
जगन्नाथ मंदिर का रोजाना ध्वज बदलने की परंपरा सालों से निभाई जा रही है. कहते हैं यह परंपरा भगवान के प्रति सम्मान और भक्ति को दिखाती है. मंदिर के शिखर पर रोजाना एक पुजारी 45 मंजिल जितनी ऊंचाई पर चढ़ता है और यह ध्वज बदलता है.

धार्मिक मान्यता है कि जगन्नाथ मंदिर को ध्वज को अगर एक दिन भी न बदलने की भूल की तो यह मंदिर आने वाले 18 सालों तक बंद रहेगा. अगर इस बीच मंदिर के कपाट खोले गए तो प्रलय भी आ सकता है.

माना जाता है कि पुराना झंडा नकारात्मक ऊर्जा को खींच लेता है, इसलिए उसे हटा दिया जाता है. साथ ही ये भी मान्यता है कि झंडा भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति का प्रतीक है.

अगर यह ध्वजा पुरानी या किसी कारण से फट जाए, या इसकी अनुपस्थित हो जाए, तो वह दिव्य ऊर्जा बाधित हो जाती है. इसलिए हर दिन सूर्यास्त से पूर्व इसे बदला जाना आवश्यक है.

जगन्नाथ मंदिर का ध्वज विज्ञान को चुनौती देता है. हवा जिस दिशा में होती है झंडा उस दिशा में नहीं बल्कि उसके विपरीत दिशा में लहराता है. ऐसे क्यों और कैसे होता है यह अपने आप में एक रहस्य है, यह घटना वैज्ञानिकों के लिए भी हैरानी का विषय है.

इस साल जगन्नाथ यात्रा का शुभारंभ 27 जून से हो चुका है. भगवान जगन्नाथ,बलभद्र और सुभद्रा देवी गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान कर चुके हैं. 5 जुलाई को ये यात्रा समाप्त होगी.
Published at : 27 Jun 2025 08:32 PM (IST)