Small Savings Schemes: सरकार 30 जून, 2025 को पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) जैसी छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों का रिव्यू करने वाली है. यह रिव्यू हर तिमाही में होता है और अगले तीन महीनों तक लागू रहता है. इस बार होने जा रहे रिव्यू में जुलाई से सितंबर 2025 के लिए नई ब्याज दरें निर्धारित की जाएंगी.
RBI ने कई बार की रेपो रेट में कटौती
अब तक, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम पर ब्याज दरें साल की शुरुआत से एक समान है, लेकिन अब इसमें बदलाव की संभावना है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस साल रेपो रेट में 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. पहले फरवरी में 25 बेसिस पॉइंट, अप्रैल में 25 बेसिस पॉइंट और जून में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की है. रेपो रेट में कटौती का असर बॉन्ड यील्ड पर भी पड़ा है और बैंकों ने एफडी (Fixed Deposit) पर ब्याज दरें घटा दी हैं.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) पर बैंक इस वक्त 7.1 परसेंट का इंटरेस्ट दे रहा है, जो पिछले 5 दशकों में देखी गई सबसे कम ब्याज दर के बहुत करीब है. इससे पहले, अगस्त 1974 से पहले PPF पर ब्याज दर 7 परसेंट से भी कम देखी गई थी. पीपीएफ लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट के लिए सबसे पॉपुलर स्मॉल सेविंग स्कीम्स में से एक है, लेकिन हो सकता है कि अगले रिव्यू में इस पर इंटरेस्ट रेट कम कर दी जाए.
किस आधार पर सरकार तय करती है ब्याज दर?
PPF पर ब्याज दर श्यामला गोपीनाथ समिति द्वारा सुझाए गए फॉर्मूले पर आधारित है. इस फार्मूले के मुताबिक, PPF पर ब्याज दरें 10 साल के सरकारी बॉन्ड की औसत यील्ड से 25 बेसिस पॉइंट ज्यादा होनी चाहिए. फिलहाल, बॉन्ड यील्ड करीब 6.325 परसेंट पर है. इससे निवेशकों को कम रिटर्न मिलने का संकेत मिलता है.
फार्मूले के हिसाब से पीपीएफ के इंटरेस्ट रेट में 6.575 परसेंट तक की गिरावट आ सकती है, जो मौजूदा दर 7.10 परसेंट से 52.5 बेसिस प्वाइंट कम है. ऐसे में एक्सपर्टस की सलाह, संभावित कटौती से पहले इन योजनाओं में निवेश कर लेना ही बेहतर है.
बता दें कि छोटी बचत योजनाएं उन निवेशकों के लिए खास है, जो शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से दूर रहकर गारंटीड रिटर्न चाहते हैं. सरकार हर तीन महीने में इस पर मिल रहे इंटरेस्ट रेट का रिव्यू करती है ताकि ये योजनाएं निवेशकों के लिए आकर्षित बनी रहे.
सरकार श्यामला गोपीनाथ समिति की सिफारिशों के आधार पर ब्याज दरें तय करती है, जिसमें यह बताया गया है कि छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरें समान अवधि वाले सरकारी बॉन्ड के मुकाबले में 0.25 परसेंट से 1 परसेंट ज्यादा होनी चाहिए. वैसे पीपीएफ पर ब्याज दर 1 अप्रैल 2020 से एक समान 7.10 परसेंट पर बनी हुई है. इससे पहले 1 जुलाई 2019 से 31 मार्च 2020 तक दरें 7.90 परसेंट थीं. इसी तरह से 2000 में 9.5 परसेंट और 2003 में इस पर ब्याज दरें 8 परसेंट हो गई थीं.
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