थाईलैंड-कंबोडिया विवाद: दो बौद्ध देशों के बीच एक हिंदू मंदिर को लेकर क्यों छिड़ी जंग, जानें वजह


थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जारी सीमा विवाद गुरुवार (24 जुलाई, 2025) को काफी ज्यादा बढ़ गया. दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देशों के बीच हाल ही में बढ़े तनाव में अब तक कम से कम 12 लोगों की मौत हो चुकी है. गुरुवार (24 जुलाई) को इन दोनों देशों के बीच तनाव इतना ज्यादा बढ़ गया, जिसमें कंबोडिया ने थाईलैंड पर रॉकेट से हमला कर दिया और जवाबी कार्रवाई में थाईलैंड ने F-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडियाई सेना के कैंपों पर एयरस्ट्राइक कर दी. हालांकि, इन दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद का कारण एक हिंदू मंदिर है, जिसमें मुख्य देवता के रूप से भगवान शिव स्थापित हैं.

थाईलैंड टूरिज्म के आधिकारिक पोर्टल के मुताबिक, थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर स्थित इस विवादास्पद मंदिर को प्रसात टा मुएन थोम कहा जाता है, जो एक पुरातात्विक स्थल का हिस्सा है. इस मंदिर के अलावा दो और खमेर शैली के ढांचे भी मौजूद हैं, जो धार्मिक रूप से इस पुरातात्विक स्थल के महत्वपूर्ण हिस्से हैं. यह सभी थाईलैंड के बान नोंग खन्ना इलाके में डांगरेक पर्वतों के बीच स्थित हैं.

प्रसात टा मुएन थोम के अलावा, जो दो अन्य धार्मिक स्थल हैं, उनका नाम प्रसात टा मुएन और प्रसात टा मुएन टोट है. यह तीनों स्थल थाईलैंड-कंबोडिया विवाद के केंद्र में हैं. लेकिन प्रसात टा मुएन थोम इसमें प्रमुख है.

क्या है प्रसात टा मुएन थोम का इतिहास

थाईलैंड-कंबोडिया विवाद के केंद्र में स्थित प्रसात टा मुएन थॉम मंदिर को 12वीं शताब्दी के आसपास सम्राट उदयादित्यवर्मन द्वितीय ने एक हिंदू मंदिर के रूप में बनवाया था. यह मंदिर प्रसात टा मुएन टोट से करीब 800 मीटर दक्षिण में स्थित है. इस मंदिर में भगवान शिव सर्वोच्च देवता के रूप में स्थापित हैं और यह तीनों प्रसात ढांचों में सबसे पुराना और सबसे बड़ा है.

प्रसात टा मुएन थोम में एक मुख्य प्रासाद है, जो इसके बीच में स्थित है और सबसे बड़ा है. जबकि अन्य दो छोटे प्रासाद इसके दाईं और बाईं ओर स्थित हैं. यह बालू-पत्थर से बना हुआ है और इसका मुखद्वार दक्षिण दिशा की ओर है.

मंदिर के मुख्य प्रसात के अंदर मौजूद हैं कई महत्वपूर्ण सबूत

थाईलैंड टूरिज्म के आधिकारिक पोर्टल के मुताबिक, इस मंदिर के मुख्य प्रसात के अंदर कई महत्वपूर्ण सबूत हैं, जिसमें प्राकृतिक पत्थर से निर्मित शिवलिंग शामिल हैं. इस शिवलिंग से होते हुए एक जलमार्ग निकलता है, जो मुख्य प्रसात से होते हुए बालकनी के पूर्वी हिस्से तक जाता है.

इसके अलावा, मुख्य प्रसात के दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम कोनों में लेटेराइट से बनी दो पुस्तकालय स्थित हैं. वहीं, मंदिर के पूरे संरचना के चारों ओर से बलूई पत्थर (सैंड स्टोन) से बना एक घुमावदार कॉरिडोर भी है और उत्तरी दिशा में इस गलियारे के ठीक बाहर लेटराइट से बना एक तालाब भी स्थित है.

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