भारत की ताकत देख कांप गया पाकिस्तान! PAK जनरल ने कहा-‘हम अकेले नहीं निपट सकते’



भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से जारी तनाव का मूल केवल सीमा विवाद नहीं, बल्कि आतंकवाद का मुद्दा है. भारत बार-बार यह दोहराता रहा है कि जब तक पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवादी संगठनों को पनाह देता रहेगा, तब तक किसी भी तरह के सामान्य संबंध संभव नहीं हैं. मई 2025 में भारतीय सेना की ओर से चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर इसी नीति की मिसाल था. यह कार्रवाई पहलगाम के धार्मिक स्थलों पर हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी. 

भारत ने इस ऑपरेशन सिंदूर के जरिए साफ संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति ज़ीरो टॉलरेंस पर आधारित है. पाकिस्तान ने हमेशा की तरह इस कदम को राजनीतिक कदम बताने की कोशिश की, लेकिन उसी वक्त उसके नेता आतंकवादियों के अंतिम संस्कारों में शामिल होते दिखे, जिससे उसका दोहरा रवैया एक बार फिर उजागर हो गया.

पाकिस्तान की पुरानी रणनीति

हाल ही में इस्लामाबाद में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पाकिस्तानी जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने बयान दिया कि भारत और पाकिस्तान के विवादों को सुलझाने के लिए किसी तीसरे देश या अंतरराष्ट्रीय संस्था की मध्यस्थता आवश्यक है. यह बयान पाकिस्तान की वही पुरानी सोच दर्शाता है, जिसमें हर मसले पर बाहरी ताकतों से सहारा लेने की मानसिकता झलकती है. भारत ने इस पर स्पष्ट कहा कि भारत और पाकिस्तान के सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं. भारत का यह रुख 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र पर आधारित है, जहां दोनों देशों ने आपसी संवाद के जरिए ही विवाद सुलझाने का वादा किया था.

पाकिस्तान की कूटनीतिक उलझन और विरोधाभास

जनरल मिर्जा ने अपने भाषण में भारत को साम्राज्यवादी और प्रभुत्ववादी देश कहा, लेकिन उस बीच में यह भी स्वीकार किया कि भारत आज दुनिया की एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति (Major Global Power) है. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों की अनदेखी करता है और मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है. असल में यह बयान पाकिस्तान की कूटनीतिक निराशा और हीन भावना को दर्शाता है. भारत को ट्रोजन हॉर्स कहने वाला पाकिस्तान यह भूल जाता है कि उसकी अपनी पहचान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक आतंकवाद समर्थक देश की बन चुकी है.

भारत की सेना का राजनीतिकरण पाकिस्तान का आत्मविरोध

जनरल मिर्जा ने अपने भाषण में भारत की सेना पर राजनीतिक प्रभाव में काम करने का आरोप लगाया. हालांकि, उनका यह बयान पाकिस्तान की वास्तविक स्थिति का मज़ाक उड़ाने जैसा है, क्योंकि पाकिस्तान वही देश है, जहां सेना राजनीति और शासन दोनों को नियंत्रित करती है. वहां लोकतांत्रिक सरकारों को कई बार तख्तापलट (Coup) के जरिए गिराया गया और इमरान खान, नवाज शरीफ जैसे निर्वाचित नेता को सेना की इच्छा के खिलाफ जाने पर जेल भेज दिया गया.

भारत की वैश्विक स्थिति और पाकिस्तान की बढ़ती बेचैनी

आज भारत न सिर्फ एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, बल्कि G-20, ब्रिक्स, और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर सक्रिय भूमिका निभा रहा है. भारत को अब एक वैश्विक नीति-निर्माता के रूप में देखा जाता है, जो ग्लोबल साउथ के हितों की आवाज बन चुका है. पाकिस्तान की चिंता यह है कि भारत अब केवल दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा देश बन गया है, जिसकी बात दुनिया सुनती है. यही कारण है कि पाकिस्तान बार-बार तीसरे पक्ष का मुद्दा उठाकर अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने की कोशिश करता है.

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