डीयू सेलेबस में बड़ा बदलाव! हट सकते हैं विवादित और धार्मिक चैप्टर

डीयू सेलेबस में बड़ा बदलाव! हट सकते हैं विवादित और धार्मिक चैप्टर


दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) एक बार फिर पाठ्यक्रम बदलाव को लेकर सुर्खियों में है. इस बार यूनिवर्सिटी के पोस्ट ग्रेजुएट (PG) स्तर पर पढ़ाए जाने वाले राजनीति विज्ञान और इतिहास के पाठ्यक्रम में कई अध्यायों को हटाने की सिफारिश की गई है. यूनिवर्सिटी की स्टैंडिंग कमिटी (स्थायी समिति) ने कुछ ऐसे चैप्टर हटाने का सुझाव दिया है जो धार्मिक, वैचारिक या राजनीतिक रूप से संवेदनशील माने जा रहे हैं.

किन चैप्टर्स को हटाने की सिफारिश?

राजनीति विज्ञान (Political Science) से हटाए जाने वाले संभावित चैप्टर:

  • ‘Hindu Nationalism: A Reader’ (क्रिस्टोफ जैफरलॉट) – हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा को दर्शाता है.
  • ‘In the Belly of the River’ (अमिता बाविस्कर) – नर्मदा आंदोलन और आदिवासी अधिकारों पर आधारित.
  • ‘Public Policy in South Asia’ – इसमें आदिवासियों के कथित ‘हिंदूकरण’ की चर्चा की गई है.
  • ‘Routine Violence’ (ज्ञानेंद्र पांडे) – इसमें दक्षिणपंथी विचारधारा और गांधी-सावरकर-गोलवलकर पर टिप्पणी शामिल है.

इतिहास (History) से हटाए जाने के लिए सुझाए गए चैप्टर:

  • ‘Sultan Among Hindu Kings’ (फिलिप बी. वैगनर) – विजयनगर में इस्लामी प्रभाव को दर्शाता है.
  • ‘The Rise of Islam and the Bengal Frontier’ (रिचर्ड ईटन) – बंगाल में इस्लाम के सामाजिक-आर्थिक विस्तार पर केंद्रित है.

पहले भी हटाए गए थे विवादित सब्जेक्ट

गौरतलब है कि जून 2025 में भी डीयू ने ‘ग्लोबल पॉलिटिक्स’ विषय से पाकिस्तान, चीन और इस्लाम से जुड़े पूरे पेपर को हटाने का निर्णय लिया था. विश्वविद्यालय प्रशासन का तर्क था कि ये विषय छात्रों में वैचारिक टकराव और असहमति का कारण बन सकते हैं.

क्या है यूनिवर्सिटी की दलील?

कोर्स रिव्यू पैनल और यूनिवर्सिटी प्रशासन का मानना है कि ये विषय काफी संवेदनशील हैं और इनसे पढ़ाई के दौरान छात्रों में विवाद या तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. इसलिए शांति और सकारात्मक शैक्षणिक वातावरण बनाए रखने के लिए इन्हें हटाने का सुझाव दिया गया है.

शिक्षकों और छात्रों में बंटी राय

डीयू के इस कदम को लेकर शैक्षणिक जगत में दो राय बन चुकी हैं. एक ओर कुछ शिक्षकों का मानना है कि ऐसे विषयों को हटाना अकादमिक आज़ादी पर सवाल खड़े करता है, तो वहीं दूसरी ओर कुछ का कहना है कि विवादास्पद विषयों से बचना छात्रों के हित में है.

क्या होगा आगे?

फिलहाल इन चैप्टरों को हटाने का अंतिम फैसला नहीं हुआ है. यूनिवर्सिटी की अगली बैठक में इस पर औपचारिक निर्णय लिया जाएगा. तब तक छात्रों और शिक्षकों की निगाहें डीयू के फैसले पर टिकी रहेंगी.

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