपने ससुर को खुश करने के लिए. एक यूजर ने टिप्पणी की, शायद नारायण मूर्ति यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि यह आदमी हर हफ्ते 70 घंटे काम करे. किसी ने कहा, ब्रिटेन का नौकरी बाजार कैसे उबर पाएगा, जब ऋषि हर चीज को हथिया लेते हैं. तो कुछ ने मजाक में कहा, इस दर से तो ऋषि सुनक एआई से भी ज्यादा नौकरियां कर लेंगे. 

यह भी पढ़ें महिला फॉरेस्ट स्टाफ की बहादुरी, CPR से बंदर के बच्चे की जान बचाई, अब सोशल मीडिया पर आई तारीफों की बाढ़