दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी Microsoft एक बार फिर बड़े स्तर पर कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी कर रही है. इस बार सबसे ज़्यादा असर कंपनी की सेल्स और मार्केटिंग डिवीजन पर पड़ने वाला है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, Microsoft इस महीने की शुरुआत में ही हज़ारों कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की घोषणा कर सकती है. यह फैसला ऐसे वक्त में आ रहा है जब कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में भारी निवेश कर रही है और अपने आंतरिक ढांचे को फिर से दुरुस्त कर रही है.
छुट्टी पर टॉप अधिकारी
छंटनी के ऐलान से ठीक पहले कंपनी के टॉप सेल्स एग्जीक्यूटिव जडसन ऑल्टॉफ ने आठ हफ्ते की छुट्टी (sabbatical) पर जाने का ऐलान कर दिया है. Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, Microsoft ने पुष्टि की है कि जडसन ऑल्टॉफ, जो कि कंपनी के चीफ कमर्शियल ऑफिसर हैं, सितंबर में अपनी छुट्टी पूरी कर वापस लौटेंगे. कंपनी के प्रवक्ता ने कहा है कि यह छुट्टी पहले से तय थी और Microsoft के इंटरनल कैलेंडर के मुताबिक ही प्लान की गई है.
इस साल की तीसरी छंटनी होगी यह कार्रवाई
बता दें कि यह Microsoft के लिए इस साल की तीसरी बड़ी छंटनी होगी. मई में कंपनी ने करीब 6,000 कर्मचारियों की छंटनी की थी और उसके कुछ हफ्तों बाद 300 से ज़्यादा और लोगों की नौकरियां गईं. अब एक बार फिर कंपनी नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ, जुलाई में छंटनी का नया दौर शुरू करने जा रही है.
इस बार की छंटनी में सबसे ज़्यादा असर कस्टमर-फेसिंग यानी ग्राहकों से सीधे संपर्क रखने वाले पदों पर पड़ेगा. पहले की दो छंटनियों में जहां ज़्यादातर सॉफ्टवेयर इंजीनियर और प्रोडक्ट डेवलपर्स प्रभावित हुए थे, वहीं इस बार सेल्स और मार्केटिंग से जुड़ी टीमें सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगी. Microsoft में सेल्स और मार्केटिंग डिवीजन में करीब 45,000 कर्मचारी काम करते हैं, जबकि कंपनी का कुल वर्कफोर्स जून 2024 तक करीब 2.28 लाख था.
बदलते बिजनेस मॉडल की ओर इशारा
इस साल अप्रैल में ही Microsoft ने संकेत दे दिया था कि वह छोटे और मिड-साइज़ बिज़नेस ग्राहकों को सॉफ्टवेयर बेचने का काम अब थर्ड पार्टी एजेंसियों के ज़रिए कराएगी. इससे यह स्पष्ट हो गया था कि कंपनी अपने कस्टमर-सपोर्ट और सेल्स नेटवर्क को छोटा करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि यह छंटनी सिर्फ सेल्स टीम तक सीमित नहीं होगी, लेकिन सबसे ज़्यादा असर इसी विभाग पर पड़ेगा.
Microsoft के इस कदम को उसकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें कंपनी AI और ऑटोमेशन जैसी तकनीकों पर ज़्यादा फोकस करना चाहती है. ऐसे में मानव संसाधन की भूमिका को सीमित करने की दिशा में यह एक और कदम माना जा सकता है.
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