‘ये जिहाद, सब अल्लाह के लिए है’, बोली जोहरान ममदानी की पूर्व इंटर्न हदीका मलिक


Zohran Mamdani Ex Intern Hadeeqa Malik: न्यूयॉर्क मेयर पद के उम्मीदवार जोहरान ममदानी की एक पूर्व इंटर्न हदीका मलिक ने राजनीतिक सक्रियता को ‘जिहाद’ बताते हुए मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि वे इजरायल के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गिरफ्तारी , निलंबन और पहचान उजागर (डॉक्सिंग) जैसी सजाओं से न डरें. यह बयान हदीका मलिक का एक वायरल वीडियो क्लिप में सामने आया है, जो ‘CUNY4Palestine’ द्वारा आयोजित एक वेबिनार ‘Islamic Political Activism’ से लिया गया है.

ये सब जिहाद है, ये सब इबादत है…
वीडियो में हदीका कहती हैं- ‘सच्चा मोमिन जानता है कि ये सब व्यर्थ नहीं है, ये सब जिहाद है, ये सब इबादत है.’ उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को डॉक्सिंग, गिरफ्तारी और निलंबन जैसी चीजों की परवाह नहीं करनी चाहिए. उन्होंने जोश में कहा, अब वक्त आ गया है कि मुस्लिम कहें- ‘ठीक है, जो करना है करो, मैं अपना काम करूंगा.’ 

आंदोलन में शामिल न होने वालों पर साधा निशाना
हदीका मलिक ने उन लोगों की कड़ी आलोचना की जो फिलिस्तीन पर हो रहे इजरायली हमलों के विरोध में आवाज नहीं उठा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘अगर आप इसे अपना मुद्दा नहीं मान रहे हैं, तो आपके अंदर कोई बीमारी है, कोई गड़बड़ है, कुछ ऐसा जो आपके सिस्टम को यह कहने से रोक रहा है कि यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है.’ 

‘डरना नहीं है, सब अल्लाह के लिए है’
हदीका ने अपने संदेश में मुस्लिमों से कहा कि उन्हें अल्लाह के लिए किए गए कार्यों से डरना नहीं चाहिए, चाहे वह पश्चिमी देशों में हो या कहीं और. उन्होंने कहा, ‘अगर आपको सस्पेंड कर दिया जाए, अगर आपकी पहचान उजागर हो जाए क्योंकि यह तो होगा ही… लेकिन जब आप अल्लाह के लिए कुछ करते हैं, तो वह कभी व्यर्थ नहीं जाता.और सच्चा मोमिन उससे नहीं डरता.’ 

जोहरान ममदानी के कार्यालय में इंटर्न रह चुकी हैं हदीका
हदीका मलिक ने 2024 की गर्मियों में न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली में जोहरान ममदानी के कार्यालय में इंटर्नशिप की थी. वहां वह कम्युनिकेशन, आउटरीच, नीति और जनसेवा से जुड़े कार्यों में शामिल थीं. उनके लिंक्डइन प्रोफाइल पर एक तस्वीर भी है जिसमें वे जोहरान ममदानी के साथ मुस्कुराते हुए सेल्फी लेती नजर आ रही हैं.

गाज़ा पर इजरायली हमला में 58,000 से ज्यादा मौतें
यह बयान ऐसे समय आया है जब गाज़ा पट्टी पर इजरायल का हमला 21वें महीने में प्रवेश कर चुका है. अब तक 58,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है. मौतें जमीनी हमलों, हवाई बमबारी और हाल ही में खाने में लोगों के लाइनों पर गोलीबारी से हुई है.



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