Atrocities on Ahmedia Muslims in Pakistan: पाकिस्तान में एक बार फिर अल्पसंख्यक अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ धार्मिक उत्पीड़न का चेहरा सामने आया है. पाकिस्तान में ईद-उल-अजहा के मौके पर देश के कई हिस्सों से तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें अहमदिया समुदाय के लोगों को न केवल ईद की नमाज अदा करने पर गिरफ्तार किया गया, बल्कि ईद के मौके पर कुर्बानी करने पर पुलिस ने जानवर तक जब्त कर लिए.
एबीपी न्यूज के पास पाकिस्तान के लाहौर के बागबानपुरा इलाके से सामने आई तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि महज ईद उल अदहा की नमाज पढ़ने पर पहले बागबानपुरा पुलिस ने दर्जनों अहमदिया मुसलमानों को मस्जिद से बाहर निकला और फिर गाड़ियों में बैठाकर गिरफ्तार कर लिया. इन अहमदिया मुसलमानों का जुर्म सिर्फ इतना था कि ये ईद उल अदहा के मौके पर नमाज पढ़ रहे थे.
अहमदिया समुदाय के लोगों की गिरफ्तारी के साथ मस्जिद में कर दी तालेबंदी
तस्वीरों में यह भी देखा जा सकता है कि बागबानपुरा पुलिस ने ईद के मौके पर नमाज पढ़ने के आरोप में अहमदिया मुसलमानों को गिरफ्तार करने के साथ जिस मस्जिद में अहमदिया मुसलमान नमाज पढ़ रहे थे, उसकी भी तालेबंदी कर दी. इसके साथ जिस समय पाकिस्तान की पुलिस अहमदिया मुसलमानों पर अत्याचार कर रही थी, उसी समय पाकिस्तान की कट्टरपंथी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के कार्यकर्ता नारेबाजी कर रहे थे.
पाकिस्तान के कई हिस्से में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ ही कार्रवाई
लाहौर की तरह की अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ पाकिस्तान की पुलिस का अमानवीय और कट्टरपंथी चेहरा सरगोधा जिले के सिलनवाली कस्बे में भी दिखा, जहां पुलिस को सूचना मिली थी कि एक अहमदिया परिवार ने ईद के मौके कुर्बानी दी है. ऐसे में पाकिस्तान की कट्टरपंथी पुलिस तत्काल कुर्बानी देने वाले व्यक्ति के घर पर पहुंची और कुर्बानी का जानवर जब्त कर अपनी गाड़ी में भरकर ले गई. यही नहीं, कराची में भी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के कार्यकर्ताओं और स्थानीय पुलिस ने एक घर पर छापा मारकर इसी तरह की कार्रवाई की.
जिन्ना ने अहमदिया मुसलमानों को दिखाया था सपना, आज तक नहीं हो सका पूरा
असल में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने अहमदिया मुसलमानों को आज से 80 साल पहले सपना दिखया था कि पाकिस्तान बनने पर उनके साथ होने वाला भेदभाव दूर होगा, लेकिन पाकिस्तान के बनने के महज 27 साल बाद पाकिस्तान की संसद ने 1974 में ज़ुलफिलर अली भुट्टो के शासनकाल में दूसरा संविधान संशोधन करके अहमदिया मुसलमानों को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था और जब पाकिस्तान के कट्टरपंथी नेताओं का इससे भी मन नहीं भरा, तो अप्रैल 1984 में पाकिस्तान के तत्कालीन तानाशाह जनरल जिया-उल-हक के ‘आर्डिनेंस XX’ के तहत अहमदिया मुसलमानों के लिए इस्लामी आस्थाओं, त्योहारों और रिवाजों का पालन करना अपराध बना दिया.
इस कानून के तहत अहमदिया समुदाय को नमाज पढ़ने, इस्लामी अभिवादन “अस-सलाम-अलैकुम” का प्रयोग करने, यहां तक कि खुद को मुसलमान कहने पर भी तीन साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना लगाया जा सकता है. हर साल की तरह इस बार भी ईद उल अजहा के मौके पर धार्मिक स्वतंत्रता के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करते हुए अहमदिया समुदाय को ईद की इबादत और रिवायतों से दूर रखा गया.