Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म का एक बड़ा और पवित्र त्योहार है, जो हर साल ओडिशा के पुरी में धूमधाम से मनाया जाता है. इसके अलावा भारत के कई अन्य राज्यों के शहरों में भी ये यात्रा निकाली जाती है.
इस दौरान प्रभु जगन्नाथ रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं. मान्यताओं के मुताबिक अगर को व्यक्ति रथ यात्रा में शामिल होता है तो उसके खराब दिनों का अंत शीघ्र होने लगता है, साथ ही उसके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं.
जगन्नाथ रथ यात्रा 10 दिन तक रहती है. ऐसे में अगर किसी वजह से आप यात्रा अधूरी ही कर पाते हैं तो क्या इसका दोष लगता है ? आइए जानते हैं –
जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से
इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ 27 जून को हो रहा है. इस दौरान बलभद्र, सुभद्रा देवी और भगवान जगन्नाथ अपनी मौची के घर गुंडिचा मंदिर में जाएंगे. फिर 5 जुलाई को वह पुन: मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे.
जगन्नाथ रथ यात्रा अधूरी छोड़ने पर क्या होता है ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर आप जगन्नाथ रथ यात्रा में जा रहे हैं किसी अचानक आई मजबूरी या विशेष परिस्थिति के कारण आपको यात्रा बीच में अधूरी छोड़ना पड़ती तो इससे किसी तरह का दोष नहीं लगता है. भगवान जगन्नाथ भक्तों की भावना के भूखे हैं, अगर आप सच्चे मन से यात्रा में शामिल होना चाहते हैं लेकिन किसी मजबूरी के चलते यात्रा नहीं कर पा रहे हैं तो भगवान भी आपकी परिस्थिति को समझते हैं.
क्या घर में रख सकते हैं जगन्नाथ जी की मूर्ति ?
जगन्नाथ जी की मूर्ति घर ला रहे हैं तो ध्यान रखें कि इसे उचित स्थान पर रखें. मूर्ति को हमेशा एक केंद्रीकृत स्थान पर रखना सबसे अच्छा होता है, न कि कुछ कोनों में. पूजा कक्ष में रख सकते हैं.
घर पर भगवान जगन्नाथ की पूजा करने के लिए आपको सबसे पहले मूर्ति को फूलों से सजाना चाहिए और उस पर चंदन का लेप लगाना चाहिए. भगवान को पुष्पांजलि अर्पित करें. गंदे हाथों से मूर्ति को स्पर्श न करें.
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