नेपाल में अधर में लटकी अंतरिम सरकार की गठन प्रक्रिया! जानें किस बात पर फंसा पेंच


नेपाल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया गतिरोध में फंस गई है. नेपाल के नेता इस बात पर बंटे हुए हैं कि क्या कार्की के पदभार ग्रहण करने से पहले संसद को भंग किया जाना चाहिए या नहीं.

सुशीला कार्की के नेतृत्व में एक अंतरिम प्रशासन का गठन करने को लेकर राजनीतिक रूप से एक व्यापक सहमति बनी है, लेकिन नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, सेना प्रमुख अशोक राज सिग्देल और जेन-जी आंदोलन के प्रतिनिधियों के बीच त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान यह प्रक्रिया बीच में अटक गई. कार्की और जेन-जी नेता सुदन गुरूंग दोनों इस बात पर अड़े हुए हैं कि उनके शपथ लेने से पहले प्रतिनिधि सभा को भंग किया जाना चाहिए.

नेपाल में संसद भंग करने की क्या है संवैधानिक प्रक्रिया?

नेपाल के संविधान के मुताबिक, संसद सिर्फ प्रधानमंत्री की सिफारिश और राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही भंग की जा सकती है. यह प्रक्रिया 2020 और 2021 में तत्कालीन प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली के शासन में दो बार अपनाई गई थी, लेकिन दोनों ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर संसद को पुनः स्थापित कर दिया था.

राष्ट्रपति पौडेल उन संवैधानिक विवादों की पुनरावृत्ति से सतर्क होकर एक ऐसे रास्ते की वकालत कर रहे हैं, जो संस्थागत वैधता को बनाए रखे.

संसद भंग किए बिना पीएम का पदभार ग्रहण नहीं करूंगी- कार्की

नेपाल के राष्ट्रपति पौडेल के एक करीबी ने कहा, ‘यह पूरी प्रक्रिया संवैधानिक ढांचे के अंतर्गत ही होनी चाहिए.’ हालांकि, पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने इस बात को पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया कि वह संसद के भंग हुए बिना अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार ग्रहण नहीं करेंगी.

अंतरिम सरकार के गठन को लेकर हो रही बहस

इसी मतभेद के कारण अंतरिम सरकार का गठन फिलहाल अधर में लटका हुआ है. चर्चा करने वाले लोग इस बात पर बहस कर रहे हैं कि क्या राष्ट्रपति पौडेल को कार्की के शपथ ग्रहण से ठीक पहले संसद को भंग करना चाहिए या फिर कार्की पहले प्रधानमंत्री पद की शपथ ले लें और उसके बाद उनकी सिफारिश से संसद को भंग किया जाए.

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