अमेरिकी हमले के बाद इज़राइल पर ईरान का पलटवार! खोर्रमशहर-4 मिसाइल से मचा धमाका, जानें किस तकनीक

अमेरिकी हमले के बाद इज़राइल पर ईरान का पलटवार! खोर्रमशहर-4 मिसाइल से मचा धमाका, जानें किस तकनीक


Khorramshahr-4 Missile: मध्य पूर्व में हालात तेजी से विस्फोटक होते जा रहे हैं. अमेरिका द्वारा तेहरान की तीन अहम परमाणु साइट्स पर हमला करने के कुछ ही घंटों बाद ईरान ने ज़ोरदार जवाबी कार्रवाई की. ईरान ने इज़राइल की ओर मिसाइलों की एक के बाद एक कई बौछारें दागीं जिसमें उसकी सबसे ताकतवर मिसाइल Khorramshahr-4, जिसे “Kheibar” भी कहा जाता है, शामिल रही.

ईरान के एयरस्ट्राइक से मची तबाही

ईरान के इस एयरस्ट्राइक में अब तक 86 लोगों के घायल होने की खबर है. हमले में इज़राइल के बेन गुरियन एयरपोर्ट, एक जैविक रिसर्च सेंटर, लॉजिस्टिक बेस और कमांड कंट्रोल केंद्रों को निशाना बनाया गया. ईरानी न्यूज एजेंसी IRNA ने बताया कि यह हमले की “20वीं लहर” थी जिसमें 40 मिसाइलें दागी गईं. तेल अवीव के मेयर रॉन हलदई ने बताया कि कई घरों को भारी नुकसान पहुंचा है, हालांकि जो लोग शेल्टर में थे वे सुरक्षित हैं. उन्होंने माना कि बुनियादी ढांचे को “बेहद गंभीर” क्षति पहुंची है.

Khorramshahr-4 मिसाइल का हुआ इस्तेमाल

ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड (IRGC) ने दावा किया है कि इस हमले में Khorramshahr-4 मिसाइल का भी इस्तेमाल हुआ है, जो कि ईरान के मिसाइल प्रोग्राम की सबसे ताकतवर मिसाइलों में मानी जाती है. इसका नाम 7वीं सदी में मुसलमानों द्वारा जीते गए यहूदी किले “Kheibar” पर रखा गया है.

आखिर क्या है Khorramshahr-4 मिसाइल?

Khorramshahr-4 एक लिक्विड फ्यूल से चलने वाली मीडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे ईरान की सरकारी रक्षा कंपनी Aerospace Industries Organisation (AIO) ने विकसित किया है. इसकी पहली टेस्टिंग जनवरी 2017 में हुई थी, और इसे पहली बार सार्वजनिक रूप से उसी साल सितंबर में तेहरान की सैन्य परेड में दिखाया गया.

कुछ रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मिसाइल उत्तर कोरिया की Hwasong-10 मिसाइल से प्रेरित है जो खुद पुराने सोवियत R-27 SLBM का विकसित रूप है. हालांकि ईरानी मिसाइल का आकार, डिजाइन और तकनीकी फीचर्स अलग हैं. इसकी लंबाई करीब 13 मीटर है जो Hwasong-10 से बड़ी है, और इसमें “ग्रिड फिन्स” नहीं हैं. इसकी गाइडेंस यूनिट ईंधन टैंक से ऊपर एक अलग हिस्से में रखी जाती है.

किस तकनीक पर काम करती है मिसाइल

Khorramshahr-4 की रफ्तार भी इसे बेहद खतरनाक बनाती है. वायुमंडल के बाहर यह Mach 16 की गति तक पहुंच सकती है और जब यह वायुमंडल में दोबारा प्रवेश करती है तब इसकी स्पीड Mach 8 होती है.

ईरानी अधिकारियों के अनुसार, यह मिसाइल 2,000 किलोमीटर की रेंज तक कई वारहेड्स को ले जाने में सक्षम है, जिनका वजन कुल मिलाकर 1,800 किलोग्राम तक हो सकता है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वास्तविक रेंज 2,500 किलोमीटर तक हो सकती है.

इस मिसाइल की एक और खासियत यह है कि यह टारगेट एरिया में पहुंचकर 80 से ज्यादा अलग-अलग निशानों पर हमला कर सकती है. इसका वारहेड आखिरी चरण में मुख्य मिसाइल से अलग होकर बेहद सटीकता से अपने लक्ष्य को भेदता है. इतनी तेज गति से टारगेट पर गिरने के कारण दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को समय पर इसे ट्रैक करना और नष्ट करना बेहद मुश्किल हो जाता है.

विश्लेषकों की मानें तो यह मिसाइल इज़राइल की एंटी-मिसाइल रक्षा प्रणाली के लिए गंभीर चुनौती पेश करती है. जहां Iron Dome इस मिसाइल को पकड़ने में असमर्थ दिखता है, वहीं David’s Sling सिस्टम के पास भी इसे रोकने की पूरी क्षमता नहीं है. Arrow-2 और Arrow-3 जैसे एडवांस हाई-एल्टीट्यूड इंटरसेप्शन सिस्टम भी Khorramshahr-4 से छोड़े गए मल्टीपल वारहेड्स को एकसाथ रोकने में संघर्ष कर सकते हैं.

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