
पुजारा ने टेस्ट क्रिकेट में 103 मैच खेले और 7195 रन बनाए. उनके बल्ले से 19 शतक और 34 अर्धशतक निकले. लगभग 43 की औसत से बनाए गए ये रन उनकी धैर्य, तकनीक और समर्पण की गवाही देते हैं. हालांकि, पिछले दो साल से वह टीम इंडिया से बाहर चल रहे थे.

इस दौरान युवा खिलाड़ियों को मौका मिला और टीम ने नई दिशा पकड़ी. पुजारा ने साफ कहा कि अब उनके लिए सही समय है कि वे आगे बढ़ें और नए खिलाड़ियों के लिए जगह छोड़ें.

उन्होंने अपने संन्यास की घोषणा करते हुए कहा, “मैंने हमेशा क्रिकेट को अपना सब कुछ दिया है. भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा बनना मेरे लिए सम्मान की बात रही है. अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे कोई पछतावा नहीं है. बस संतोष है कि मैंने जो भी खेला, पूरे दिल से खेला.”

चेतेश्वर पुजारा का क्रिकेट करियर भले ही शानदार रहा हो, लेकिन उन्होंने पढ़ाई को भी कभी नजरअंदाज नहीं किया. उन्होंने जे.जे. कुंडलिया कॉलेज से बीबीए (बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन) की डिग्री हासिल की. क्रिकेट की व्यस्तताओं के बीच भी पढ़ाई पूरी करना उनकी मेहनत और अनुशासन का प्रमाण है.

पुजारा हमेशा से अपने धैर्य और लंबी पारियां खेलने के लिए जाने जाते थे. तेज़ क्रिकेट के इस दौर में जब बल्लेबाज टी20 स्टाइल की बल्लेबाजी में व्यस्त रहते हैं, पुजारा ने क्लासिक टेस्ट क्रिकेट का महत्व बनाए रखा.

उनकी बैटिंग में न केवल टेक्नीक थी बल्कि विरोधी गेंदबाजों के लिए मानसिक चुनौती भी. उनकी सबसे यादगार पारियों में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई पारियां शामिल हैं, जहां उन्होंने टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकाला.
Published at : 25 Aug 2025 12:41 PM (IST)
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