दुनिया में जितना भी कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) निकलता है, उसका एक बड़ा हिस्सा एक बेहद संकरे रास्ते से होकर गुजरता है, इसका नाम है होर्मुज जलडमरूमध्य. ये रास्ता ईरान और ओमान के बीच स्थित है और इसकी चौड़ाई महज 33 किलोमीटर है. यहीं से होकर सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, कतर और यूएई जैसे बड़े तेल उत्पादक देश अपना कच्चा तेल और गैस दुनिया को भेजते हैं.
ईरान की धमकी से मचा हड़कंप
हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच, ईरान ने इशारा दिया है कि वह होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने पर विचार कर सकता है. ईरानी संसद के एक वरिष्ठ सदस्य और रिवोल्यूशनरी गार्ड के कमांडर इस्माइल कौसरी ने कहा कि ईरान दुश्मनों को सज़ा देने के लिए हर विकल्प खुला रखे हुए है. हालांकि, अतीत में भी ईरान ने इस तरह की धमकियां दी हैं लेकिन अब जब हालात युद्ध जैसे हैं, तो चिंता और बढ़ गई है.
क्यों इतना अहम है यह जलमार्ग?
होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया के लिए ऊर्जा का सबसे अहम रास्ता है. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के अनुसार, यहां से दुनिया का 25 फीसदी कच्चा तेल और LNG गुजरता है. अकेले 2022 में करीब 20 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल इसी रास्ते से गुजरा. इस रास्ते पर इतना ट्रैफिक रहता है कि हर महीने 3,000 से ज्यादा जहाज़ यहां से आते-जाते हैं.
भारत के लिए क्यों खतरे की घंटी?
भारत अपनी ज़रूरत का करीब 90 फीसदी तेल आयात करता है, और उसमें से 40 फीसदी से अधिक तेल मध्य-पूर्व से आता है. यानी वही रास्ता जो होर्मुज से होकर गुजरता है. अगर यह रास्ता बाधित हुआ, तो भारत को भारी नुकसान हो सकता है. इससे तेल की कीमतें बढ़ेंगी, शिपिंग खर्च और बीमा प्रीमियम बढ़ेंगे और पेट्रोल-डीज़ल से लेकर इंडस्ट्री तक सब पर असर पड़ेगा.
सरकार की तैयारी क्या है?
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोगों को आश्वासन दिया है कि भारत के पास 74 दिन का तेल भंडार है. इसमें IOCL के पास 40–42 दिन, सरकारी रिज़र्व में 9 दिन, और बाक़ी BPCL और HPCL जैसे सरकारी उपक्रमों के पास जमा है. यानी भारत अभी पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन स्थिति खराब होने पर झटका ज़रूर लग सकता है.
क्या वाकई ईरान रास्ता बंद करेगा?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ईरान के लिए भी ये रास्ता उतना ही ज़रूरी है जितना दुनिया के बाकी देशों के लिए. ईरान भी इसी रास्ते से चीन को तेल बेचता है, और चीन उसका सबसे बड़ा ग्राहक है. ऐसे में अगर रास्ता बंद हुआ, तो ईरान को खुद नुकसान होगा. इसीलिए पूरे रास्ते को बंद करना शायद ही मुमकिन हो, लेकिन फिर भी युद्ध जैसी स्थिति में कभी भी सप्लाई रुक सकती है, जो दुनिया के लिए भारी झटका होगा.
कच्चे तेल की कीमतें पहले ही बढ़ने लगीं
जैसे ही तनाव बढ़ा, तेल की कीमतों ने तेज़ी से प्रतिक्रिया दी. अमेरिकी क्रूड ऑयल 72.64 डॉलर प्रति बैरल और ब्रेंट क्रूड 74.10 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है. इससे पहले ये दाम 65–70 डॉलर के बीच थे. अगर संकट और बढ़ा, तो 5 से 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़त और देखी जा सकती है.
नतीजा क्या होगा?
अगर होर्मुज जलडमरूमध्य की सप्लाई बाधित हुई, तो दुनिया में ईंधन की कीमतें आसमान छू सकती हैं, महंगाई बढ़ सकती है, और भारत जैसे देशों की आर्थिक ग्रोथ पर असर पड़ सकता है. क्योंकि ये सिर्फ़ तेल की बात नहीं है, यह ट्रेड, सप्लाई चेन और भू-राजनीति से जुड़ा एक जटिल मसला है.
होर्मुज जलडमरूमध्य छोटा ज़रूर है, लेकिन इसका महत्व बहुत बड़ा है. भारत जैसे उभरते देश के लिए इसकी खुली सप्लाई लाइफलाइन जैसी है. और इसी वजह से हर बार जब दुनिया में कोई संघर्ष होता है, तो नज़रें सबसे पहले इसी रास्ते पर जाती हैं. ये सिर्फ़ एक समुद्री रास्ता नहीं, ये दुनिया की ऊर्जा की नब्ज़ है.
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