UNSC की अध्यक्षता करते-करते कश्मीर को लेकर खेल करेगा पाकिस्तान? भारत को हो रही है टेंशन?


संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थाई तौर पर अध्यक्षता करने वाले पाकिस्तान ने अपनी कूटनीतिक कोशिशें तेज कर दी हैं. जुलाई में होने वाली बैठक के दौरान वो एक बार फिर से कश्मीर का राग अलपाने की कोशिश में है. इसी के मद्देनजर भारत भी तैयारियों में जुटा है. 

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इसी हफ़्ते एक उच्च-स्तरीय पहली खुली बहस होगी, जिसकी अध्यक्षता पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार करेंगे. हालांकि यह बहस मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देने पर केंद्रित है, लेकिन इस्लामाबाद इस खुली बहस के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठा सकता है. ऐसे में भारत भी इस बहस के दौरान कश्मीर पर एक बयान देने की तैयारी में है. 

UN में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि ने क्या कहा ?
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ़्तिख़ार अहमद ने 1 जुलाई, 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “अब समय आ गया है कि कश्मीर विवाद का समाधान किया जाए और मैं कहना चाहूंगा कि यह सिर्फ़ पाकिस्तान की ज़िम्मेदारी नहीं है. हम यहां अस्थायी रूप से हैं, एक अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि विशेषकर परिषद के स्थायी सदस्यों का ये फर्ज है कि वे अपने प्रस्तावों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएं.”

OIC की प्रतिष्ठा बढ़ाने पर भी जोर दे रहा पाकिस्तान
इस्लामाबाद संयुक्त राष्ट्र में इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की प्रतिष्ठा बढ़ाने पर भी जोर दे रहा है. पाकिस्तान का दूसरा महत्वपूर्ण कार्यक्रम ओआईसी और संयुक्त राष्ट्र के बीच साझेदारी पर एक ब्रीफिंग होगी, जिसकी अध्यक्षता एक बार फिर विदेश मंत्री डार करेंगे. 1969 में गठित ओआईसी के सदस्यों में पश्चिम एशिया, अफ्रीका और एशिया के 57 देश शामिल हैं. इस समूह ने जम्मू-कश्मीर के मामले में भारत के रवैये पर बार-बार सवाल उठाए हैं और उसकी आलोचना भी की है.

भारत की क्या है चिंता ?
जानकारों के मुताबिक पाकिस्तान द्वारा ओआईसी और संयुक्त राष्ट्र के बीच क्षेत्रीय साझेदारी को मज़बूत करने पर ज़ोर दिए जाने की उम्मीद है. हालांकि भारत को इस बात की चिंता है कि ओआईसी संयुक्त राष्ट्र के असमान और भौगोलिक रूप से बिखरे सदस्यों के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय भागीदार बन सकता है. नई दिल्ली की चिंता के मुद्दों पर ओआईसी की पूर्व स्थिति को देखते हुए भारत से अपेक्षा की जाती है कि वह इन चिंताओं के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के देशों के साथ मिलकर काम करेगा.

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